राजस्थान के सियासी रण पर केजरीवाल की नजर, बीजेपी-कांग्रेस का बिगाड़ेगी खेल या तीसरा मोर्चा बनेगी AAP? जानें

Rajasthan News: गुजरात के बाद केजरीवाल की नजर अब राजस्थान पर है. साल 2023 में प्रदेश के सियासी रण में उतरने के लिए आम आदमी पार्टी कमर कस रही है. इसे लेकर दिल्ली में मंथन जारी है. राष्ट्रीय महामंत्री और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक इस बैठक में अहम भूमिका निभाएंगे. राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव […]

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Rajasthan News: गुजरात के बाद केजरीवाल की नजर अब राजस्थान पर है. साल 2023 में प्रदेश के सियासी रण में उतरने के लिए आम आदमी पार्टी कमर कस रही है. इसे लेकर दिल्ली में मंथन जारी है. राष्ट्रीय महामंत्री और राज्यसभा सांसद संदीप पाठक इस बैठक में अहम भूमिका निभाएंगे. राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश प्रभारी विनय मिश्रा के साथ रणनीति को लेकर चर्चा होगी. प्रदेश प्रभारी का जिम्मा संभालने के बाद विनय मिश्रा भी पिछले साल से लगातार सक्रिय बने हुए हैं. वहीं, आईआईटी दिल्ली के छात्र रहे संदीप पाठक पर केजरीवाल लगातार भरोसा दिखा रहे हैं. पंजाब और हिमाचल प्रदेश में सह प्रभारी के बाद गुजरात जैसे सूबे में चुनावी रणनीति को पाठक ने ही दिशा दी और अब राजस्थान की रणनीति पर भी बैठक ले रहे हैं.

भाजपा-कांग्रेस का विकल्प बताने वाली आप खुद को भले ही तीसरे विकल्प के तौर पर पेश करने की कोशिश में है. लेकिन राजस्थान में हनुमान बेनीवाल की आरएलपी भी तीसरे मोर्चे की लड़ाई में पीछे नहीं है. दक्षिण राजस्थान में भारतीय ट्राइबल पार्टी यानी बीटीपी के साथ आप के गठबंधन की चर्चाओं ने भी जोर पकड़ा. हालांकि इन कयासों को लेकर पार्टी ने कोई स्पष्ट राय नहीं दी. इन सबके बीच आप के लिए चुनौतियां भी कम नहीं है.

तस्वीरः राजस्थान तक

पार्टी का चेहरा कौन, संगठन को खड़ा करना भी चुनौती
महज साल भर से भी कम समय बचा है जब जल्द ही मरूधरा के रण का बिगुल सुनाई देगा. भाजपा जहां राजस्थान में कई दिग्गजों की लड़ाई में उलझी है तो कांग्रेस हाईकमान भी कह चुका है कि पार्टी राजस्थान में बिना चेहरे के चुनाव में उतरेगी. दूसरी ओर आप का इतिहास देखें तो पंजाब हो या गुजरात, पार्टी फेस वॉर की लड़ाई में हमेशा खुद को आगे रखती है. दिल्ली में लोकप्रिय चेहरा और सूबे के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बाद पंजाब में कॉमेडियन भगवत मान के चेहरे पर विधानसभा चुनाव लड़ा.

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संगठन विस्तार में जुटी पार्टी के सामने चुनौती चेहरे को लेकर भी होगी. अब आप किस चेहरे के दम पर राजस्थान में कांग्रेस-भाजपा को चुनौती देगी, यह देखना दिलचस्प होगा. हालांकि पार्टी ने संगठन विस्तार के दौरान राजस्थान में ज्यादा से ज्यादा पूर्व नौकरशाह या समाजसेवियों को जोड़ने पर फोकस किया. फिलहाल ना तो आम आदमी पार्टी के पास अभी मजबूत संगठन है और ना ही जमीनी पहुंच.

पंजाब के बाद राजस्थान में कांग्रेस को चुनौती दे पाएगी आप?
पंजाब में कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के बाद अब आप राजस्थान में कांग्रेस को चुनौती देगी. दिलचस्प है कि सूबे की खींचतान को शांत करने के लिए कांग्रेस ने पंजाब के पूर्व डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा को प्रभारी बनाया है. सवाल यही है कि क्या रंधावा के लिए पंजाब की लर्निंग काम आएगी या आप फिर यहां कमाल कर पाने में सफल हो पाएगी?

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