दुनिया की दूसरी बड़ी दीवार से घिरा है यह Fort, जबकि किसी किले में बिना किराए के रहते हैं लोग, जानें राजस्थान से जुड़े रोचक तथ्य
राजस्थान के ऐतिहासिक किलों का अनुभव वास्तव में अद्भुत होता है. आइए हम आपको बताते हैं इन किलों के बारे में जिनका दीदार करना आपके लिए अद्भुत अनुभव साबित हो सकता हैं .
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देश में अनेक ऐतिहासिक धरोहर हैं. जिनका समृद्ध और रोचक इतिहास रहा हैं. लेकिन राजस्थान (Rajasthan News) के ऐतिहासिक किलों का अनुभव वास्तव में अद्भुत होता है. इनमें से कुछ प्रमुख किले हैं जैसे चित्तौड़गढ़, जयगढ़, आमेर, सोनार किला, रणथंभौर किला और कुंभलगढ़. ये किले राजपूतों और मुगलों की शानदार वास्तुकला और अद्भुत कारीगरी का प्रतीक है. इन्हें देखकर आपको ऐतिहासिक गौरव की कहानी और विरासत का अहसास होगा. अगर आप ऐतिहासिक धरोहरों को देखने का मन बना रहें है. लेकिन यह तय नहीं कर पा रहे हैं कि पहले कौनसे किले देखें, तो आइए हम आपको बताते हैं इन किलों के बारे में जिनका दीदार करना आपके लिए अद्भुत अनुभव साबित हो सकता हैं .
75 फीट ऊपर पहाड़ी पर स्थित है जैसलमेर का सोनार किला
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भारत में बहुत से फोर्ट हैं और उनका रोचक इतिहास भी काफी समृद्ध हैं, अगर सबसे बड़े किलों कि बात करें तो उनमें से एक हैं जैसलमेर (Jaisalmer News) का सोनार किला. थार के सुनहरे परिदृश्य में स्थित होने की वजह से इसे सोनार किला कहते हैं. जैसलमेर के इस फोर्ट का निर्माण राजा रावल जैसल ने 1156 ईस्वी में करवाया था. यह गगनचुम्बी किला जमीन से 75 फीट ऊपर पहाड़ी पर स्थित है. ऐसा माना जाता है कि इसे फोर्ट के निर्माण के समय ही जैसलमेर की नींव भी रखी गई थी. जैलमेर शहर के हर एंगल से यह किला दिखाई देता है. यह किला बलुआ पत्थर से बना है, जिसकी वजह से सूर्यास्त के समय सोने की तरह चमकता है. खास बात यह है कि हजारों परिवार इस रेगिस्तानी किले में एक भी पैसा किराया दिए बिना रह रहे हैं.
यहां तालाबों से 50 हजार सैनिकों के लिए 4 साल तक होती थी पानी की आपूर्ति
चितौड़गढ़ (Chittorgarh News) फोर्ट देश के सबसे बड़े किलों में से एक हैं और इतना ही रोचक हैं यहां का इतिहास. यह किला लगभग 700 एकड़ जमीन पर फैला हैं और एक समय यह मेवाड़ की राजधानी हुआ करती थी. ऐसा माना जाता है कि 7वीं सदी में मौर्य शासक द्वारा इस किले का निर्माण करवाया गया था. इस फोर्ट में 65 ऐतिहासिक संरचनाएं हैं, जिनमें से 4 महल परिसर, 19 मुख्य मंदिर, 4 स्मारक और 22 जल निकाय शामिल हैं. चितौड़गढ़ दुर्ग में 7 दर्शनीय दरवाजे और कई मंदिर भी हैं.
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ऐसा कहा जाता हैं कि चितौड़गढ़ किले में बनें तालाबों से 50,000 सैनिकों के लिए 4 साल तक पानी की आपूर्ति हो सकती थी और इन जल निकायों की संख्या लगभग 84 थी. यह किला जौहर कुंड के लिए जाना जाता है, पहला जौहर रानी पद्मिनी ने 16,000 दासियों के साथ किया था. और 16 वी सदी में रानी कर्णावती ने 13,000 दासियों और रानी फुलकंवर ने हजारों दासियों के साथ जीवित अग्नि समाधी ली थी. आज देश दुनियाँ के हजारों पर्यटक इसे देखने आते हैं.
महाराणा प्रताप की जन्मस्थली है यह किला
कुंभलगढ़ फोर्ट को 15वीं सदी में बनाया गया था और यहीं महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था. यह फोर्ट उदयपुर से लगभग 60 किलोमीटर की दूरी पर है. चित्तौडग़ढ़ किले के पतन के बाद उदयपुर मेवाड़ की नई राजधानी बन गया था और इस किले का निर्माण राणा कुंभा ने करवाया था. इस किले की विशाल दीवार करीब 38 किलोमीटर में फैली है, जो चीन की सबसे बड़ी दीवार के बाद दुनिया की सबसे लम्बी दीवार है. यह मेवाड़ के लिए दूसरा सबसे अहम किला था. यह फोर्ट चारों तरफ से पहड़ियों से घिरा है और समुद्र तल से करीब 1,914 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चोटियों पर बना है.
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यहा मौजूद है दुनिया की सबसे बड़ी तोप
जयगढ़ किले का निर्माण महाराजा सवाई जयसिंह द्वितीय ने 1880-1922 के मध्य किया था और यह फोर्ट जयपुर से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं. मुख्यतौर पर इस किले का निर्माण आमेर फोर्ट को दुश्मनों से बचाने के लिए किया गया था. चील का टीला पहाड़ी पर स्थित यह किला मुगलशासकों का प्रमुख तोपखाना हुआ करता था. इस किले की बनावट मध्यकालीन भारत की झलक देता हैं और यह 100 फीट ऊंचाई पर स्थित है. इस फोर्ट की विशाल दीवारें करीब 3 किलोमीटर में फैली हैं और इन दीवारों को बलुआ पत्थरों से बनाया गया हैं.
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जयगढ़ किला सुरंगों के जरिए आमेर किले से जुड़ा हुआ है. यहां दुनिया की सबसे बड़ी जयबान तोप भी रखी हैं और बड़ा आकर होने के बाद भी किसी भी युद्ध में इसका इस्तेमाल नहीं किया गया.
सैलानियों की मेहमान नवाजी करता है फोर्ट
राजस्थान के सबसे लोकप्रिय किलों में से एक रणथंभौर फोर्ट. यह फोर्ट प्रदेश के सबसे बड़े रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान में स्थित है. ऐसा माना जाता हैं कि इसे दसवीं शताब्दी के मध्य में बनाया गया था. आपको बता दें, रणथंभौर राष्ट्रीय उद्यान भारत को आजादी मिलने तक जयपुर के महाराजाओं का शिकारगाह हुआ करता था. इन दिनों ये फोर्ट हजारों सैलानियों की मेहमान नवाजी करता हैं और पर्यटक किले में बने मंदिरों के दर्शन करते हैं.
हिंदू-मुस्लिम वास्तुकला की गवाह है ये इमारत
जयपुर के आमेर फोर्ट को अंबर पैलेस भी कहा जाता हैं. यह किला जयपुर शहर से 11 किलोमीटर दूर एक पर्वत पर स्थित है. ऐसा माना जाता है कि 1592 ईस्वी में राजा मानसिंह इस फोर्ट का निर्माण करवाया था. यह फोर्ट बलुआ पत्थर और संगमरमर से बनाया गया है. यह हिंदू और मुस्लिम वास्तुकला के लिए जाना जाता है. आमेर फोर्ट में बहुत से दर्शनीय दरवाजे और छोटे-छोटे तालाब बने हुए हैं. मावोता झील आमेर किले के लिए पानी का मुख्य स्रोत हुआ करता था.
(राजस्थान तक के लिए इंटर्न कर रहे मुकेश कुमार की स्टोरी)
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