राजेंद्र राठौड़ को इतना कुछ बोल लेने के बाद अब डोटासरा क्यों कह रहे- कुछ नहीं बोलूंगा?

Vijay Chauhan

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राजेंद्र राठौड़ को इतना कुछ बोल लेने के बाद अब डोटासरा क्यों कह रहे- अब नहीं बोलूंगा?
राजेंद्र राठौड़ को इतना कुछ बोल लेने के बाद अब डोटासरा क्यों कह रहे- अब नहीं बोलूंगा?
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Govind singh dotasra on Rajendra rathore: राजस्थान की सियासत में इन दिनों राजेंद्र राठौड़ और गोविंद सिंह डोटासरा के बीच सोशल मीडिया पर एक दूसरे के खिलाफ वार काफी चर्चा में है. शायराना अंदाज में दोनों नेताओं ने एक दूसरे को भला-बुरा कहने में कोई कसर नहीं छोड़ी. सोशल मीडिया पर ये सब थमने के बाद अचानक गोविंद सिंह डोटासरा कह रहे हैं- सौगंध खाकर आया हूं, राजेंद्र राठौड़ के खिलाफ अब कुछ नहीं बोलूंगा.

मामला चूरू का है. यहां टाउन हॉल में जिला कांग्रेस कमेटी की ओर से लोकसभा चुनाव व भारत जोड़ो न्याय यात्रा को लेकर कार्यकर्ता संवाद कार्यक्रम हुआ. कार्यक्रम में राजस्थान के कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने कार्यकर्ताओं से कहा कि अगर इस बार लोकसभा चुनाव में चूक हो गई तो प्रदेश में फिर से कोई पर्ची वाला आ जाएगा.

डोटासरा ने पेपर लीक मामले पर कहा कि भाजपा ने हमारी सरकार पर बहुत आरोप लगाए, लेकिन अब तो उनकी ही सरकार है. यदि हमने कोई कार्रवाई नहीं की है और अब गलत है तो जांच करें. कार्यक्रम में डोटासरा ने केंद्र और राज्य की भाजपा सरकार पर जमकर प्रहार किए.

राठौड़ मेरे बड़े भाई हैं- डोटासरा

इधर गोविंद सिंह डोटासरा ने कहा कि वे सौगंध खाकर आए हैं. राजेंद्र राठौड़ के खिलाफ अब कुछ नहीं बोलेंगे. डोटासरा ने आगे कहा- वे मेरे बड़े भाई हैं, उनसे राम-राम और जय श्रीराम होने के बाद अब आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला थम चुका है.

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ऐसे शुरू हुई थी दोनों नेताओं में बहस

दरअसल, डोटासरा ने 31 जनवरी को एक पीसी में सीएम भजनलाल शर्मा के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री जी पूछ रहे थे कौन-सी चक्की का आटा खाते हैं जो 4-4 आरएएस बन गए? तारानगर से लड़ने वाले नेताजी (राजेंद्र राठौड़) से पूछ लीजिए कौन-सी चक्की का आटा खाया. वे ही पूछते थे कौन-सी चक्की का आटा खाया है, अब उनसे पूछ लीजिए. इसी के बाद राठौड़ ने भी जवाब दिया. जिसके बाद दोनों में ठन गई.

यहां देखिए दोनों में सिलेसिलेवार आरोप-प्रत्यारोप

राजेंद्र राठौड़ ने डोटासरा के इस बयान के बाद सोशल मीडिया X पर लिखा- ‘इतना भी गुमान ना कर अपनी जीत पर ऐ बेखबर, शहर में तेरी जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं। सीकर वाले नेताजी, इतना भी अहंकार ठीक नहीं है। हार और जीत एक सिक्के के दो पहलू है। अभी एक परीक्षा और बाकी है। युवा आज भी पूछ रहे हैं – एक ही परिवार से 4-4 आरएएस बनना संयोग था या प्रयोग ? युवाओं के सपनों के सौदागरों को माफ नहीं किया जाएगा। जवाब तो देना ही पड़ेगा।

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फिर डोटासरा ने दिया जवाब

इसपर डोटासरा ने लिखा- ‘गलतफहमी ना पाल, ये जनता का पर्चा है. तेरे सिर्फ़ टोल, बजरी, भूमाफिया होने की चर्चा है.
काश.. अवैध अड्डों से इतर तारानगर वाले नेताजी की जनता में भी चर्चा रहती तो जवाब सदन में मिलता। और हां.. अहंकार नहीं, स्वाभिमान है! हमारे यहां बच्चों को मेहनत करने और पढ़ने की शिक्षा दी जाती है, टोल, बजरी और शराब के धंधे की नहीं।
अगली परीक्षा के लिए शुभकामनाएं।’

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इसपर राठौड़ का आया ये जवाब

‘बेरोजगारों का पर्चा लीक करने में भी मेहनत होती है, यह अजीबोग़रीब कहानी आपकी अदा से ही क्यों बयाँ होती है. गरीबों के सपने कुचलने में कैसा स्वाभिमान ? गफलतों में डूबी तुम्हारी जिंदगी में नफरत की आग जमा है। गली गली में चर्चे है तेरे “क़लामों” के, पर “कलामों” के पन्नों पर कई दाग जमा है। राजनीति में आलोचना-समालोचना जमकर करो, लेकिन ये गुंजाइश रहे कि मर्यादाहीन भाषा आने वाली पीढ़ी को हिबा ना हो और जब कभी नजरें मिले तो हम शर्मिंदा ना हों…’

डोटसरा ने दिया ये जवाब

‘अपने पे बात आए तो मर्यादा याद आए, औरों पर झूठे लांछन लगाएं तो सारी मर्यादा भूल जाएं। कीचड़ उछालकर कीचड़ से कौन बचा है, मर्यादित रहना ही मर्यादा का उसूल सच्चा है। माफिया के ‘दाग़’ में कब तक ओढ़ोगे शराफ़त, फिर कहता हूं….आलोचना और आरोप के फ़र्क में रखो ज़रा नज़ाकत। जिन बच्चो ने दिन रात मेहनत कर आपकी सरकार के समय RAS परीक्षा पास की, उनकी मेहनत पर खिल्ली उड़ाकर झूठे आरोप 3 साल से लगा रहे हो, सिर्फ झूठा हल्ला मत मचाओ, है दोनों जगह सरकार तुम्हारी दिल खोलकर जांच करवाओ।’

राठौड़ ने फिर क्या पलटवार

हाँ, मैं मानता हूँ लांछनबाज़ी में मैं क्या, कोई भी आपका मुक़ाबला कर ही नहीं सकता। इसलिए मुझे इस प्रतियोगिता में आपके साथ कभी भी शामिल नहीं समझें। आपकी यह “विशेषज्ञता” आपको ही मुबारक…..आपको माफिया की याद अब आयी ? पाँच साल में आपकी सरकार को क्या सन्निपात हो गया था ? जारोली, कटारा, केसावत, राणावत सबने किया था जो भ्रष्टाचार ,
तब दागदारों की क्यों नहीं करवाई जांच, आरपीएससी की प्रतिष्ठा पर भी आई थी आंच। युवाओं के कलेजे में फंसी रही थी बेरोजगारी की फांस। मेहनत और प्रतिभा की खिल्ली किसने उड़ाई ?राजस्थान का हर प्रतियोगी छात्र जानता है…सब कुछ सामने आएगा, बस धैर्य रखिये। जिन बच्चों ने दिन रात मेहनत कर परीक्षा पास की , दुःख तो यही है कि वे तो बेचारे निराशा के घोर अंधेरे में डूब गये।
उजाले किनके हिस्से आये और क्यों आये – यह पूरा प्रदेश आज जान रहा है। इसी कथित “ मेहनत” और 4 -4 अभ्यर्थियों के एक जैसे नम्बर कैसे लाए जाए, का ही “फॉर्मूला” तो वे सभी गरीब बेरोज़गार पूछ रहे हैं , जो पेपर लीक से ठगे गए हैं। और हाँ, जाँच करवाने की यूँ चुनौतियाँ देने से कोई अपराध ख़त्म नहीं होता। Remember – A Crime Never Dies. “ Be you ever so high, the law is above you.”

डोटासरा का फिर आया जवाब

‘ये Hit & Run Politics छोड़िये, अब विपक्ष में नहीं सरकार में हो आप। हाथ पर हाथ रखकर क्यों बैठे हो बेरंग,
अगर है दम, तो करके दिखाओ RPSC भंग, चाहे मर्जी जो लो एक्शन,पर बंद करो ये झूठा मिशन। किसानों के बच्चों पर ही छाती क्यों पिटते हैं स्वयंभू CM ! दबाने का दौर बीत चुका है, हमारे बच्चे पढ़ेंगे भी और कामयाब बनेंगे भी।’

इसपर राठौड़ ने कह दी ये बात

तुम्हारी और मेरी राहें अलग-अलग तो होनी ही है क्योंकि तुम जहां को जा रहे हो मैं वहीं से आ रहा हूं। 4 बार की जीत से ही अगर आपने स्वाभिमान और अहंकार के अंतर को भुला दिया, कहीं एक बार और जीत आए तो मोदी जी के बनाए सिक्स लेन हाइवे से आगरा ले जाना पड़ेगा। मुझे भी गर्व है कि आपसे दोगुनी बार जीतने के बाद भी विनम्रता अभी जीवंत है क्योंकि यह भाजपा है, छल प्रपंच का अखाड़ा नहीं। जरा होश की बात करो, अब यहां नाथी का बाड़ा नहीं। जो करा है, वो ही सर्टिफ़िकेट में भरा है, “मेहनत” से 4-4 अभ्यर्थियों के एक जैसे अंक लाने से पहले सोचना था कि नम्बर तो थोड़े कम ज़्यादा कर लेते…नहीं सोचा, चूक हुई , इसीलिए सर्टिफ़िकेट दिया गया है। इसका भी दोष दूसरों पर ? बच्चे सभी के पढ़ेंगे और कामयाब भी होंगे “बशर्ते” पिछले दरवाज़े से पास होने वाले “फॉर्मूला” बाज़ों से बच सके. “बशर्ते” किसी ख़ुदगर्ज़ के “कलाम” उनकी राह के रोड़े ना बने।

डोटासरा ने किया पलटवार

‘कौन कहां जाएगा और कौन कहां आएगा, ये वक्त का पहिया बताएगा। आपके बयानों के ओछेपन की मीनार में आगरा वाला अनुभव ख़ूब झलक रहा है, बात करते हैं विनम्रता की!! होती है जिनमें अदब और शिष्टता, वो दिखाते नहीं हीनता और निकृष्टता। जनैतिक रूप से ज़िंदा होने की सीढ़ी कोई और ढूंढिए। राम राम’

राठौड़ फिर चुप नहीं रहे, कह दी ये बात

‘तू इधर उधर की न बात कर बस ये बता, कि बेरोज़गारों के भरोसे के क़ाफ़िले क्यूँ लुटे, जो रहबर थे वे राहजन क्यों बने. फ़ाज़त ऐसी ना हो कि हफ़ीज़ ग़ायब हो जाए, दवा ऐसी ना हो कि मरीज़ ही ग़ायब हो जाए. लोकतंत्र की इस जंग में जीत चाहे हमारी हो या तुम्हारी, पर लफ़्ज़ ऐसे ना हों कि तमीज़ ग़ायब हो ज़ाए. बहरहाल अब आपकी “विशेषज्ञता” परवान चढ़ने लगी है. मानसिकता और भाषा की निम्नता साफ़ दिखने लगी है. यानि सभ्यता के लिए ख़तरे की घंटी बजने लगी है. जय श्री राम 🙏’

इनपुट: राजस्थान वेब डेस्क

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