जयपुर: 9 वर्ष की काश्वी के हैरतअंगेज कारनामे, दोनों आंखें बंद कर पढ़ देती है किताबें, देखें रिकॉर्ड्स
Jaipur: जयपुर में एक 9 साल की बच्ची काश्वी पारीक ने अपनी लग्न और मेहनत से करिश्मा कर दिखाया है. काश्वी अपनी दोनों आंखे बंद कर तीसरी आंख यानी मिड ब्रेन से हैरत भरे कारनामें कर सबको चौंका देती है. आंख बंद करके किताब पढ़ने की बात हो या फिर किसी कार्ड सीट को छूकर […]

Jaipur: जयपुर में एक 9 साल की बच्ची काश्वी पारीक ने अपनी लग्न और मेहनत से करिश्मा कर दिखाया है. काश्वी अपनी दोनों आंखे बंद कर तीसरी आंख यानी मिड ब्रेन से हैरत भरे कारनामें कर सबको चौंका देती है. आंख बंद करके किताब पढ़ने की बात हो या फिर किसी कार्ड सीट को छूकर उसमें रंग भरने की. काश्वी ऐसे कारनामें कर अब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवा चुकी है.
जयपुर के सिरसी कॉलोनी की रहने वाली 9 वर्षीय काश्वी पारीक को ब्लाइंडफोल्ड के बाद किताब पढ़ने से लेकर बारीक से बारीक चित्रों में रंग भरने और स्केच तैयार करने में महारत हासिल है. आंख पर पट्टी बांधकर किताब की रीडिंग हो या फिर चित्र में बारीकी के साथ रंग भरते देख एकबारगी तो यह कारनामा करते हुए देखकर हर कोई जुबान से यह कहता है कि यह कैसे मुमकिन है. काश्वी स्केचिंग, पेंटिंग और कलर इनके अलावा ब्लाइंडफोल्ड होकर रेडिंग कर लेती है. यहां तक की वह अंधेरे में भी किसी शख्स के पहने हुए कपड़ों का रंग बता देती है.
इसको लेकर काश्वी पारीक ने बताया कि इसके लिए उन्होंने कोच की मदद ली और उनके जरिए पहले ध्यान केंद्रित करना सिखाया गया और उसके बाद मस्तिष्क के केंद्र बिंदु पर ध्यान केंद्रित करते हुए चीजों को जानने की कला भी सिखाई गई. ब्लाइंडफोल्ड के जरिए चीजों को पहचानने और समझने की कला का हुनर सीखने में करीब 2 महीने का वक्त लगा. इसके बाद अब इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स बनाया हैं जिसको लेकर उन्हें काफी ख़ुशी है. अब उसने एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स के लिए भी अप्लाई किया है.
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काश्वी की इस उपलब्धि पर उनके परिजन भी इस कामयाबी पर खासा खुश हैं. सभी घर वालों ने मिलकर काश्वी को इसके लिए मानसिक रूप से तैयार किया और बराबर मेहनत की थी. पोती के इस कारनामे पर गर्व भरे आंसुओं को समेटे उसके दादा प्रह्लाद सहाय ने बताया कि पोती ने हमारा नाम रोशन किया है और सभी को गौरवान्वित किया है, इस पर सभी को गर्व है. इसके लिए हमने पहले ही सोच लिया की लीक से हटकर कुछ अलग सिखाए. इसी मकसद से काश्वी को कोच के पास भेजा था और बहुत अल्प समय में उसने इस कला को सीखा. पोती की इस कामयाबी पर वह खासा गौरवान्वित है. वहीं काश्वी के पिता राहुल पारीक ने बताया कि बेटी काश्वी पारीक ने हाल ही में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज करवाया है. काश्वी स्केचिंग, पेंटिंग और कलर इनके अलावा ब्लाइंडफोल्ड होकर रेडिंग कर लेती है. इसके लिए उसे स्पेशल कोचिंग करवाई गई है.
बता दें कि ये कोई चमत्कार नहीं है ये एक पद्धति है जिसे ब्लाइंडफोल्ड कहा जाता है. यह एक ऐसा फॉर्मूला है जिससे दिमाग का तीसरा हिस्सा यानि मिड ब्रेन काम करना शुरू कर देता है. इसमें मेडीटेशन और लगातार अभ्यास की जरूरत होती है. ब्लाइंडफोल्ड में सबसे पहले किसी भी शख्स का मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी होता है. इस विधि में आंख पर कॉटन रखने के बाद कसकर पट्टी बांधी जाती है, ताकि किसी भी शख्स की आंखों पर अंधेरा प्रभावी हो जाए. इसके बाद ब्लाइंडफोल्ड व्यक्ति को अपने मस्तिष्क के मध्य भाग पर ध्यान केंद्रित करना होता है. जिसके जरिए ललाट पर चैतन्य भाग के जरिए बाहरी हिस्से की गतिविधियों और वातावरण का आभास होने लगता है. इसके लिए आमतौर पर 90 दिन की ट्रेनिंग के सेशन होती हैं जहां रोजाना करीब 4 घंटे का अभ्यास करना होता है. इसी की लग्न में लीन होकर काश्वी ने यह करिश्मा किया है.
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