क्या है सचिन का अगला कदम, खामोशी के पीछे कौन सा तूफान?

राजस्थान तक

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What is Sachin’s next step, what is the storm behind the silence?

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What is the next plan of Sachin Pilot: कभी टोंक, तो कभी झुंझुनूं में सचिन पायलट ने पिछले दिनों कई दौरे किए. पिता की पुण्यतिथि पर जब दौसा में भी सचिन ने कह दिया कि वो अपनी बात पर पहले भी कायम थे आगे भी अडिग रहेंगे. सचिन पायलट गहलोत का सीधे तौर पर नाम तो नहीं लेते दिखे, लेकिन वसुंधरा की ओर इशारा कर फिर से सीएम की ओर उंगली जरूर उठा दी थी. इधर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी राजस्थान में दौरे पर दौरे किए जा रहे हैं. अपने काम गिनवा रहे हैं. नई पुरानी सारी योजनाओं का लाभ जनता तक जल्दी-जल्दी पहुंचाने की कोशिश में हैं, शायद गहलोत जी को ऐसा लगता है कि उन्होंने अपने कार्यकाल में जो कुछ किया है, उसके बारे में कम से कम जनता को पता लगना चाहिए, तभी तो इस बार वाले चुनाव में सीना ठोंककर वोट मांगा जाएगा. वैसे अशोक गहलोत अब जितनी तेजी से काम कर रहे हैं शायद उतनी तेजी अगर पहले दिखाई होती, तो अब इस तरह से एक ही दिन में चार पांच दौरे नहीं करने पड़ते.

फिलहाल सचिन पायलट शांत हैं, वैसे शांत रहना सचिन का स्वभाव भी है, लेकिन पायलट ऐसे वक्त में शांत क्यों है जब प्रदेश में चुनाव आ रहा है. आमतौर पर ये समय इतना कीमती होता है कि नेता किसी ना किसी बहाने जनता के संपर्क में ही रहना चाहते हैं. लेकिन पायलट ने ना जाने क्यों सन्नाटा खींच रखा है. शायद वो राहुल गांधी के विदेश से लौटने के इंतजार में हैं ताकि जब राहुल लौटें तो कोई ऐसा फैसला कर दें. जिससे पायलट को भी परेशानी ना हो और गहलोत को भी दिक्कत ना आने पाए.

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खैर ये सब कहना और सोचना अब तो ख्याली पुलाव सा लगने लगा है, क्यों कि दोनों नेताओं का रिश्ता ही ऐसा है. जितनी बार जोड़ा जाता है उतने ज्यादा टुकड़े हो जाते हैं. अशोक गहलोत और सचिन पायलट की इसी सियासी दुश्मनी का फायदा अब तक बीजेपी उठाती रही है और अब तो आम आदमी पार्टी वाले अरविंद केजरीवाल भी सचिन के कंधे पर बंदूक रखकर अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे पर एक साथ निशाना लगा गए.

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