कोटा: कोर्ट ने रामचरित मानस की इस चौपाई का जिक्र कर कलयुगी पिता को दी सजा

चेतन गुर्जर

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Court in Kota gives life imprisonment to rapist father: कोटा (Kota news) में एक कलयुगी पिता को कोर्ट ने आजीवन कारावास (life imprisonment ) की सजा सुनाई है. अदालत ने सजा सुनाने से पहले रामचरित मानस की चौपाईयां सुनाई. विशेष न्यायाधीश दीपक दुबे ने फैसले में लिखा कि समय परिवर्तनशील है, लेकिन आरोपी का कलंक और बेटी की कटु स्मृतियां संभवत कभी नहीं मिटेंगी.

जज ने फैसले में लिखा- आरोपी अपनी आखिरी सांस तक प्रत्येक क्षण कारागार में अपने पापों का प्रायश्चित करता रहेगा. उसे देखकर भविष्य में कोई पिता अपनी बेटी पर कुदृष्टि डालने की हिम्मत नहीं करेगा.

ये है पूरा मामला

विशेष लोक अभियोजक ललित कुमार शर्मा ने बताया कि रिपोर्ट 9 मार्च 2023 को उद्योग नगर थाने में दर्ज हुई थी. आरोपी पिता ने 19, 20 दिसंबर 2022 और 26 जनवरी 2023 को अपनी 14 साल की बेटी से दुष्कर्म किया. इससे पहले भी वो ऐसी हरकतें करता रहा. अनुसंधान के बाद पुलिस ने 1 मई 2023 को चालान पेश किया. अभियोजन पक्ष की ओर से 11 गांव के बयान करवाए गए.

नाबलिग की मां को भी ऐसे पता चला

पीड़ित माता-पिता छोटी बहनों के साथ रहती है. पिता सबसे बड़ी बेटी पर गलत नजर रखता था. 19 दिसंबर 2022 को मां बाजार में गई थी. छोटी बहन बाहर खेलने गई थी. शाम करीब 6 बजे पीड़िता रसोई में खाना बना रही थी. तभी पिता ने पकड़ लिया कमरे में ले जाकर दुष्कर्म किया. बाजार से लौटने पर बेटी ने मां को घटना बताई. तब पति-पत्नी में झगड़ा हुआ था. पिता ने माफी मांगते हुए दोबारा गलती नहीं करने की बात कही. परिजनों ने लाज के डर से रिपोर्ट दर्ज नहीं करवाई. बालिका ने अपने बयानों में बताया कि 14 साल की उम्र से ही पिता उससे दुष्कर्म करता रहा है.

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फैसले में रामचरित मानस की चौपाईयां लिखीं

अदालत ने फैसले में रामचरित मानस की चौपाईयां लिखकर संदेश दिया. विशेष न्यायाधीश दीपक दुबे ने फैसले में लिखा- बालि ने मरते समय भगवान श्रीराम से अपने वध का कारण पूछा , तब श्री राम कहते हैं-

”अनुज बंधु भगिनी सुत नारी, सुनु सठ कन्या सम ए चारी।
इन्हेंहि कुदृष्टि बिलोकई जोई, ताहि बधें कछु पाप न होई।”
चौपाई का अर्थ- कोई व्यक्ति छोटे भाई की स्त्री, बहन, पुत्र की स्त्री और कन्या इनको बुरी दृष्टि से देखा है तो उसे मारना कोई पाप नहीं है.

जज ने बेटियों को दिया ये संदेश

विशेष न्यायाधीश दीपक दुबे ने 17 पेज के दिए फैसले में न केवल दुष्कर्म के कुकुत्य की निंदा बल्कि पीड़िता बेटी का हौसला भी बढ़ाया. उसे हिम्मत देते हुए फैसले में लिखा- ‘हमारी बिटियां रानी तुम होनहार खिलाड़ी हो. विपरीत परिस्थितियों में साहस वह धैर्य के साथ लड़ना. विजयी होना तुम्हारे खून में है. चलो उठो काली अंधेरी रात गुजर चुकी है. आशाओं का सूरज नई किरण के साथ तुम्हें बुला रहा है. आगे बढ़ो थाम लो अपनी खुशहाल जिंदगी का दामन. आशाओं के उन्मुक्त आसमान में उड़कर अपने सपनों को साकार करो.’

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राष्ट्रीय स्तर पर खेल चुकी है पीड़िता

विशेष न्यायाधीश दीपक दुबे ने फैसले में लिखा कि श्रेष्ठ परवरिश व संस्कारों के चलते ही बेटी ने राष्ट्रीय स्तर पर खेल प्रतियोगिता में भाग लिया. वह 25 जनवरी 2023 को राष्ट्रीय स्तर पर खेल कर लौटी थी. पिता ने उसे शाबाशी देने की जगह दूसरे ही दिन 26 जनवरी को जब देश गणतंत्र दिवस मना रहा था तब मानवता को कलंकित करने का काम किया. इस प्रकार का उदाहरण संभवतया दानवों में भी नहीं पाया जाता.

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पीड़िता के लिए 10 लाख की आर्थिक सहायता की अनुशंसा

अदालत ने दोषी पिता को आजीवन कारावास की सजा सुनाते हुए 10 हजार रुपए आर्थिक जुर्माना भी लगाया है. अदालत ने पीड़िता के लिए 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता की अनुशंसा भी की.

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