टेंशन छोड़ चिंतन में जुटी महारानी, बीएल संतोष दे रहे जीत का मंत्र, आपसी मनमुटाव होंगे दूर !

राजस्थान तक

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सवाई माधोपुर में बीजेपी के सारे नेता चिंतन-मंथन में जुटे हैं, चुनाव कैसे जीतना है, इसकी रणनीति तय हो रही है, लेकिन चुनावी साल में कांग्रेस ने जो कर दिखाया जिसकी उम्मीद शायद किसी को नहीं रही होगी, आलाकमान ने राजस्थान में कांग्रेस नेताओं को इतनी अच्छी तरह से समझा दिया कि गुटबाजी और खेमेबाज़ी कहां गई पता ही नहीं चला। अब राजस्थान में कांग्रेस एकजुट है, अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक बार फिर से एक हो चुके हैं, चुनावी मैदान में साथ उतरने जा रहे हैं, ये सब देखकर शायद बीजेपी थोड़ा टेंशन में गई है। लिहाजा अब बीजेपी ने भी बीएल संतोष को राजस्थान भेजा है ताकि पार्टी में खींचतान को पूरी तरह से खत्म कर नेताओं को एकजुट कर चुनाव के लिए तैयार किया जा सके। राजस्थान में बीजेपी भी चुनानी रण में उतर चुकी है। राजनाथ, नड्डा, शाह और मोदी के दौरे के बाद से ही प्रदेश बीजेपी के सारे नेता जोश में हैं। राजस्थान फतेह करने के लिए बीजेपी अपना विजय रथ तैयार कर रही है, इस रथ का सारथी कौन होगा, इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है, लेकिन बीजेपी अपने इस रथ को मोदी के नाम पर रफ्तार देने में जुट गई है। वैसे पिछले साढ़े चार साल से बीजेपी में रहते हुए भी वसुंधरा राजे किसी ना किसी बहाने से बीजेपी से दूरी बनाकर रखतीं थीं, पार्टी की ज्यादातर बैठकों में वसुंधरा राजे पहुंच ही नहीं पातीं थीं, जिसकी वजह वो अपनी बहू की बीमारी बताती रही हैं। लेकिन अब चुवान से कुछ महीने पहले वसुंधरा अपनी पार्टी के लिए खुलकर मैदान में उतर चुकी हैं। हो सकता है इसमें महारानी की कोई सियासी महत्वाकांक्षा भी हो, पार्टी के बड़े नेताओं की रैलियों में भी वसुंधरा राजे बढ़चढ़कर हिस्सा लेती हैं । उदयपुर में अमित शाह ने तो खुद राजे का भाषण करवाया, हालाकि बीकानेर में तस्वीर कुछ और ही नजर आई, लेकिन तमाम उतार-चढ़ाव के बीच महारानी अपने दिल में उम्मीद की एक किरण के साथ डटी हैं। चिंतन बैठकों का दौर चल रहा है। 2023 के विधानसभा चुनाव को लेकर पूर्वी राजस्थान में बीजेपी के सारे दिग्गज एक जाजम पर दिखे। दो दिनों की चिंतन बैठक में बीजेपी के तमाम नेता ये रणनीति बनाते दिखे कि राजस्थान में किन मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाया जाए, कैसे मौजूदा सरकार को घेरा जाए, क्यों कि राजस्थान में अशोक गहलोत सरकार ने इतनी योजनाएं चला रखी हैं, जिनका नाम भी शायद बीजेपी के नेताओं को याद नहीं होगा। सवाई माधोपुर में बीजेपी के तमाम पदाधिकारी जुटे दिखे। बीजेपी के राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष की अगुवाई में प्रदेश बीजेपी की दो दिनों की बड़ी अहम बैठक आयोजित की गई। बीकानेर में मोदी के दौरे के फौरन बाद ही ये बैठक पूर्व निर्धारित थी। इसके पहले ऐसी बैठक सितम्बर 2021 में हुई थी, उस दौरान बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनियां थे, अब प्रदेश बीजेपी की कमान सीपी जोशी संभाल रहे हैं। कुछ दिन पहले ही प्रदेश की नई कार्यकारिणी घोषित की गई है। पूर्वी राजस्थानन में सवाई माधोपुर को ही बैठक के लिए क्यों चुना गया, इसके पीछे की वजह भी बड़ी अहम है. पिछली बार के विधान चुनाव में बीजेपी यहां से एक भी सीट नहीं जीत पाई थी। भरतपुर संभाग में कुल 19 विधान सभा सीटें हैं, लेकिन यहां बीजेपी के पास एक भी विधायक यहां पर नहीं है। भरतपुर, करौली, सवाईमाधोपुर, धौलपुर में बीजेपी को बुरी तरह हार मार मिली थी। ऐसे में क्षेत्रों में और मजबूत स्थिति बनाने के लिए बीजेपी यहां पर बैठक कर रही है। इस बार बीजेपी भी जातिगत समीकरणों पर पूरा फोकस कर रही है। टोंक-सवाईमाधोपुर के सांसद सुखबीर सिंह को पार्टी में उपाध्यक्ष की भी भूमिका दी गई है, टोंक और सवाई माधोपुर गुर्जर बाहुल क्षेत्र है, लिहाजा बीजेपी अब गुर्जर वोटों को साधने के लिए भी कई दिग्गज नेताओं को मैदान में उतार रही है। पूर्वी राजस्थान में गुर्जर नेता विजय बैंसला भी अच्छी पकड़ मानी जाती है। ऐसे में बीजेपी अपने विजय रथ पर विजय बैंसला को भी बिठाने की पूरी कोशिश करेगी।

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