कोरोना में हुआ लाखों का नुकसान, घर छोड़कर जयपुर से धौलपुर पहुंची और कर दिया कमाल!

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Loss of lakhs in Corona, left home and reached Dhaulpur from Jaipur and did wonders!

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राजस्थान के धौलपुर जिले के बाड़ी उप खंड के खोरपुरा गांव के रहने वाले इंजिनियर ने अपनी पत्नी के सहयोग से करीब तीन बीघा बंजर पड़ी भूमि पर अंजीर,फालसा,सफेद जामुन,आम,चीकू,लाल कटहल,अमरुद,मौसम्मी,संतरा,आंवला,सफ़ेद और लाल चन्दन समेत दस वैरायटी के पौधे लगाएं। बागवानी में अब फलो के पौधों में फल आना शुरू हो गए हैं और बागवानी को देखने के लिए आस-पास के लोग आ रहे हैं। बता दें कि कोरोना वैश्विक महामारी के दौरान जब देश में लगे लॉक डाउन के कारण लोगों के रोजगार छिन गए गए थे और लोग घरों में कैद होकर रह गए थे.लोगो के रोजगार धंधे बंद होने से वह अपने गांव और घरो को लौट आये थे.इस दौरान लोगो के धंधे तो बंद हो ही गये थे,साथ ही उन्हें काफी परेशान भी होना पड़ा था.जो लोग अपने गांव लौटे और जिनके पास जमीन थी.उन लोगो ने जमीनों पर खेतीवाड़ी कर नए नए प्रयोग शुरू कर अपना रोजगार बना लिया था.कोरोना की रफ़्तार कम होने पर जब लॉक डाउन ख़त्म हुआ तो कुछ लोग अपने अपने रोजगार धंधो पर वापस चले गए थे,लेकिन कुछ लोगो ने कोरोनाकाल में अपने गांवों में खेतीवाड़ी में नए नए प्रयोग कर नया रोजगार ढूंढा तो वह लोग गांव में ही रह कर लाखों रूपये कमा रहे हैं. हम बात कर रहे हैं धौलपुर जिले के बाड़ी उप खंड के खोरपुरा गांव के रहने वाले एक कैमिकल इंजिनियर और उनकी पत्नी की.केमिकल इंजिनियर शम्भूदयाल मीणा पेशे से कोचिंग संचालक और जयपुर में ग्रेविटी फाउंडेशन के नाम से अपनी खुद की कोचिंग सेंटर चलाते हैं। कोचिंग सेंटर के संचालन में शम्भूदयाल मीणा की पत्नी चेतना सिंह भी सहयोग करती थी.लेकिन तीन साल पहले जब देश में कोरोना वैश्विक महामारी फैली तो देश में लॉकडाउन लग गया और रोजगार धंधे बंद हो गए थे.कोचिंग सेंटर बंद होने के बाद कैमिकल इंजिनियर शम्भूदयाल मीणा और उनकी पत्नी चेतना सिंह अपने गांव खोरपुरा लौट आए। गांव लौटने पर शम्भूदयाल मीणा का उनके पिता रिटायर्ड पोस्टमास्टर और पूर्व सरपंच हाकिम सिंह मीणा ने उनका हौसला बढ़ाया। शम्भूदयाल मीणा ने अपने पिता हाकिम सिंह और अपनी पत्नी चेतना सिंह से सलाह मशविरा करने के बाद खाली पड़ी करीब तीन बीघा बंजर जमीन पर कोरोना काल के दौरान बागवानी लगाने की तैयारी शुरू कर दी.बागवानी के लिए शम्भूदयाल मीणा और उनकी पत्नी चेतना सिंह ने जयपुर में तैनात कस्टम इन्स्पेक्टर विकास कुमार मीणा और अपने पिता हाकिम सिंह के सहयोग से आंध्र प्रदेश की राजमुदड़ी नर्सरी से ऑर्डर देकर अंजीर,फालसा,सफेद जामुन,आम,चीकू,लाल कटहल,अमरुद,मौसम्मी,संतरा,आंवला,सफ़ेद और लाल चन्दन समेत दस वैरायटी के एक सौ पचास पौधे मंगवाए और खाली जमीन की मिट्टी में पशुओं के गोबर से तैयार खाद को मिलाकर बागवानी शुरू कर दी। चेतना सिंह ने बताया कि कस्टम इन्स्पेक्टर विकास कुमार मीणा उनके पति शम्भूदयाल मीणा के मित्र हैं और बागवानी की तैयारी में सबसे ज्यादा सहयोग विकास कुमार मीणा ने किया हैं। जिनको बागवानी और पौधों की वैरायटी के बारे में काफी जानकारी है.कस्टम इन्स्पेक्टर विकास कुमार ने समय-समय पर आकर कैमिकल इंजीनियर शंभूदयाल मीणा और उनकी पत्नी चेतना सिंह को पौधों के बारे में जानकारी दी और पौधों को कौन सी खाद कब डालनी हैं,इसकी भी जानकारी देते रहे.जिसके चलते आज बंजर भूमि पर बागवानी के पौधे तैयार हो चुके हैं और उनमें फल आना भी शुरू हो चुके हैं.बागवानी में शंभूदयाल मीणा के छोटे भाई नीरज कुमार मीणा ने भी सहयोग किया है.तीन साल बाद आज बाड़ी के छोटे से गांव खोर पुरा में फलों की बागवानी तैयार है.जिसे देखने के लिए आसपास के लोग पौधों को और उनमें आ रहे फलों को देखने आ रहे हैं। चेतना सिंह ने बताया कि लगाए गए 150 पौधों में से 85 प्रतिशत बड़े हो गए हैं और उनमे फल आना शुरू हो चुका है.

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