लोकसभा चुनाव के लिए मिशन-25 में जुटी बीजेपी के लिए बाड़मेर-जैसलमेर लोकसभा सीट पर मुश्किल हो सकती है. बीजेपी ने यहां से भले ही फिर से कैलाश चौधरी को मैदान में उतारा है. लेकिन शिव से निर्दलीय विधायक रविंद्रसिंह भाटी (ravindra singh bhati) पर भी सबकी निगाहें हैं. क्योंकि भाटी देव दर्शन यात्रा की तैयारी कर रहे हैं. उसके बाद चर्चाएं इस बात को लेकर तेज हो गई है कि क्या भाटी लोकसभा का चुनाव लड़ने की तैयारी में है? भाटी ने कहा है कि लोकसभा चुनाव (loksabha election-2024) का फैसला में वह लोगों से बातचीत के बाद फैसला लेंगे.
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एक्सपर्ट्स की मानें तो साल 2023 में बीजेपी ज्वॉइन करने के बाद पार्टी से बगावत कर चुनाव जीतने वाले भाटी अब कहीं ना कहीं घर वापसी की राह तलाश रहे हैं. इसी के चलते वह बीजेपी पर लगातार दवाब बना रहे हैं.
कैलाश चौधरी के लिए राह क्यों है मुश्किल?
चौधरी की संसदीय सीट की 8 विधानसभा सीटों पर हाल के चुनाव में जो रिजल्ट आए, उससे बीजेपी के लिए यहां राह आसान नहीं लग रही है. दरअसल, जिले में बाड़मेर, शिव, बायतू, पचपदरा, सिवाना, गुढ़ामलानी और चौहटन सीटें शामिल हैं. अब भले ही 8 में से 5 विधानसभा पर बीजेपी ने जीत हासिल कर जिले में बढ़त ली थी. लेकिन 1 पर कांग्रेस के अलावा 2 सीटों बाड़मेर और शिव विधानसभा पर निर्दलीय विधायकों का कब्जा रहा. जबकि कांग्रेस को सिर्फ बायतु सीट पर ही जीत हासिल हुई.
सबसे बड़ी संसदीय सीट का ये है जातिगत गणित
क्षेत्रफल के हिसाब से रेगिस्तानी राज्य की सबसे बड़ी संसदीय सीट बाड़मेर पर लगभग 18.5 लाख वोटर्स हैं. इस सीट पर जाटों के साथ राजपूतों का भी दबदबा है. सबसे ज्यादा 4 लाख जाट वोटर्स के बाद 2.7 लाख राजपूत मतदाता भी हैं. इसके साथ ही करीब 2.5 लाख मुस्लिम और 4 लाख मतदाता अनुसूचित जाति के हैं.
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