छात्रों की जान बचाने के लिए अब कोटा में लगेंगे एंटी सुसाइड डिवाइस, जानें कैसे करेगा काम

चेतन गुर्जर

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सुसाइड रोकने के लिए अब कोटा में लगेंगे एंटी सुसाइड डिवाइस, जानें कैसे करेगा काम
सुसाइड रोकने के लिए अब कोटा में लगेंगे एंटी सुसाइड डिवाइस, जानें कैसे करेगा काम
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Anti hanging device will be installed in Kota: राजस्थान (rajasthan news) के कोटा (kota news) में छात्रों के सुसाइड के बढ़ते मामलों को देखते हुए हॉस्टल के कमरों में पंखों में एंटी सुसाइड डिवाइस लगाए जाएंगे. जिला कलेक्टर ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिया है. इसके बाद से हर हॉस्टल के कमरे में पंखे में एंटी सुसाइड डिवाइस होना अनिवार्य है अन्यथा हॉस्टल सीज करने की कार्रवाई की जा सकती है.

हालांकि कोटा में कुछ हॉस्टल ऐसे भी हैं जिनमें बहुत पहले से ही एंटी सुसाइड डिवाइस लगे हुए हैं. इसके बावजूद भी छात्रों के सुसाइड के मामले रुक नहीं रहे हैं. ऐसे में यह देखना होगा कि सुसाइड रोकने के लिए प्रशासन का ये कदम कितना सफल साबित होता है. 

ऐसे काम करेगा एंटी सुसाइड डिवाइस

जब पंखा लगाया जाता है तो एक पाइप का इस्तेमाल किया जाता है. ठीक वैसा ही पाइप इस एंटी सुसाइड डिवाइस का है. बस फर्क इतना है कि उसमें अंदर एक स्प्रिंग लगी होती है. जैसे ही कोई बच्चा पंखे से लटककर सुसाइड का प्रयास करेगा तो वह खींचकर नीचे आ जाएगी. इससे यह भी पता लगा जाता है कि किसी बच्चे ने सुसाइड का प्रयास किया है. वहीं एक बार पंखा नीचे आने के बाद एंटी सुसाइड डिवाइस ठीक नहीं होता है बल्कि उस पंखे में दोबारा डिवाइस लगाना पड़ेगा.

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प्रशासन के पिछले प्रयासों को नहीं मिली खास सफलता

जिला प्रशासन ने छात्रों के सुसाइड को रोकने के लिए पहले एक वेबसाइट बनाई थी. कोई भी स्टूडेंट परेशानी में है तो वह इस पर कंप्लेंट कर सकता है. इसके साथ ही स्टूडेंट सेल का भी गठन किया गया था. इस पर एडिशनल एसपी लेवल का अधिकारी मॉनिटरिंग कर रहा है. इसके बावजूद प्रशासन के इन प्रयासों को खास सफलता नहीं मिल रही और सुसाइड के मामले लगातार बढ़ रहे हैं.

बच्चों को खुद के लिए नहीं मिल पाता समय

हर महीने कोटा में जिला प्रशासन कोचिंग संस्थान के मालिक, हॉस्टल मालिक और अधिकारियों की मीटिंग लेते हैं पर इससे कुछ समाधान नहीं निकल रहा. प्रशासन सबको गाइडलाइन याद दिलाता है पर मीटिंग हॉल से निकलने के बाद सब भूल जाते हैं. जिला कलेक्टर ने हाल ही में मीटिंग में कहा था कि सप्ताह में एक दिन की छुट्टी अनिवार्य कर दीजिए. इसके बावजूद बच्चे सातों दिन पढ़ाई के बोझ के तले दबे हुए हैं. उन्हें कभी अपने लिए समय ही नहीं मिल पाता है. अब चर्चाएं ऐसी भी है प्रशासन और कोचिंग संस्थान के साथ 23 अगस्त को एक बड़ी मीटिंग पुलिस के सीनियर अधिकारी करने जा रहे हैं.

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कोचिंग संस्थानों में दाखिला अपराध जैसा: CM गहलोत

शक्रवार को कोचिंग संचालकों और अधिकारियों के साथ मीटिंग के दौरान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा था, ‘‘आप 9वीं-10वीं कक्षा के छात्रों को बुलाते हैं. आप कितना बड़ा अपराध कर रहे हैं. ऐसा लग रहा है मानों कोई आईआईटियन बन गया तो ‘खुदा’ बन गया. कोचिंग में आते ही छात्रों का स्कूलों में ‘डमी’ नामांकन करा दिया जाता है. यह माता-पिता की भी गलती है. छात्रों का स्कूलों में ‘डमी’ नामांकन करवाया जाता है और वे स्कूल नहीं जाते हैं. उन पर बोर्ड परीक्षा पास करने और प्रवेश परीक्षा की तैयारी का दोहरा भार रहता है.’’

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समिति 15 दिनों में सौंपेगी रिपोर्ट 

सीएम गहलोत ने राज्य में और खास तौर से कोटा के कोचिंग संस्थानों में आत्महत्या के बढ़ते प्रकरणों के मद्देनजर उनकी रोकथाम के उपाय सुझाने के लिए उच्च एवं तकनीकी शिक्षा विभाग के प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में एक समिति गठित कर 15 दिनों में रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं.

यह भी पढ़ें: कोटा में बढ़ते सुसाइड केस पर सीएम गहलोत अलर्ट, मीटिंग में बोली ये बात 

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