रंगो के त्यौहार में मिठास घोल देती है पाकिस्तान की ये मिठाई, जिसके बिना अधूरी है जयपुर की होली

विशाल शर्मा

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आगामी 24 मार्च को होलिका दहन के बाद अगले दिन 25 मार्च को धुलंड़ी मनाई जाएगी. होली (Holi) पर अबीर-गुलाल के साथ ही कई तरह की मिठाईयां भी रंगो के इस त्यौहार में स्वाद को बढ़ा देती है. ऐसी ही एक खास मिठाई राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर में फेमस हैं, जिसका संबंध पड़ोसी देश पाकिस्तान से है. वैसे तो पाकिस्तान का नाम लेने पर आप तिलमिला उठेंगे, लेकिन होली के पर्व पर जयपुर (Jaipur) का पाकिस्तान से खास रिश्ता जुड़ जाता है. वैसे तो होली के रंग में रंगी गुलाबीनगरी को सिर्फ अपनी विरासत ही नहीं, बल्कि त्योहारों को मनाने के अलग अंदाज के लिए भी जाना जाता है.  

जयपुर में पाकिस्तान की एक ऐसी मिठाई, जिसकी डिमांड बहुत ज्यादा हैं. इस मिठाई का नाम है 'होली घीहर'. जो पाकिस्तान से जयपुर पहुंची हैं. यही नहीं, इसको बनाने वाले हलवाई के पूर्वज भी पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में दुकाने करते थे. लेकिन बाद में सीधे पुराने जयपुर आ गए. जहां बरसों से परकोटे की चारदीवारी में जलेबी सी दिखने वाली लेकिन मिठास अलग होली घीहर तैयार करते हैं.

इसके बिना अधूरी है जयपुर की होली 

होली पर जबरदस्त डिमांड रखने वाली इस मिठाई को वैसे तो जलेबी घीहर कहते है. लेकिन जैसे गुलाल के बिना होली अधूरी है, वैसे ही इस मिठाई के बिना होली अधूरी मानी जाती है. खास बात यह है कि घीहर हर जगह नहीं मिलती है, बल्कि गिने-चुने ही स्वीट्स शॉप पर मिलती है. ऐसे ही 65 वर्षों से होली घीहर का स्वाद बढ़ा रही दुकान के मालिक दीपक कुमार का कहना है कि इस मिठाई को बड़ी जलेबी यानी होली घीहर कहा जाता है, जिसे हाथों से बनाया जाता हैं. हालांकि यह मिठाई वैसे तो मशीनों से भी बनाई जाती है, लेकिन हाथों से तैयार मिठाई का स्वाद सबसे लाजवाब होता हैं.

इस खास मिठाई को मैदे से तैयार किया जाता है. मिठाई बनाने से एक दिन पहले मैदे को भिगोया जाता है और फिर दूसरे दिन मिठाई तैयार की जाती है, जो 340 रूपये किलो तक बिकती हैं.  

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