कोटाः थ्रेसर की चपेट में आ गई 6 साल की बच्ची, ब्रेन का हिस्सा नष्ट, डॉक्टर्स ने जटिल ऑपरेशन को दिया अंजाम

Kota News: थ्रेसर की चपेट में आने के बाद एक बच्ची इतनी बुरी तरह से घायल हो गई. जिसके बाद ब्रेन का बाहरी हिस्सा नष्ट हो गया और संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया. बावजूद इसके डॉक्टर ने बखूबी इस सर्जरी को अंजाम दिया और करीब 40 दिन तक भर्ती रहने के बाद अब बच्ची स्वस्थ […]

कोटाः थ्रेसर की चपेट में आ गई 6 साल की बच्ची, ब्रेन का हिस्सा नष्ट, डॉक्टर्स ने जटिल ऑपरेशन को दिया
कोटाः थ्रेसर की चपेट में आ गई 6 साल की बच्ची, ब्रेन का हिस्सा नष्ट, डॉक्टर्स ने जटिल ऑपरेशन को दिया
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Kota News: थ्रेसर की चपेट में आने के बाद एक बच्ची इतनी बुरी तरह से घायल हो गई. जिसके बाद ब्रेन का बाहरी हिस्सा नष्ट हो गया और संक्रमण का खतरा भी बढ़ गया. बावजूद इसके डॉक्टर ने बखूबी इस सर्जरी को अंजाम दिया और करीब 40 दिन तक भर्ती रहने के बाद अब बच्ची स्वस्थ है. जल्द ही उसे हॉस्पिटल से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा.

यह पूरा मामला है 30 मार्च का. जब कोटा के लाडपुरा निवासी 6 साल की दिव्यांशी रात को खेलते-खेलते थ्रेसर की चपेट में आ गई. जिसकी वजह से लड़की के बाल उसमें फंस गए और वह गंभीर रूप से घायल हो गई. उसके सर के बाल, चमड़ी और हड्डी अलग हो गई थी और ब्रेन का बाहरी हिस्सा (ड्यूरामेटर) भी नष्ट हो गई. घायल होने के बाद बच्ची के मामा न्यू मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल लेकर आए, जहां से उसे एमबीएस अस्पताल रेफर किया गया था.

बच्ची की परिवार की आर्थिक स्थिति भी अच्छी नहीं थी और प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराने के पैसे भी उनके पास नहीं थे. जिसके बाद बच्ची को गंभीर अवस्था में कोटा के एमबीएस अस्पताल लाया गया. जहां पर सर्जरी करने का फैसला लिया और 4 घंटे की सर्जरी हुई. डॉक्टरों ने मल्टीडिसीप्लिनरी अप्रोच से काम करते हुए इस बच्ची की जान बचाई और इस बच्ची की सर्जरी में न्यूरो सर्जन, प्लास्टिक सर्जन और ऑर्थोपेडिक सर्जन के डॉक्टर्स की टीम ने काम किया. डॉक्टर्स ने उसकी जांघ की परत से उसके ब्रेन को कवर किया. 

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ऑपरेशन करीब 4 घंटे चला और सर्जरी के दौरान इस बच्ची को दो यूनिट ब्लड चढ़ाया गया. बच्ची की कोहनी की हड्डी में भी फैक्चर था, जिसका भी ऑपरेशन किया. न्यूरो सर्जन डॉ. एसएन गौतम ने बताया कि हमने पहली बार इस तरह से मल्टीडिसीप्लिनरी अप्रोच से काम किया और एक ही स्टेज में सारे डिपार्टमेंट्स ने मिलकर इस बच्ची की सर्जरी में योगदान दिया. बच्ची को जब अस्पताल लाया गया था तो उसकी स्थिति बेहद नाजुक थी. जल्द ही इसको अस्पताल से डिस्चार्ज किया जाएगा.

बहुत जटिल था ऑपरेशन, संक्रमण की भी थी आशंका
घायल अवस्था में बच्ची को 30 मार्च की रात को 10 बजे अस्पताल लाया गया था. अगली सुबह 31 मार्च को डॉ. सीमा मीणा, डॉ. कल्प शांडिल्य, डॉ. बनेश जैन, डॉ. कनिष्क गोयल की टीम ने इस जटिल ऑपरेशन को अंजाम दिया. बच्ची के ब्रेन की सारी परतें हटने की वजह से इस बच्ची का ब्रेन पूरी तरह खुल गया था. जिससे संक्रमण का भी खतरा था. डॉक्टर्स ने इस बच्ची के जांघ की स्कीन को लेकर उस पर से ब्रेन को पूरी तरह कवर किया. सिर की दूसरी जगह की चमड़ी को भी उस घाव के पास लगाया गया. बच्ची के ब्रेन की सारी परतें हटने की वजह से इस बच्ची का ब्रेन पूरी तरह खुल गया था. जिससे संक्रमण का भी खतरा था. डॉक्टर्स ने इस बच्ची के जांघ की स्कीन को लेकर उस पर से ब्रेन को पूरी तरह कवर किया. सिर की दूसरी जगह की चमड़ी को भी उस घाव के पास लगाया गया.

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