Alwar में छात्रों का फूटा गुस्सा, University की छत पर चढ़कर नारेबाजी, CM के फैसले का हर तरफ विरोध!
Students’ anger erupted in Alwar, sloganeering on the roof of the University, protest against CM’s decision everywhere!
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Students’ anger erupted in Alwar, sloganeering on the roof of the University, protest against CM’s decision everywhere!
प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाने के आदेश दिए। इसके बाद से लगातार पूरे प्रदेश में छात्र संगठन व छात्र मुख्यमंत्री के फैसले के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं। सोमवार को अलवर में छात्र विश्वविद्यालय की छत पर चढ़ गए और मुख्यमंत्री के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया। स्टूडेंटों ने कहा कि मुख्यमंत्री डर गए हैं, इसलिए उन्होंने चुनाव पर रोक लगाई है। अगर चुनाव में गड़बड़ी होती है। तो सरकार को उस गड़बड़ी पर रोक लगानी चाहिए। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बीते दिनों एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि छात्र संघ चुनाव में लाखों रुपए खर्च होते हैं। इसलिए प्रदेश में होने वाले छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाई जाती है। छात्र संघ चुनाव पर लगी रोग के विरोध में अलवर मत्स्य विश्वविद्यालय में छात्रों ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। बड़ी संख्या में छात्र विश्वविद्यालय की छत पर चढ़ गए और मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ नारे लगाए। छात्रों ने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत डर गए हैं। इसलिए उन्होंने चुनाव पर रोक लगाई है। जब भी मुख्यमंत्री डरते हैं तो वो हमेशा पुलिस को आगे कर देते हैं। हाल ही में जयपुर में स्टूडेंटों पर लाठी चार्ज किया गया। इसमें 17 से ज्यादा स्टूडेंट घायल हुए। सरकार को डर है कि विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस को स्टूडेंट चुनाव में करारी हार मिलेगी। इसलिए सरकार ने तुरंत चुनाव पर रोक लगाई। क्योंकि बीते साल चुनाव में मुख्यमंत्री के गृह जिले जोधपुर में एनएसयूआई हार गई थी। इसके बाद मुख्यमंत्री की खासी किरकिरी हुई थी। छात्र संघ चुनाव पर रोक लगाते हुए सरकार की तरफ से दलील दी गई कि उच्च शिक्षा संस्थानों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की क्रियान्वित की स्थिति और विश्वविद्यालयों की विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम जारी करने की तैयारी है। चालू सत्र के लिए प्रवेश की स्थिति बजट घोषणाओं की क्रिया विधि तथा छात्र संघ चुनाव और लिंगदोह समिति की सिफारिशों की पालना आदि विषयों पर विचार विमर्श करने के लिए 12 अगस्त को एक बैठक हुई। इसमें उच्च शिक्षा विभाग के प्रशासनिक नियंत्रण अधिकारी व विश्वविद्यालय के कुलपति व अन्य पदाधिकारियों द्वारा छात्र संघ चुनाव नहीं करने का फैसला लिया। इस दौरान कहा गया की 180 दिवस के दौरान कोर्स पूरा करना चुनौती पूर्ण है। हाई कोर्ट के निर्देशानुसार न्यूनतम 75 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। जबकि छात्र संगठन और स्टूडेंट सरकार के इस दलील का विरोध कर रहे हैं। स्टूडेंट ने कहा की सरकार नहीं चाहती कि छात्र संघ चुनाव हो। क्योंकि विधानसभा चुनाव नजदीक है। छात्र संघ चुनाव के परिणाम का विधानसभा चुनाव पर भी असर पड़ेगा। छात्र संघ चुनाव में एबीपी अन्य निर्दलीय प्रत्याशियों का दबदबा रहता है। मत्स्य विश्वविद्यालय के छात्रों ने कहा कि वो कई साल से चुनाव की तैयारी कर रहे हैं। ऐसे में सरकार द्वारा अचानक इस साल रोक लगा दी गई है। अगर चुनाव में किसी भी तरह की गड़बड़ी होती है। तो उसके लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए। पुलिस प्रशासन को उसकी जांच पड़ताल करनी चाहिए। अगर चुनाव में प्रत्याशी ज्यादा खर्च करते हैं। तो उसके लिए भी नियम कायदे बने हुए हैं। लेकिन चुनाव पर रोक लगाना पूरी तरह से गलत है। चुनाव में गलत करने वालों के खिलाफ पुलिस द्वारा भी एक्शन लिया जाना चाहिए। छात्रों ने कहा कि मत्स्य विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर द्वारा चुनाव नहीं कराने का समर्थन करते हुए सरकार को पत्र भेजा है। स्टूडेंट ने विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर पर भी गंभीर आरोप लगाए। ऐसे में मत्स्य विश्वविद्यालय परिसर में कई घंटे तक हंगामा होता रहा। मामले की गंभीरता को देखते हुए पुलिस बुलाई गई। छात्रों को समझा कर विश्वविद्यालय की छत से नीचे उतारा गया। इस दौरान एजेंटों ने जमकर प्रदेश के मुख्यमंत्री और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।
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