हैवानियत की शिकार 200 लड़कियां, दरगाह के खादिमों पर संगीन आरोप, फिर खुलेगी फाइल!

राजस्थान तक

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200 girls victims of brutality, serious allegations against the officials of the dargah, file will be opened again!

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साल 1992 का वो ब्लैकमेल काण्ड जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। ये कहानी है उस जुर्म की जिसमें स्कूल-कॉलेज की लड़कियों को साजिश के तहत सेक्स स्कैंडल के जाल में फंसाया गया। और ऐसा फंसाया कि एक के बाद एक 17 से 20 साल की मासूम लड़कियां इस भयानक ट्रैप में फंसती चली गई। एक लड़की के साथ 20-20 लड़के दरिंदगी करते थे। कहते हैं तब मुजरिमों के जाल में फंस चुकी लड़कियों की अश्लील तस्वीरों को मार्केट में बेचा भी जाता था। नतीजा ये हुआ कि ब्लैकमेलिंग और यौन शोषण झेल रही उन दर्जनों लड़कियों में से कई तो जिल्लत की दहशत में फांसी के फंदे पर भी झूलती चली गईं। आपको बताएं कि साल 1992 की इस रुह कंपा देने वाली वारदात की आंच अजमेर दरगाह के खादिमों तक भी पहुंची थी। कई नेताओं पर भी आरोप लगने लगे थे। अब 3 दशक बाद अजमेर ब्लैकमेल काण्ड का ये मामला फिर गर्मा रहा है। ब्लैकमेल काण्ड पर जुलाई में एक फिल्म रिलीज होने जा रही है। जिसे लेकर दावा किया जा रहा है कि ये फिल्म 1992 में अजमेर में हुए इसी ब्लैकमेल काण्ड की सच्ची घटनाओं पर आधारित है। इसे लेकर अब खादिम समुदाय के साथ मुस्लिम समाज की कई संस्थाओं ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। अजमेर दरगाह अंजुमन कमेटी के सचिव सरवर चिश्ती ने मीडिया से बातचीत में कहा की पहले कश्मीर फाइल्स, उसके बाद द केरला स्टोरी और अब अजमेर फाइल्स 92 बनाई जा रही है। ये एक खास समुदाय को टारगेट करने की कोशिश है। और जब शिकायत सिर्फ 12 लड़कियों ने दी थी तो फिल्म में 250 क्यों बताया जा रहा है। फिल्म में अजमेर शरीफ की दरगाह का जिक्र क्यों किया जा रहा है। और जब लड़कियों के ब्लैकमेलिंग में और भी लोग शामिल थे तो केवल खादिम का नाम ही क्यों लिया जा रहा है।

बहरहाल अब बड़ा सवाल यही है कि इतने बड़े काण्ड के 30 साल बीत जाने के बाद भी पीड़ितों को न्याय क्यों नहीं मिला। और ना ही सारे आरोपियाों को पकड़ा गया। लंबी-चौड़ी जांच और कोर्ट की कार्रवाई के बाद 17 आरोपी बने जिनमें से 16 को पहले उम्रकैद दी गई और उसे भी बाद में घटाकर 10 साल कर दिया गया। आज अजमेर ब्लैकमेल काण्ड की पीड़ित लड़कियों में से कोई नानी बन चुकी हैं कोई दादी, लेकिन उम्र की इस दहलीज में भी उन्हें इंतजार है तो बस इंसाफ का।

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