धौलपुर: जान देने को तैयार बैठे किसान, नहर का पानी नहीं रोक पा रहा प्रशासन, फसल चौपट

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फोटो: राजस्थान तक
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Dholpur News: धौलपुर जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बिना बारिश के खेतों में खड़ी फसलें जलमग्न हो रही हैं. नहर सीपेज होने से खेतों में पानी लबालब होने से किसान चिंता में डूबे हुए हैं. मामला जिले के सैंपऊ उपखंड इलाके का हैं. जहां के कई गांवों में बारिश के सीजन के दौरान जलभराव से खरीफ की फसल बर्बाद होने के बाद अभी तक खेती के लिए हालात सामान्य नहीं हुए हैं.

बारिश से राजौरा खुर्द, सिंगरौली, कूंकरा, सेमरा आदि गांवों में अतिवृष्टि और बाढ़ आने के बाद करीब सात सौ बीघा खरीफ की फसल चौपट हो गई. हालात यह है कि रबी की सरसों और आलू की फसल बुवाई का समय निकल चुका है. गेहूं की फसल बोने के लिए खेतों के सामान्य होने का इंतजार कर रहे तमाम किसानों को अब पार्वती नहर के सीपेज से खेतों में भर रहे पानी से भारी झटका लगा है.

किसानों द्वारा गेहूं की बुवाई के लिए तैयार किए जा रहे खेतों में लगातार नहर से सीपेज होकर आ रहे पानी ने किसानों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है. शनिवार को इलाके के किसानों ने सरपंच रजौरा खुर्द के नेतृत्व में नहर से सीपेज होकर आ रहे पानी को रोकने के लिए सिंचाई विभाग और उपखंड प्रशासन के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए नारेबाजी की.

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नाराज किसानों ने बताया कि इस बार सीजन में हुई जबरदस्त बारिश के साथ-साथ बसेड़ी इलाके से बाढ़ का पानी आने के कारण इलाके के चार-पांच गांवों की सात सौ बीघा खरीफ की फसल पानी में डूब कर बर्बाद हो गई. महीनों बीतने के बाद खेतों में भरा हुआ पानी सूख नहीं पाया है कि अब नहर से सीपेज होकर आ रहे पानी ने खेती की हालत बिगाड़ कर रख दी है.

किसानों ने बताया कि कई बार उन्होंने एसडीएम, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि एवं जल संसाधन अधिकारियों को बाढ़ एवं सीपेज से इलाके की खेती और किसानों को हो रही परेशानी के संबंध में शिकायत की गई है, लेकिन नतीजा नहीं निकला है, किसानों ने बताया कि नहर के समानांतर जब तक नाले का निर्माण नहीं कराया जाएगा तब तक इलाके के किसानों के लिए बाढ़ का पानी और सीपेज की समस्या गले की हड्डी साबित होगी.

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सैपऊ इलाके के कई गांवों में दो बार से फसल की पैदावार नहीं होने से किसानों के सामने भूखों मरने की नौबत पैदा हो गई है. किसानों ने बताया कि बारिश के सीजन में खरीफ की पूरी फसल बाढ़ के पानी और अतिवृष्टि के कारण चौपट हो गई, यहां तक कि पशुओं के लिए चारा भी नहीं बच पाया. अभी भी खेतों में भरे हुए पानी के सुख नहीं पाने के कारण गेहूं आलू और सरसों की बुवाई नहीं हो सकी है.

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कुछ इलाके में खेतों के सामान्य होने पर की गई गेहूं की बुवाई, मुख्य नहर में पानी छोड़े जाने के बाद सीपेज से खेतों में आए पानी की वजह से चौपट हो गई है, जिसके चलते किसानों के सामने लगातार दूसरी फसल बर्बाद होने से उनको मरने की नौबत आ गई है, किसानों का आरोप है कि खेती में कर्जा लेकर लागत लगाने के बावजूद उनकी मेहनत बेकार जाया हो रही है आक्रोश इस बात को लेकर है कि उनकी समस्या को ना नेता सुन रहे हैं और ना ही जिम्मेदार अधिकारी.

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