कोटा के चंबल रिवर फ्रंट पर विवाद, जानें BJP क्यों कर रही इस बेशकीमती प्रोजेक्ट का विरोध?

चेतन गुर्जर

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चंबल रिवर फ्रंट पर क्यों हो रहा है विवाद? जानें BJP क्यों कर रही इस बेशकीमती प्रोजेक्ट का विरोध
चंबल रिवर फ्रंट पर क्यों हो रहा है विवाद? जानें BJP क्यों कर रही इस बेशकीमती प्रोजेक्ट का विरोध
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Kota Chambal River Front Controversy: 1442 करोड़ की लागत से बने चंबल रिवर फ्रंट (Chambal River Front) के लोकार्पण के साथ ही विवाद शुरू हो गया है. बीजेपी इस प्रोजेक्ट को अवैध बताते हुए लगातार सरकार पर हमलावर बनी हुई है. बीजेपी (BJP) ने आरोप लगाया है कि गैरकानूनी ढंग से चंबल रिवर फ्रंट का निर्माण करवाकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार चुनावी साल में वाह-वाही लूटने का काम कर रही है.

कोटा उत्तर से पूर्व बीजेपी विधायक प्रहलाद गुंजल ने कहा कि यह निर्माण पूर्ण रूप से अवैधानिक है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट, हाईकोर्ट द्वारा जारी निर्णयों तथा आदेशों एवं केंद्रीय वन पर्यावरण मंत्रालय द्वारा जारी दिशानिर्देशों के अनुसार सेंचुरी क्षेत्र के 10 किमी की परिधि में किसी प्रकार का कोई निर्माण कार्य नहीं हो सकता. इसके लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सक्षम समिति की अनुमति लेना जरूरी होता है. 

‘घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र में रिवर फ्रंट का निर्माण अवैधानिक’

प्रहलाद गुंजल ने बताया कि चंबल रिवर फ्रंट नदी के जिस भाग में स्थित है वह घड़ियाल सेंचुरी है. राजस्थान सरकार द्वारा 3/9/1983 को जारी अधिसूचना में चंबल नदी के दोनों किनारों पर एक-एक हजार मीटर तक के क्षेत्र को घड़ियाल सेंचुरी के अंतर्गत अधिसूचित किया गया था. साथ ही भारत सरकार के वन पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा 9/2/2011 को जारी दिशा निर्देश के अनुसार सेंचुरी के 10 किलोमीटर तक के क्षेत्र को इको सेंसेटिव जोन घोषित किया गया है. इसलिए इस क्षेत्र में कोई भी निर्माण बिना नेशनल बोर्ड फॉर वाइल्ड लाइफ की स्टैंडिंग कमेटी की अनुमति के बिना नहीं किया जा सकता. इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट द्वारा राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की गठित सक्षम कमेटी से अनुमति लेना भी जरूरी है.

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केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने राज्य सरकार को लिखा पत्र

प्रदेश सरकार को घेरते हुए पूर्व बीजेपी विधायक ने कहा कि भारत सरकार के वन पर्यावरण तथा जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने राजस्थान सरकार के मुख्य वन्य जीव संरक्षक को पत्र लिखकर सूचित किया है कि “राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचुरी क्षेत्र के इको सेंसेटिव जोन में किया गया निर्माण अवैध है. यह पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 एवं वन्य जीव संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों का घोर उल्लघंन है.” इसी के साथ राजस्थान सरकार के मुख्य वन्य जीव संरक्षक को जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे. गुंजल ने आरोप लगाया कि स्थानीय मंत्री के दबाव एवं स्वार्थ के कारण इस पत्र पर मुख्य वन्य जीव संरक्षक ने कोई कार्रवाई नहीं की.

‘चंबल रिवर फ्रंट को कभी भी ध्वस्त करने के आदेश हो सकते हैं जारी’

प्रहलाद गुंजल ने कहा कि स्थानीय मंत्री ने अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए पूरी तरह से अवैध रिवर फ्रंट का निर्माण किया है. इस सुप्रीम कोर्ट कभी भी ध्वस्त करने का आदेश जारी कर सकता है. ऐसी स्थिति में जनता के अरबों रुपये बर्बाद हो जाएंगे. सुप्रीम कोर्ट एवं हाईकोर्ट द्वारा स्पष्ट रूप से नदी क्षेत्र में किसी भी प्रकार की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया गया है. किंतु नदी क्षेत्र में रिवर फ्रंट का निर्माण कर वाणिज्यिक गतिविधियां किया जाना कोर्ट के आदेशों की अवमानना है.

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‘विश्व स्तरीय बताकर जनता को किया जा रहा गुमराह’

चंबल रिवर फ्रंट के विश्वस्तरीय होने के दावों पर गुंजल ने कहा कि चंबल माता की 41 मीटर की मूर्ति को विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति होने का दावा किया जा रहा है. जबकि आंध्रा में 42 मीटर ऊंची हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है. वहीं नंदी को लेकर भी दावा किया जा रहा है कि विश्व का सबसे बड़ा नंदी चंबल रिवर फ्रंट पर बनाया गया है जबकि केरल में इससे भी चार गुना बड़ा सिंगल स्टोन नंदी स्थापित है. ऐसे ही जवाहरलाल नेहरू के मुखौटे को सबसे बड़ा बताया जा रहा है लेकिन सबसे बड़ा मुखौटा आदियोगी का बना हुआ है. उन्होंने कहा कि इस प्रोजेक्ट को विश्वस्तरीय बताकर जनता को गुमराह किया जा रहा है.

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रणवीर-दीपिका को ब्रैंड एंबेसडर बनाने को भी बताया फिजूलखर्ची

गुंजल ने ब्रांड एंबेसडर बनाने के लिए दीपिका पादुकोण व रणवीर सिंह को लाखों रुपए देना भी धन की बर्बादी बताया है. उन्होंने कहा कि हाल ही में कोटा की बेटी नंदनी गुप्ता ने फेमिना मिस इंडिया का खिताब जीता है. उसे यह अवसर दिया जाना चाहिए था.

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