BJP विधायक ने प्रताप सिंह खाचरियावास को बताया 'बहरूपिया, बोले- कभी कुछ भी बन जाता है

विशाल शर्मा

19 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 19 2024 11:04 AM)

Lok Sabha Election: जयपुर के सिविल लाइन से भाजपा के MLA गोपाल ने विधायक बनने के बाद आज पहली बार मतदान किया. अपने मत का प्रयोग करने के बाद राजस्थान तक से खास बातचीत में भाजपा विधायक ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह खाचरियावास पर जमकर कटाक्ष किए साथ ही भाजपा प्रत्याशी मंजू शर्मा के रिकॉर्ड मतों से विजय होने का दावा किया.

खाचरियावास को लेकर BJP विधायक गोपाल शर्मा बोले- 'बहरूपिए की तरह हैं, पहले हारे और फिर ले हारे का सहारा'

खाचरियावास को लेकर BJP विधायक गोपाल शर्मा बोले- 'बहरूपिए की तरह हैं, पहले हारे और फिर ले हारे का सहारा'

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Lok Sabha Election: जयपुर के सिविल लाइन से भाजपा के MLA गोपाल ने विधायक बनने के बाद आज पहली बार मतदान किया. अपने मत का प्रयोग करने के बाद राजस्थान तक से खास बातचीत में भाजपा विधायक ने कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह खाचरियावास पर जमकर कटाक्ष किए साथ ही भाजपा प्रत्याशी मंजू शर्मा के रिकॉर्ड मतों से विजय होने का दावा किया. वोट डालने के बाद राजस्थान तक से खास बातचीत में भाजपा विधायक ने कहा कि लोकतंत्र का यह महोत्सव है और इस बार के चुनाव अन्य चुनावों से भी अलग हैं, क्योंकि भारत विकसित भारत की तरफ तेजी से बढ़ रहा हैं. ऐसे में वोट देना देशभक्ति के साथ साथ रोमांच भरा है. 

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वही बीते चुनाव में गोपाल शर्मा के सामने कांग्रेस से प्रत्याशी रहे प्रताप सिंह खाचरियावास इस बार भी लोकसभा चुनाव में भी कांग्रेस के प्रत्याशी है, इसको लेकर गोपाल शर्मा ने कहा कि प्रताप सिंह उनके छोटे भाई जैसे जरूर हैं लेकिन राजनीति ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठा और सौहार्द से जुड़ी होती है. अगर किसी राजनेता से जनता और अधिकारी भय खाए तो वह राजनीति नहीं हैं. इसलिए राजनीति करने के लिए उन्हें विचार करना चाहिए और थोड़ा आत्मचिंतन करना चाहिए. यदि आत्मचिंतन करते तो शायद चुनाव में नहीं उतरते क्योंकि बीते चुनाव में जनता ने जो सजा दी है वह कम से कम 6 महीने आत्मचिंतन का अवसर देती हैं, लेकिन उन्होंने इसका इंतजार नहीं किया. 

 वह बहरूपिए की तरह हैं

वहीं कांग्रेस प्रत्याशी प्रताप सिंह के खुद को बाबा श्याम को दास बताने के सवाल पर गोपाल शर्मा ने कहा कि जैसे कोई बहरूपिया होता है वह कभी क्या तो कभी कुछ बन जाता है. तीन महीने पहले वह राम का नाम लेते थे और जब पूरा देश राम का नाम ले रहा है तो वह बोल रहे 'हारे का सहारा'. जबकि उनका सहारा हारने के बाद है, इसलिए एक बार और हारे फिर आत्मचिंतन करके खाटू श्याम के शरण में जाए, क्योंकि वह बहरूपिए की तरह हैं.

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