FACT Check: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दरगाह जाकर चढ़ाई थी चादर? जानें Viral तस्वीर का सच

राजस्थान तक

ADVERTISEMENT

FACT Check: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दरगाह जाकर चढ़ाई थी चादर? जानें Viral तस्वीर का सच
FACT Check: शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने दरगाह जाकर चढ़ाई थी चादर? जानें Viral तस्वीर का सच
social share
google news

पूरे देश में एक ही चर्चा है. अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा पर कौन जाएगा. क्या विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी जाएगी? इन चर्चाओं के बीच ज्योतिर्मठ के वर्तमान जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर जाने से इनकार कर दिया. उन्होंने इसकी वजह बताई. उनके बयानों के अलावा सोशल मीडिया पर एक तस्वीर वायरल होने लगी.

इस तस्वीर को शेयर कर दावा किया जा रहा है कि स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अजमेर शरीफ का दौरा कर वहां चादर चढ़ाई और अब वह राममंदिर में जाने से कतरा रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक तबका उनके प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जाने की वजह को कम्यूनल रंग दे रहा है. सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस तस्वीर का Rajasthan Tak ने फैक्ट चेक किया. जानें इस पड़ताल में क्या सच्चाई सामने आई?

जानें क्या है दावा?

अलग-अलग सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर यह दावा किया जा रहा है कि शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने अजमेर शरीफ का दौरा किया था. अब वह राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में जाने से मना कर रहे हैं. सोशल मीडिया पर एक तबका शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को एंटी हिंदू साबित करने में लगा है.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

धोडाला नामक X (पूर्व में ट्विटर) यूजर ने कहा, “ये हैं आपके तथाकथित हिंदू सम्राट…ये वही लोग हैं जिनके हम हिंदू सैकड़ों वर्षों तक गुलाम रहे और आज भी हिंदू विरोधी पार्टियों को वोट देते हैं. अच्छा है कि ये 22 जनवरी को राम लला के दर्शन नहीं कर रहे हैं.”

ADVERTISEMENT

वहीं, ऋषि बगरी ने कहा, “ये यहां जा सकते हैं 🤲…लेकिन राम मंदिर नहीं जा सकते.

ADVERTISEMENT

वहीं, मधुसुधन नामक यूजर ने कहा, “कालनेमियों की कमी थोड़े ही है हिंदुओं में. ये हैं शंकराचार्य जिन्हे मजार पे माथा रगड़ते शर्म नहीं आई. हिंदुओं को कटवाने और बंटवाने में इनका बड़ा योगदान रहा है. इन स्व घोषित स्वयंभू नीचों ने एक सम्मानजनक पदवी को इतना सस्ता और अपमानजनक पद बना दिया है. समझ सकते हैं क्यों हम गुलाम रहे.”

क्या है सच्चाई?

जब स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद की इस तस्वीर का फैक्ट चेक करने के लिए रिवर्स गूगल का इस्तेमाल किया तो हम dfrac.org नामक वेबसाइट तक पहुंचे. इस वेबसाइट में ईमंच नामक फेसबुक पेज के हवाले से बताया है कि शंकराचार्य की यह तस्वीर 17 साल पुरानी है. शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने 2006 में ‘रामसेतु रक्षा मंच’ के बैनर तले दिल्ली में हुई एक रैली का नेतृत्व किया था.

ईमंच के अनुसार, “इस अवसर पर ब्रह्मलीन ज्योतिष्पीठाधीश्वर एवं द्वारकाशारदापीठाधीश्वर जगद्गुरु शङ्कराचार्य पूज्यपाद स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती आदेशानुसार अविमुक्तेश्वरानंद ने 2006 में दिल्ली स्थित स्वामी रामानंद की समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए थे.” बता दें कि ईमंच ने 17 जुलाई 2023 को उस तस्वीर के बारे में जानकारी साझा की थी, जब यह विवाद पनपा भी नहीं था.

इसके अलावा, हमने स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का X पेज भी खंगाला. यहां हमें एक वीडियो मिला जिसमें स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने इस तस्वीर को लेकर सफाई दी है. पत्रकार करन थापर को दिए इंटरव्यू में अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा, “अभी तक ऐसा संयोग बना नहीं है कि हम अजमेर शहर में ही जा सकें. जब हम अजमेर शहर ही नहीं गए तो अजमेर शरीफ कैसे जाएंगे. यह सब छवि को बिगाड़ने का तरीका है. हम अभी तक किसी भी दरगाह में नहीं गए हैं.”

तो फिर कहां गए थे अविमुक्तेश्वरानंद?

अविमुक्तेश्वरानंद के अनुसार, “रामदेव पीर नामक संत जिनके बारे में लोग जानते हैं…जब हम रामसेतु की रक्षा का आंदोलन चला रहे थे. उस समय अरविंद स्वामी नामक के व्यक्ति थे. वो हम लोगों के संपर्क में आए. उन्होंने हमारा सहयोग किया. बाद में उन्होंने कहा कि एक ही चीज इसके बदले में हम आपसे मांगना चाहते हैं कि सब लोग हमारे आश्रम में आइए. उन्होंने दिल्ली में एक आश्रम बना रखा है और रामदेव पीर की समाधी का प्रतिरूप बनाकर के उसमें पूजा आरती करते हैं वो. वहां वो हमको ले गए थे. पूरी के शंकराचार्य महाराज भी गए थे. वहीं का वो चित है.” इसके साथ ही X पर अविमुक्तेश्वरानंद ने अपील करते हुए कहा यह तस्वीर फेक न्यूज है. और बिना बिना सही जानकारी के साझा न करें.

Rajasthan Tak की पड़ताल में ये दावा गलत पाया गया है.

क्या है अविमुक्तेश्वरानंद का तर्क?

अविमुक्तेश्वरानंद 22 जनवरी को होने वाली रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में नहीं जा रहे हैं. इसके पीछे उनका तर्क है कि मंदिर का निर्माण अभी अधूरा है और यह धार्मिक मान्यताओं के खिलाफ होगा. मंदिर शरीर के समान होता है. शरीर अभी पूरा बना नहीं है तो प्राण प्रतिष्ठा कैसे होगा?

फैक्ट चेकर: हर्ष वर्धन

यह भी पढ़ें:

Fact चेक: क्रिकेट खेलते औंधे मुंह गिरे सीएम भजनलाल? जानें इस वायरल Video का सच

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT