बीएसपी के साथ राजेंद्र गुढ़ा ने फिर कर दिया खेला, तीसरी बार फिर राजस्थान में पार्टी का हो गया सूपड़ा साफ!

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16 Apr 2024 (अपडेटेड: Apr 16 2024 6:21 PM)

राजस्थान में लोकसभा चुनाव से पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) को बड़ा झटका लगा है. प्रदेश में पार्टी के दो विधायक शिवसेना में शामिल हो गए हैं.

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राजस्थान में लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election) से पहले बहुजन समाज पार्टी (BSP) को बड़ा झटका लगा है. प्रदेश में पार्टी के दो विधायक शिवसेना (शिंदे गुट) में शामिल हो गए हैं. मुंबई में महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे की मौजूदगी में आज सादुलपुर से MLA मनोज न्यांगली और बाड़ी से जसवंत सिंह गुर्जर ने बीएसपी छोड़कर शिवसेना (शिवसेना) जॉइन कर ली. बयाना से निर्दलीय विधायक रितु बनावत पहले ही शिवसेना को समर्थन दे चुकी हैं. साल 2008 और 2013 की तरह बीएसपी एक बार फिर जीरो पर पहुंच गई है. इस पूरे मामले के पीछे शिवसेना (शिंदे गुट) के कोऑर्डिनेटर राजेंद्र गुढ़ा की अहम भूमिका बताई जा रही है. कयास है कि दो बार झटका दे चुके गुढ़ा ने तीसरी बार फिर बीएसपी को चकमा दे दिया. 

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बता दें कि साल 2008 और 2018 में बीएसपी के विधायक जब चुनाव जीतकर आए तो सभी विधायक कांग्रेस के खेमे में चले गए, जिसमें गुढ़ा भी शामिल थे.

 

दोनों विधायकों के शिवसेना (शिंदे) में शामिल होने के बाद राजस्थान विधानसभा में अब बीएसपी विधायकों की संख्या जीरो हो गई है. बता दें कि नवंबर-दिसंबर 2023 में हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में बीएसपी ने दो सीट जीती थीं. सादुलपुर सीट पर मनोज न्यांगली ने कांग्रेस की कृष्णा पूनिया और बाड़ी में जसंवत सिंह गुर्जर ने तीन बार के विधायक और बीजेपी प्रत्याशी गिर्राज सिंह मलिंगा को 27,424 वोटों से हराया था. जसंवत सिंह गुर्जर 20 साल बाद 2023 में बीएसपी के टिकट पर वे फिर से विधानसभा पहुंचे.

2008 और 2018 में भी ऐसा हुआ था ऐसा

साल 2008 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान में 6 सीटें बीएसपी ने जीती थी. बाद में मई, 2009 में सभी 6 विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए. 2018 में भी बीएसपी से 6 विधायक बने. सितंबर, 2019 में सभी 6 एमएलए कांग्रेस में शामिल हो गए. 2008 और 2018 के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस को जरूरी बहुमत नहीं मिला था. इन दोनों चुनावों में बीएसपी के 6-6 नेता जीत कर विधायक बने थे. सीएम अशोक गहलोत ने दोनों ही बार बीएसपी के विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर लिया था. 

लाल डायरी के मुद्दे से भी चर्चा में आए थे गुढ़ा

राजेंद्र गुढ़ा ने पहली बार 2008 में राजनीती में कदम रखा. उन्होंने 2008 में बसपा के टिकट पर कांग्रेस के विजेंद्र सिंह और बीजेपी के मदनलाल सैनी के खिलाफ चुनाव लड़ा. इसमें उन्होंने करीब 8 हजार वोटों से जीत हासिल की. इस चुनाव में जीत के बाद गुढ़ा ने कांग्रेस का हाथ थाम लिया. वहीं, साल 2013 में राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने राजेंद्र गुढ़ा को उनकी सीट उदयपुरवाटी से उम्मीदवार पद पर खड़ा किया. लेकिन तब गुढ़ा चुनाव हार गए. इस कारण से 2018 में कांग्रेस पार्टी ने उनका टिकट काट दिया. जिसके बाद वो फिर से बीएसपी से चुनाव लड़े. 

दरअसल, राजेंद्र गुढ़ा सचिन पायलट खेमे के माने जाते थे. गुढ़ा ने कई बार सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के लिए अपनी आवाज उठाई थी. गहलोत सरकार के कार्यकाल के आखिरी दिनों में वो लाल डायरी को लेकर सुर्खियों में आए थे. जिसमें उन्होंने पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाए थे. इस दौरान उन्होंने कथित लाल डायरी के पन्ने भी सार्वजनिक किए.  

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