विधानसभा चुनाव के बाद एक बार फिर राजस्थान में सियासत दिलचस्प हो गई है. अब लोकसभा चुनाव को लेकर भले ही बीजेपी ने पहली लिस्ट में राजस्थान के कई उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. लेकिन बीजेपी और कांग्रेस, दोनों ही पार्टियों में अभी भी कई सीटों पर पेंच भी फंसा हुआ है. इस बार जो सीट हॉट सीट बनती नजर आ रही है, वो है राजस्थान की बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट. यहां से बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री कैलाश चौधरी पर फिर से भरोसा जताया है. वहीं, शिव विधायक रविंद्रसिंह भाटी (ravindra singh bhati) 11 मार्च से देव दर्शन यात्रा पर निकल चुके हैं. ऐसे में उनके लोकसभा चुनाव (loksabha election 2024) में उम्मीदवारी को लेकर कयास लगने लगे हैं.
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खास बात यह है कि कांग्रेस का आलाकमान चाहता है कि बाड़मेर- जैसलमेर से पूर्व मंत्री हेमाराम चौधरी चुनाव लड़े. लेकिन हेमाराम चौधरी मानने को तैयार नहीं है. विधानसभा चुनाव से पहले ही सन्यास का ऐलान कर चुके हेमाराम चौधरी को मनाने के लिए दो दिन पहले ही हरीश चौधरी ने करीब 2 घंटे तक चर्चा भी की.
हेमाराम नहीं माने तो हरीश चौधरी के लिए होगी चुनौती!
इस मुलाकात के दौरान कांग्रेस आलाकमान का मैसेज भी उन्हें दिया गया था. दरअसल, मामला सिर्फ हेमाराम चौधरी की उम्मीदवारी का नहीं है. परेशानी यह भी है कि अगर चौधरी नहीं तैयार हुए तो उनकी बजाय हरीश चौधरी को चुनाव लड़ना होगा. उन पर लोकसभा चुनाव लड़ने का लगातार दबाव भी बढ़ता जा रहा है.
भाटी भी नहीं खोल रहे पत्ते
इधर, शिव विधायक रविंद्रसिंह भाटी (ravindra singh bhati) भी अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं. संसदीय क्षेत्र के लोगों से मिलने के लिए 11 मार्च से देव दर्शन यात्रा पर निकलने के बाद उनके चुनाव लड़ने के कयास जोर पकड़ रहे हैं. लेकिन वह फिलहाल कुछ भी कहने से बच रहे हैं. उनका कहना यही है कि मेरी जनता मेरा परिवार है. जो जनता का आदेश होगा, वही करूंगा. जब भाटी से पूछा गया कि बीजेपी से आपकी बातचीत चल रही है तो उन्होंने कहा कि मेरी बातचीत सभी से चल रही है. इस बार आपकी क्या मंशा है ? इस सवाल पर भाटी ने कहा कि 'इस बार जो कुछ भी होगा, अच्छा होगा, ऐतिहासिक होगा और बहुत कुछ नई चीजें आयेगी.' भाटी ने कहा कि 'भचीड़ बोला देंगे.'
विधानसभा में बीजेपी को बढ़त, निर्दलीय विधायकों ने बढ़ाई टेंशन
क्षेत्रफल के हिसाब से रेगिस्तानी राज्य की सबसे बड़ी संसदीय सीट बाड़मेर पर लगभग 18.5 लाख वोटर्स हैं. इस सीट पर जाटों के साथ राजपूतों का भी दबदबा है. सबसे ज्यादा 4 लाख जाट वोटर्स के बाद 2.7 लाख राजपूत मतदाता भी हैं. इसके साथ ही करीब 2.5 लाख मुस्लिम और 4 लाख मतदाता अनुसूचित जाति के हैं.
संसदीय सीट की 8 विधानसभा सीटों पर हाल के चुनाव में जो रिजल्ट आए, उससे बीजेपी के लिए यहां राह आसान नहीं लग रही है. दरअसल, जिले में बाड़मेर, शिव, बायतू, पचपदरा, सिवाना, गुढ़ामलानी और चौहटन सीटें शामिल हैं. अब भले ही 8 में से 5 विधानसभा पर बीजेपी ने जीत हासिल कर जिले में बढ़त ली थी. लेकिन 1 पर कांग्रेस के अलावा 2 सीटों बाड़मेर और शिव विधानसभा पर निर्दलीय विधायकों का कब्जा रहा. जबकि कांग्रेस को सिर्फ बायतु सीट पर ही जीत हासिल हुई.
इनपुट- दिनेश बोहरा
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