Exclusive: हनुमान बेनीवाल-कांग्रेस मिलकर जाटलैंड में कर सकते हैं बड़ा खेल? CSDS की इस रिपोर्ट में बड़ा दावा

गौरव द्विवेदी

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Rajasthan: कांग्रेस ने 3 सीटों पर घोषित किए उम्मीदवार, नागौर में RLP के साथ किया गठबंधन, देखें पूरी लिस्ट
Rajasthan: कांग्रेस ने 3 सीटों पर घोषित किए उम्मीदवार, नागौर में RLP के साथ किया गठबंधन, देखें पूरी लिस्ट
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पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सरकार की योजनाओं के जरिए एक बार फिर सत्ता में आने के लिए जोर लगाया. इसके लिए सोशल इंजीनियरिंग का सहारा लिया. चुनावी साल आते-आते कई बोर्ड में राजनैतिक नियुक्तियां और नए जिलों के गठन के ऐलान भी हुआ. लेकिन उनका यह दांव हर तरह से विफल साबित हुआ और विपक्ष में बैठी बीजेपी को अगले 5 साल के लिए बहुमत मिला.

चुनाव परिणाम को लेकर एक्सपर्ट्स ने दावा किया कि छोटे दलों के साथ कांग्रेस (Congress) अगर गठबंधन करती तो राजस्थान (Rajasthan) की सत्ता में पार्टी की वापसी हो जाती है. लेकिन इस गठबंधन के फॉर्मूले को अब लोकसभा चुनाव से पहले अपनाया जा रहा है. आरएलपी, सीपीएम और ऐन मौके आते-आते BAP के साथ भी गठबंधन की बात कह दी. हालांकि प्रत्याशियों के पर्चे वापस लेने के चलते यह मुमकिन नहीं हुआ. 

इस बीच एक रिपोर्ट सामने आई है जिसके मुताबिक जाटलैंड में गठबंधन का फॉर्मूला कांग्रेस को बढ़त दे सकता है. CSDS का अनुमान है कि जाट वोट का फायदा इस बार कांग्रेस को मिल सकता है. जिसके चलते 3 से 4 सीटों पर अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिल सकते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले साल हुए राजस्थान विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के 16 और बीजेपी के 13 प्रत्याशी जीतकर आए.

आरएलपी-कांग्रेस गठबंधन का मिलेगा फायदा?

सीएसडीएस के Post-Poll पोस्ट सर्वे के तौर पर आगामी लोकसभा चुनाव एक स्टडी की है. इस रिपोर्ट में राजस्थान विधानसभा-2023 के चुनाव परिणाम को आधार बनाया गया है. सीएसडीएस के समन्यवक (राजस्थान) प्रो. संजय लोढ़ा का कहना है कि लोकसभा चुनाव में आरएलपी और कांग्रेस का गठबंधन सफल हो सकता है. अगर वोट ट्रांसफर में ईमानदारी रही तो जाटलैंड में बीजेपी की संभावना कम रह जाएगी. कांग्रेस का परंपरागत वोट बैंक माने जाने वाले इस समाज के साथ आने का असर जाटलैंड की 3 सीट पर देखने को मिलेगा. जिससे कांग्रेस को बीजेपी पर बढ़त हासिल कर सकती है. ऐसी स्थिति में बाड़मेर, नागौर, सीकर, झूंझुनु और चूरू पर अप्रत्याशित परिणाम देखने को मिल सकते हैं.

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दरअसल, साल 2018 विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस और बीजेपी को 30-30 फीसदी के करीब जाट वोट मिला था. जबकि बाकी वोट अन्य के खाते में गया. प्रो. लोढ़ा के मुताबिक इस बार के विधानसभा चुनाव में जाट वोट का 20 फीसदी हिस्सा कांग्रेस और 31 फीसदी बीजेपी को गया. जबकि 49 फीसदी जाटों ने अन्य को वोट दिया, जिसमें एक बड़ा वोट शेयर आरएलपी का है. 

इस वजह से RLP को मिला जाट वोट

अहम बात यह है कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए का हिस्सा रही आरएलपी को बीजेपी से अलग होने का फायदा मिला. किसान आंदोलन के दौरान हनुमान बेनीवाल ने बीजेपी से अलग होने का फैसला किया, जिसका फायदा साफ तौर पर विधानसभा चुनाव में देखने को मिला. इसी के चलते शेखावाटी और मारवाड़ में आरएलपी को अच्छा खासा वोट मिला.

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पूर्वी राजस्थान में बीजेपी की कम नहीं मुसीबत!

जाट समाज के दबदबे का अंदाजा इस बात से ही लगाया जा सकता है कि  जाट वोटर 50 से 60 विधानसभा सीटों पर असर डालते हैं. दरअसल, हनुमानगढ़, गंगानगर, बीकानेर, चुरू, झुंझनूं, नागौर, जयपुर, चित्तोड़गढ़, अजमेर, बाड़मेर, टोंक, सीकर, जोधपुर और भरतपुर जाट बहुल इलाके हैं. खास बात यह है कि सिर्फ मारवाड़ या शेखावाटी में ही नहीं, बल्कि भरतपुर-धौलपुर संसदीय क्षेत्र का जाट भी बीजेपी से नाराज दिख रहा है. जिलों के जाटों को केंद्र के ओबीसी वर्ग में आरक्षण की मांग को लेकर महापड़ाव तक किया गया. उस दौरान केंद्र और राज्य सरकार से वार्ता का दौर भी चला. हालांकि इस बातचीत में कोई ठोस परिणाम सामने नहीं आया. जिसके बाद जाट आरक्षण संघर्ष समिति का ऑपरेशन गंगाजल शुरू किया और लोगों के हाथ में गंगाजल देकर बीजेपी को वोट न देने की कसम दिलाई.

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