‘सीता की खोज’ के लिए अवधेश प्रधान को मिला स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान

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‘सीता की खोज’ के लिए अवधेश प्रधान को मिला स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान
‘सीता की खोज’ के लिए अवधेश प्रधान को मिला स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान
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Ramchandra Nandwana Smriti Samman: साहित्य संस्कृति के संस्थान ‘संभावना’ की ओर से वर्ष 2023 के लिए स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान प्रसिद्ध आलोचक अवधेश प्रधान को दिया जाएगा. यह सम्मान उनकी चर्चित कृति ‘सीता की खोज’ के लिए दिया जाएगा. बता दें कि जयपुर निवासी वरिष्ठ लेखक डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल, वाराणसी निवासी वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार प्रो काशीनाथ सिंह और भोपाल निवासी वरिष्ठ हिंदी कवि राजेश जोशी की चयन समिति ने सर्व सम्मति से अवधेश प्रधान की इस कृति को सम्मान के योग्य पाया है.

संभावना के अध्यक्ष डॉ. केसी शर्मा ने बताया कि प्रधान की की यह कृति भारतीय साहित्य की सुदीर्घ परम्परा में सीता जैसे कालजयी चरित्र का विशद अध्ययन है जिसमें संस्कृत साहित्य से लगाकर लोक साहित्य तक व्याप्त सीता के चरित्र का सिंहावलोकन है. 

यह काशी की ज्ञान परंपरा का नया सोपान: डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल

जयपुर निवासी वरिष्ठ हिंदी लेखक और आलोचक डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने अपनी अनुशंसा में कहा, “पांडित्य और गहन शोध के साथ प्रधान जी की सहज-सरल भाषा इस कृति को अविस्मरणीय बनाती है. उनका अध्ययन काशी की ज्ञान परम्परा का नया सोपान है.”

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‘अवधेश प्रधान पौराणिक साहित्य के गंभीर अध्येता हैं’

वरिष्ठ हिंदी साहित्यकार काशीनाथ सिंह ने अपने वक्तव्य में कहा, “अवधेश प्रधान आधुनिक, मध्यकालीन और पौराणिक साहित्य के गम्भीर अध्येता हैं. अनंत रामकथाओं में से सीता के उज्ज्वल चरित्र को खोज निकालना अनूठा कार्य है. उन्होंने कहा कि प्रधान जी की खोज से असहमत तो हुआ जा सकता है, उसे अनदेखा या उसकी उपेक्षा नहीं की जा सकती. इसके पीछे उनका गहन श्रम है और दृष्टि भी है.

राजेश जोशी ने अपने वक्तव्य में कहा, “अवधेश प्रधान जैसे विद्वान मध्यकालीन और आदिकालीन भारतीय साहित्य का जिस तरह पुनरावलोकन करते हैं वह हम सबके लिए बहुत उपयोगी और ज्ञानवर्धक है.”

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दिसंबर महीने में चित्तौड़गढ़ में आयोजित होगा सम्मान समारोह

संभावना के अध्यक्ष डॉ. केसी शर्मा ने बताया कि स्वतंत्रता सेनानी रामचन्द्र नन्दवाना स्मृति सम्मान में कृति के लेखक को ग्यारह हजार रुपये, शॉल और प्रशस्ति पत्र भेंट किया जाता है. उन्होंने कहा कि चित्तौड़गढ़ में दिसम्बर माह में आयोज्य समारोह में वर्ष 2022 के लिए सम्मानित लेखक को आमंत्रित किया जाएगा.

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कौन हैं अवधेश प्रधान

बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग से आचार्य के पद से सेवानिवृत्त अवधेश प्रधान की ख्याति भारतीय वांग्मय के गहन अध्येता और विचारक के रूप में है. उन्होंने इस पुस्तक से पहले भी अनेक पुस्तकें लिखी हैं. उनके व्याख्यान बौद्धिक क्षेत्र में सम्मान के साथ सुने जाते हैं. वे मेघदूत के गीतों का भोजपुरी में सरस अनुवाद कर चुके हैं और स्वामी सहजानंद के साहित्य को नई पीढ़ी तक पहुंचाने में उनकी बड़ी भूमिका रही है.
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