डॉक्टर्स और सरकार के बीच की लड़ाई ने 5 बेटियों से छीन लिया पिता का साया, इस वजह से हुई मौत, जानें
Right To Health Bill: राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में बुधवार को सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद रखी गई. सरकार और डॉक्टर्स की इस लड़ाई से कई मरीजों पर आफत आ गई. दिनभर वे इलाज करवाने के लिए दर-दर भटकते रहे. ऐसा ही एक मामला दौसा जिले में […]
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Right To Health Bill: राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में बुधवार को सभी प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में ओपीडी सेवाएं बंद रखी गई. सरकार और डॉक्टर्स की इस लड़ाई से कई मरीजों पर आफत आ गई. दिनभर वे इलाज करवाने के लिए दर-दर भटकते रहे. ऐसा ही एक मामला दौसा जिले में सामने आया है जहां इलाज के अभाव में 5 बेटियों से अपने पिता का साया छिन गया.
दौसा जिले में कालाखो गांव के रहने वाले सुरेंद्र मीणा का कुछ दिन पहले सड़क एक्सीडेंट हो गया था जिससे उनके एक पैर में फ्रैक्चर हो गया था. इसके बाद सुरेंद्र को दौसा जिला अस्पताल भेजा गया तो वहां से डॉक्टरों ने जयपुर रेफर कर दिया. सुरेंद्र के परिजनों का कहना है कि दौसा में भी सुरेंद्र को ठीक से इलाज नहीं मिला. जयपुर पहुंचने के बाद 3 घंटे तक वह औपचारिकता में अटके रहे और रात को 1 बजे जाकर सुरेंद्र को भर्ती किया गया. जब डॉक्टर को इलाज के लिए कहा गया तो वह उपलब्ध नहीं हुए और ना ही सुरेंद्र को ट्रीटमेंट दिया गया.
रात को ही नर्सिंग स्टाफ ने सुरेंद्र के परिजनों से कहा कि डॉक्टर्स राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में हड़ताल पर जा रहे हैं आप अपने मरीज को कहीं दूसरी जगह ले जाइए. सुरेंद्र के परिजनों को समझ नहीं आया कि आखिर कहां लेकर जाएं क्योंकि प्राइवेट डॉक्टर हड़ताल पर हैं और अब उनके समर्थन में सरकारी डॉक्टर भी हड़ताल पर जा रहे हैं. सुबह तक सुरेंद्र को किसी ने भी ट्रीटमेंट नहीं दिया और आखिरकार वह इस दुनिया को अलविदा कह गए.
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सुरेंद्र के परिजनों का कहना है कि अगर सुरेंद्र को समय रहते इलाज मिल जाता तो आज वह हमारे बीच होता. गहलोत सरकार राइट टू हेल्थ बिल लेकर आई है जो एक अच्छी बात है. डॉक्टर के इलाज के अभाव में हमारा बेटा तो चला गया लेकिन इस बिल से किसी के बेटे, किसी के भाई और किसी के पिता को इलाज के अभाव में जान नहीं देनी पड़ेगी. गौरतलब है कि सुरेंद्र के 5 बेटियां और एक 3 साल का बेटा है.
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