जयपुर: शहीदों की वीरांगनाओं को रात 3 बजे पुलिस ने धरनास्थल से उठाया, सुबह घर पर छोड़ा, परिजन जेल में बंद

विशाल शर्मा

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Jaipur: जयपुर में धरना दे रही पुलवामा हमले के शहीद जवानों की वीरांगनाओं पर पुलिस की बर्बरता देखने को मिली है. जहां एक बार फिर रात 3 बजे 3 शहीदों की विधवाओं को पुलिस ने हिरासत में ले लिया. यहीं नहीं शहीदों के परिजन और अन्य समर्थकों को भी पुलिस ने जेल में बंद कर दिया. जिसके बाद राज्यसभा सांसद डॉ किरोड़ी लाल मीणा महिंद्रा सेज थाने पहुंचे और वहीं थाने के बाहर धरने पर बैठ गए. अभी जानकारी आ रही है कि सभी शहीद वीरांगनाओं  को उनके घर पहुंचाया गया है.

दरअसल, यह वीरांगनाएं अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहीं थी कि इस दौरान सीआरपीएफ के 3 शहीदों की वीरांगनाओं को पुलिस उठा ले गई. जबकि सांसद किरोड़ी लाल मीणा के कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया. मामला देर रात 3 बजे का है जब पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट के आवास के बाहर धरने पर ये बैठी हुई थीं. तभी अंधेरी रात का फायदा उठाते हुए किरोड़ीलाल की गैरमौजूदगी में पुलिस वीरांगनाओं को बच्चे के साथ गाड़ी में पटक जबरदस्ती हिरासत में ले लिया. हालांकि वीरांगनाओं को कहा ले जाया गया है इसकी जानकारी नहीं मिल सकी थी. लेकिन अब जानकारी आ रही है कि सभी शहीद विधवाओं को उनके घर पहुंचाया गया है. जबकि उनके साथ धरना दे रहे अन्य लोगों को पुलिस ने महिंद्रा सेज पुलिस थाने में गिरफ्तार कर जेल में डाला गया है.

बता दें की पिछले 11 दिनों से राजस्थान सरकार के नाक में दम कर चुकी वीरांगनाओं ने सरकार पर दबाव बना रखा है. वीरांगनाएं सरकार से अपने हकों को लेकर लड़ रही है लेकिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत उनसे मुलाकात नहीं कर रहे हैं. जबकि अब देश के रक्षकों की वीरांगनाओं का सब्र का बांध टूट पड़ा. जिसके चलते एक दिन पूर्व ही सभी वीरांगनाएं रोती बिलखती मुंह में तिनका दबाए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से शरणागत हो चुके शहीदों के सम्मान की याचना करते हुए नंगे पैर दंडवत करते हुए निकल पड़ी. जिसके बाद पुलिस के हाथ पांव फूल गए और एकाएक वीरांगनाओं को सीएम हाउस जाने से पहले ही रोक लिया गया. उसी की खिंच में पुलिस वीरांगनाओं और प्रदर्शन करने वाले लोगों को गिरफ्तार कर लिया.

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बता दें कि सीएम अशोक गहलोत ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने लिखा की शहीद हेमराज मीणा की पत्नी उनकी तीसरी मूर्ति एक चौराहे पर स्थापित करवाना चाहती हैं जबकि पूर्व में शहीद की दो मूर्तियां राजकीय महाविद्यालय सांगोद के प्रांगण और उनके पैतृक गांव विनोद कलां स्थित पार्क में स्थापित की जा चुकी हैं. ऐसे में ये मांग अन्य शहीद परिवारों को दृष्टिगत रखते हुए उचित नहीं है. वहीं शहीद रोहिताश लांबा की पत्नी अपने देवर के लिए अनुकम्पा नियुक्ति मांग रही हैं.

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