Rajasthan News: 4 साल बाद राजस्थान के जंगलों में हो रही वन्यजीवों की गणना, अब पता चलेगा सही आंकड़ा!

विशाल शर्मा

ADVERTISEMENT

Rajasthantak
social share
google news

राजस्थान के टाइगर रिजर्व में इन दिनों गणना शुरू हो गई है. जयपुर के झालाना लेपर्ड और आमागढ लेपर्ड रिजर्व में यह गणना की जा रही है. जहां तमाम वन्यजीव अभयारण्य और संरक्षित वन क्षेत्रों में मॉनिटरिंग हो रही है. इसके लिए परम्परागत रूप से वाटर होल पद्धति अपनाई जा रही है, जिसके तहत वनकर्मी मचान पर बैठकर जंगल के वाटर पॉइंट पर पानी पीने आने वाले वन्यजीवों की फोटो एविडेंस के साथ कैमरे में कैद कर रहे हैं. ताकि वन्यजीव की प्रजाति और उसके जेंडर का सही निर्धारण हो सके.

दरअसल, इस गणना का मकसद वन्यजीवों की सही संख्या का पता लगाना है. क्योंकि राजस्थान (Rajasthan News) के जंगलों में बीते कुछ वर्षों में वन्यजीवों की मौत के बाद वास्तविक आंकड़ों पर सवाल उठते रहते हैं. लेकिन इस बात का जवाब वन विभाग के पास भी नहीं होता था.

 

 

अब 4 साल बाद वन विभाग ने वन्यजीवों की गणना का फैसला किया है. प्रदेश के जंगलों में हजार से ज्यादा वाटर पॉइंट पर वनकर्मी 24 घंटे कैमरा ट्रैप के जरिए वन्यजीवों की मॉनिटरिंग कर रहे हैं. ताकि उनकी सटीक गणना हो सकें. 

कोविड और बिन मौसम बरसात के चलते नहीं हो पाई मॉनिटरिंग

मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक पीके उपाध्याय ने बताया कि 23 मई सुबह से शुरू हुई वन्यजीव गणना में 24 घंटे वनकर्मी और वॉलिंटियर्स वन्यजीवों की काउंटिंग कर रहे हैं. वन्यजीव गणना की वन मुख्यालय से मॉनिटरिंग की जा रही है और इसकी रिपोर्ट फिर आगे भेजी जाएगी. काफी समय से कोरोना और फिर बिन मौसम बरसात की वजह से वाटर होल पद्धति से वन्यजीव गणना नहीं हो पाई थी. ऐसे में इस बार की यह गणना अहम है. उम्मीद जताई जा रही है कि वन्यजीवों के आंकड़ों में बढ़ोतरी हो सकती है.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

गौरतलब है कि राजस्थान के जंगलों में मुख्यतः बाघ, बघेरा, रेगिस्तानी लोमड़ी, मरु बिल्ली, जरख, सियार, भेड़िया, भालू, चिंकारा, कृष्ण मृग, गोडावन, सियागोश जैसे कई वन्यजीवों की सभी प्रजातियां शामिल है. इसमें मांसाहारी, शाकाहारी और रेप्टाइल्स श्रेणियों में गणना की जा रही है. इस बार राजस्थान में वन्यजीवों का आंकड़ा 3 लाख के पार रहने की संभावना है.

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT