Rajasthan: विधायकों की 25 सितंबर को बगावत पर CM गहलोत ने किया ये खुलासा, बोले- अध्यक्ष बनना चाहता था
Ashok Gehlot spoke openly on the incident of 25 September: राजस्थान कांग्रेस में जारी फेस वार के बीच सचिन पायलट का सबसे बड़ा दर्द 25 सितंबर की घटना पर हाईकमान का अभी तक ‘नो एक्शन’ है. पायलट कई मौके पर इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि गहलोत गुट ने उस दिन सीधे आलाकमान […]

Ashok Gehlot spoke openly on the incident of 25 September: राजस्थान कांग्रेस में जारी फेस वार के बीच सचिन पायलट का सबसे बड़ा दर्द 25 सितंबर की घटना पर हाईकमान का अभी तक ‘नो एक्शन’ है. पायलट कई मौके पर इस बात का जिक्र कर चुके हैं कि गहलोत गुट ने उस दिन सीधे आलाकमान को चुनौती दी थी. वो इस बात का इंतजार कर रहे हैं कि आलाकमान उन विधायकों पर कब एक्शन लेगा जो इसमें शामिल थे.
इस बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लल्लन टॉप के खास शो ‘जमघट’ में 25 सितंबर की घटना का जिक्र का एक खुलासा किया है. गहलोत ने कहा कि ये परेशप्शन बिल्कुल गलत है कि मैं कांग्रेस का अध्यक्ष नहीं बनना चाहता है. ये परशेप्शन लोगों में आज भी है और इसका मुझे बहुत दुख है. साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि उस घटना के बाद मैंने सोनिया जी से सॉरी फील किया. इसका मुझे दुख है. उन्होंने मुझे 3 बार मुख्यमंत्री बनाया. मेरे प्रति अपनत्व रखा.
मेरा अध्यक्ष बनना तय था- गहलोत
सीएम गहलोत ने कहा- मेरा अध्यक्ष बनने का तय हो गया था. दो दिन बाद फॉर्म भरना था. परसेप्शन गया लोगों के अंदर कि मैं सीएम बना रहना चाहता था. मैं अध्यक्ष बनना नहीं चाहता था. ये परशेप्शन आज भी है. इसका दुख तो मुझे जिंदगी भर रहेगा. कांग्रेस अध्यक्ष से मैंने क्या कहा वो हम दोनों के बीच की बात है. सोनिया गांधी जानती हैं कि मेरा नेचर क्या है?
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इसके आगे मेरा कहना ठीक नहीं होगा- गहलोत
अशोक गहलोत ने कहा- जब मैं पहुंच तो डोटासरा और खाचरियावास आए. तो पता चला कि सब इकट्ठे हो रहे हैं. वे वहां समझाने के लिए गए. इसके बाद क्या हुआ मुझे मालूम नहीं है. इसके बाद का बोलना मेरे लिए ठीक नहीं है. राजस्थान में कांग्रेस हमेशा हाईकमान के साथ रही है.
ये है पूरा मामला
जयपुर में 25 सितंबर को बुलाई गई विधायक दल की बैठक का गहलोत गुट के विधायकों ने बहिष्कार कर दिया. केवल बैठक का ही बहिष्कार नहीं किया बल्कि कहा गया कि कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक यानी 19 अक्टूबर तक ये गुट किसी भी मीटिंग में शामिल नहीं होगा. इसके साथ शर्तें भी रख दी कि सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही सीएम बने. दूसरी शर्त ये थी कि सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाए. तीसरी शर्त भी रखी कि जो भी नया मुख्यमंत्री हो, वो गहलोत की पसंद का ही होना चाहिए.
बैठक का बहिष्कार कर की दूसरी बैठक
25 सितंबर को राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर विधायक दल की बैठक बुलाई गई. इस बैठक के लिए पार्टी ने राजस्थान प्रभारी अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा. इधर गहलोत समर्थक विधायकों ने बगावत बुलंद कर दी और बैठक से पहले अपनी अलग मीटिंग की. मंत्री शांति धारीवाल के घर पर विधायक जुटे. इस बैठक के बाद गहलोत खेमे के विधायक विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर पहुंचे और करीब 80 से ज्यादा विधायकों ने पायलट के सीएम बनाए जाने के विरोध में अपना इस्तीफा सौंप दिया.