कोचिंग छात्रों ने Kota कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी के साथ डिनर पर बताई वो सबसे बड़ी समस्या जिसके सभी हैं शिकार!

चेतन गुर्जर

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Kota Collector Ravindra Goswami: कोटा में कोचिंग स्टूडेंट्स (Kota coatching students) के तनाव को दूर करने के लिए सरकार समय-समय पर कई बड़े इनिशिएटिव ले रही है. कई संस्थाएं भी बच्चों के साथ बातचीत करके उनकी समस्याएं सुनती हैं और उन्हें तनाव से दूर रहने के टिप्स देती हैं. इस बीच कोटा (kota news) के जिला कलेक्टर और IAS ऑफिसर रविंद्र गोस्वामी भी चर्चा में बने हुए हैं. वह कभी भजन और गाने गाकर बच्चों के तनाव दूर करते हुए दिखते हैं तो कभी छात्रों के बीच बैठकर उनसे बातचीत करते नजर आते हैं. हाल ही में एक बार फिर वह कोचिंग स्टूडेंट्स के बीच पहुंच गए और उन्होंने विद्यार्थियों के साथ डिनर करते हुए उनकी समस्याओं पर बातचीत की.

गौरतलब है कि पिछले दिनों भी जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी ने छात्रों के बीच पहुंचकर उन्हें सक्सेस मंत्र दिया था. उन्होंने खुद के कोटा में आकर तैयारी करने और असफल होने की कहानी बयां करते हुए छात्रों को सलाह दी थी कि उन्हें लाइफ में हमेशा प्लान-बी जरूर रखना चाहिए. उन्होंने यह भी बताया था कि कैसे उन्होंने चिकित्सा सेवा छोड़कर यूपीएससी क्रैक किया.

'परिवार के खर्च का तनाव ना लें छात्र'

जिला कलेक्टर रविंद्र गोस्वामी "कामयाब कोटा" अभियान के अंतर्गत शुक्रवार को लैंडमार्क स्थित होस्टल में कोचिंग विद्यार्थियों के साथ डिनर करते हुए संवाद किया. इस दौरान उन्होंने छात्रों से कहा कि "आप कोटा का गौरव हैं आपसे कोटा की पहचान है इसलिए हर पल को यादगार बनाएं. परिवार के खर्च का तनाव ना लें. क्योंकि परिवार के लिए आपका होना ही सच्ची खुशी है."

कोचिंग स्टूडेंट्स के सवालों का कलेक्टर ने दिया जवाब

सवाल- नीट में टफ कम्पटीशन और प्राइवेट कॉलेजों की बढ़ती फीस पर आप क्या कहेंगे?

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कलेक्टर का जवाब- जो लक्ष्य मुश्किल न हो उसमे मज़ा नहीं है. इसलिए लक्ष्य बनाएं और खुद को मौका दें. एक प्लान बी ज़रूर रखें, मेहनत कभी बर्बाद नहीं होती, निश्चित तौर पर परिणाम अच्छे होंगे.

सवाल- मध्यम वर्गीय परिवार के बच्चे के जब साल के 6-7 लाख रुपये लगते हैं और वो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाता तो वह हिम्मत हारने लगता है. ऐसी स्थिति में वह क्या करे?

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कलेक्टर का जवाब- आपके परिवार ने आपको यहां इसलिये भेजा है ताकि आपका भविष्य सुंदर और सुखद हो. उनके लिए आपका होना सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है. इसलिए कोशिश करें कि खुद के एटेम्पट की सीमा रखें. आज के दौर में हर क्षेत्र में रोज़गार  एवं कामयाबी के बहुत अवसर हैं. अवसरों को पहचानें और क्षमता अनुसार मेहनत करें. खुद को परिवार के खर्च के तनाव में ना रखें क्योंकि आपका होना ही आपके माता पिता का सबसे बड़ा सुख है.

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सवाल- पढ़ाई के तनाव को कैसे दूर करें? 

कलेक्टर का जवाब- संगीत सुनें, माता पिता, भाई बहन से नियमित बात करें, लंबी गहरी सांस लें, तनाव की उम्र कभी लंबी नहीं होती. कुछ क्षण खुद को संभाल लें और दिन को छोटे हिस्सों में बांटकर पढाई करें. मुश्किल टॉपिक्स को पहचानें, उनके टेस्ट दें, उस पर पर ज़्यादा समय दें. एग्जाम में रिविजन की महत्वपूर्ण भूमिका है इसलिए रिविजन ज़रूर करें.

सवाल- आप चिकित्सा सेवा छोड़कर यूपीएससी में कैसे और क्यों आए?

कलेक्टर का जवाब- डॉक्टर के तौर पर जब एक गरीब परिवार की स्वास्थ्य समस्या के अलावा अन्य मजबूरियां देखीं तब लगा की वहां सेवा का सीमित दायरा था. यहां एक बड़े दायरे में सेवा करने के अवसर के कारण यूपीएससी की तरफ रुख किया.

सवाल- इंट्रोवर्ट छात्रों को कई तरह की समस्याएं होती हैं ऐसे में उन्हें क्या करना चाहिए?

कलेक्टर का जवाब- यह मानवीय व्यक्तिव का हिस्सा है और ऐसे छात्रो में भटकाव कम होता है. इसलिए उनके लिए कामयाब होना आसान है.

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