नागौर: स्वास्थ्य योजना का सच! पीड़ित ने इलाज के लिए घर बेचा, बच्चों ने छोड़ा स्कूल, सरकार से नहीं मिली मदद

Kesh Ram

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नागौर: स्वास्थ्य योजना का सच! पीड़ित ने इलाज के लिए घर बेचा, बच्चों ने छोड़ा स्कूल, सरकार से नहीं मिली मदद
नागौर: स्वास्थ्य योजना का सच! पीड़ित ने इलाज के लिए घर बेचा, बच्चों ने छोड़ा स्कूल, सरकार से नहीं मिली मदद
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Nagaur: नागौर जिले मे गहलोत सरकार की चिरंजीवी बीमा योजना का सच सामने आया है. आज हम खींवसर उपखंड के पांचोंड़ी के रहमान की दुख भरी कहानी आपको बता रहे हैं. रहमान अपनी पत्नी और 3 बच्चों के साथ खींवसर में किराए के मकान में रहता है. रहमान पहले प्लम्बर का काम करता था. 2021 में खींवसर में काम करते समय अचानक पैर फिसला और नीचे गिर गया. सिर के ऊपर चोट लगने से नीचे के आधे अंगों ने काम करना बंद कर दिया. तब से वह बिस्तर पर है. इतना ही नहीं रहमान की पत्नी अलका भी गुर्दे में पथरी होने के कारण बीमार है. रहमान अपनी माता-पिता के इकलौती संतान हैं. इलाज में काफी पैसे ज्यादा खर्च हो गए, फिर भी इलाज नहीं हुआ. मां-बाप ने इलाज के लिए घर भी बेच दिया फिर भी इलाज के नाम पर पैसे के चलते मां बाप ने किनारा कर दिया.

तंगी में 3 बच्चों का पालन-पोषण कर रहा परिवार

पीड़ित रहमान के 3 बच्चे हैं, सबसे बड़ा जो कि 9 साल का है, सबसे छोटा वह ढाई साल का है. पिता बीमार होने से पढ़ाई भी छूट गई और घर पर रहते हैं. रहमान का कहना हैं कि हर महीने करीब 10 से 20 हजार की दवाई आती हैं. घर में तो खाने के लाले पड़ रहे हैं. पत्नी वह भी बीमार हैं, ऐसे में केवल घर का और इलाज का खर्चा में गांव के लोग और रिश्तेदार उठा रहे हैं. इसलिए पढ़ाई छुड़ानी पड़ी गई.

मुख्यमंत्री चिरंजीवी बीमा योजना का कोई लाभ नहीं

रहमान के गिरने के बाद जोधपुर के निजी अस्पताल में 6 माह तक इलाज चला. इलाज के नाम पर लाखों रुपए खर्च हो गए. फिर डॉक्टर ने यह कहकर छुट्टी दे गई जब ठीक होना होगा तो अपने आप ही ठीक हो जाएगा. फिर अहमदाबाद इलाज करवाने की बात की. तो घर बेचना पड़ा. अब खींवसर में किराए के मकान में रहकर अपना जीवन यापन कर रहे हैं. पीड़िता का आरोप है कि मुख्यमंत्री चिरंजीवी बीमा योजना के नाम पर उनको कोई सुविधा नहीं मिल रही है.

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