एक महीने से पहले ही उखड़ने लगा ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे, PM मोदी ने 8 जुलाई को किया था उद्घाटन

Aparnesh Goswami

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एक महीने में ही उखड़ने लगा ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे, PM मोदी ने 8 जुलाई को किया था उद्घाटन
एक महीने में ही उखड़ने लगा ग्रीन फील्ड एक्सप्रेसवे, PM मोदी ने 8 जुलाई को किया था उद्घाटन
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Greenfield Expressway: केंद्र सरकार द्वारा दावा किया गया था कि 6 लेन ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे से राजस्थान (Rajasthan News) के बीकानेर और इससे सटे राज्यों में तरक्की की तस्वीर बदलेगी. लेकिन एक महीने से पहले ही एक्सप्रेसवे उखड़ने लगा है. इसी महीने 8 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने इसका उद्घाटन किया था.

एनएचएआई की लापरवाही और इस पर से गुजरने वाले वाहन चालकों की मनमानी की वजह से ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे दुर्गति के कगार पर आ खड़ा हुआ है. तेज रफ्तार और क्षमता से ज्यादा वजन का माल भर कर गुजर रहे वाहनों की वजह से सड़क की परतें उखड़ने लगी हैं. नोरंगदेसर से शेरेरा गांव तक कई जगहों पर एक्सप्रेसवे बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है.

537 किमी हिस्से का पीएम मोदी ने किया था उद्घाटन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 जुलाई को बीकानेर के नौरंगदेसर आकर राजस्थान के संगरिया से सांचौर तक बने एक्सप्रेसवे के लगभग 537 किलोमीटर हिस्से का लोकार्पण किया था. इससे पहले केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 22 मई को एनएचएआई के अधिकारियों और तकनीकी विशेषज्ञों के साथ इस रास्ते पर सफर किया था. इस दौरान उन्होंने एक्सप्रेसवे की मोटरेबिलिटी और फिजिबिलिटी का परीक्षण कर आवागमन योग्य होने का ग्रीन सिग्नल दिया था.

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टोल से बचने के लिए लोग कर रहे एक्सप्रेसवे का इस्तेमाल
ग्रामीणों के मुताबिक, पीएम मोदी ने जिस नौरंगदेसर गांव से ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया था, उसके साथ ही बने श्रीगंगानगर-बीकानेर-जोधपुर नेशनल हाईवे और मेगा हाईवे पर टोल लगता है. इस वजह से चालकों ने नए बने 6 लेन एक्सप्रेस-वे का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जिससे ठेकेदार को टोल का नुकसान हो रहा है. बताया जा रहा है कि वाहनों को एक्सप्रेस वे पर जाने से रोकने के लिए एक्सप्रेसवे पर जगह जगह अवरोध लगा कर रास्ता रोक दिया गया है.

आवारा मवेशी भी एक्सप्रेसवे पर खुलेआम घूम रहे
आसपास के गांवों के मवेशी भी एक्सप्रेसवे की सुरक्षा दीवार टूटने की वजह से बीच सड़क पर खुलेआम घूम रहे हैं. हालांकि आवाजाही कम होने की वजह से अभी तक कोई हादसा नहीं हुआ है. लेकिन पशुओं के इस तरह एक्सप्रेसवे पर खुलेआम घूमने से सुरक्षा उपायों पर सवाल उठ रहे हैं. लगभग 25 फीट ऊंचाई पर बने एक्सप्रेसवे पर पर्याप्त मात्रा में पेड़ पौधे भी नहीं लगाए गए हैं जिससे लगातार बारिश के चलते एक्सप्रेसवे के किनारों पर मिट्टी ढहने का खतरा बना हुआ है.

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एनएचएआई के परियोजना निदेशक हरेंद्र सिंह ने राजस्थान तक को बताया कि कई जगहों पर स्पीड और वाहनों का लोड मापने के लिए उपकरण लगाए जा रहे हैं. संभवतः इसी वजह से अवरोध लगा कर डायवर्जन किया जा रहा है. एक्सप्रेस-वे की रोड भारी वाहनों के तेज स्पीड में गुजरने और बारिश की वजह से क्षतिग्रस्त हुई है जिसे रिपेयर किया जा रहा है. इसी के साथ टोल के ठेके की भी प्रक्रिया चल रही है जिसके बाद नियमित आवागमन शुरू कर दिया जाएगा.

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