कथावाचक अनिरुद्धाचार्य ने दिया विवादित बयान, कहा- बेटियां फिल्में देखने जाती हैं, इसलिए होते हैं 35 टुकड़े
Aniruddhacharya Controversial Statement: प्यार, विश्वास और भरोसे का खौफनाक मंजर दिल्ली में हुए श्रद्धा हत्याकांड से सबके सामने आया. जिसमें आरोपी प्रेमी आफताब ने श्रद्धा की दर्दनाक हत्या करके उसके शरीर को कई टुकड़ों में काटकर जंगल में फेंक दिया. जिसके बाद पूरे देश में जघन्य केस की चर्चा जोरों पर है. इसको लेकर अलग […]
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Aniruddhacharya Controversial Statement: प्यार, विश्वास और भरोसे का खौफनाक मंजर दिल्ली में हुए श्रद्धा हत्याकांड से सबके सामने आया. जिसमें आरोपी प्रेमी आफताब ने श्रद्धा की दर्दनाक हत्या करके उसके शरीर को कई टुकड़ों में काटकर जंगल में फेंक दिया. जिसके बाद पूरे देश में जघन्य केस की चर्चा जोरों पर है. इसको लेकर अलग तरह की बहस छिड़ी हई है. अब इसी केस को लेकर अनिरुद्धाचार्य महाराज ने विवादित टिप्पणी की है, जिसमें उन्होंने लड़कियों को लेकर कहा है कि पढ़ाई लिखाई के बाद सिनेमाघरों में फिल्में देखने जाती हो इसलिए टुकड़े-टुकड़े होते हैं.
दरअसल जयपुर के स्टेच्यू सर्किल पर होटल हवेली गार्डन में आयोजित भागवत कथा में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य महाराज ने यह विवादित टिप्पणी की है. अनिरुद्धाचार्य महाराज ने कथा को संबोधित करते हुए भक्तों को बताया कि अपने घर की बेटियां परिवार से पढ़ने-लिखने की कहकर घर से बाहर शहरों में फिल्मे देखने और पॉपकॉर्न खाने चली जाती है. फिर एक दिन बिना बताए घर से ही चली जाती हैं और उसके 35 टुकड़े हो जाते हैं. अब यदि बेटियों को 35 टुकड़े होने से बचाना है तो उन्हें संस्कारवान बनाओ.
उन्होंने आगे कहा कि बच्चे पैदा करना बड़ी बात नहीं है. बच्चे तो जानवर भी पैदा कर लेते हैं. बड़ी बात होती है उन्हें संस्कार देना. गलती माता-पिता की है, जो बच्चों को संस्कारित नहीं करते. इसलिए बेटियों को पढ़ाने-लिखाने के साथ संस्कारी भी बनाएं ताकि समाज में कुरीतियों का अंत किया जा सके. नहीं तो ऐसे खौफनाक दृश्य देखने को मिलते रहेंगे.
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बता दें कि गोविंद देवी इंदरलाल डेरेवाला मेमोरियल चेरिटेबल ट्रस्ट और श्री गौरी गोपाल सेवा संस्था समिति के तत्वावधान में जयपुर में गुरुवार से भागवत कथा चल रही है. जिसमें कथा व्यास वृंदावन धाम के अनिरुद्धाचार्य महाराज कथा कर रहें हैं. स्व. इंदरलाल डेरेवाला की 25वीं पुण्यतिथि की स्मृति में हो रही इस कथा में 19 दिसंबर को बाल लीला, माखनचोरी, गोवर्धन पूजा और छप्पन भोग के वाचन के दौरान अनिरुद्धाचार्य महाराज ने यह टिप्पणी की.
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