बीजेपी में लोकप्रिय नेताओं में वसुंधरा राजे सबसे आगे, परिवर्तन यात्रा में पीछे क्यों हटे कदम?

गौरव द्विवेदी

ADVERTISEMENT

Rajasthantak
social share
google news

Vasundhara Raje’s popularity in Survey: कांग्रेस को सत्ता से बाहर करने के लिए प्रदेश में बीजेपी(bjp) की परिवर्तन यात्रा समापन की ओर है. लेकिन अब तक पार्टी के भीतर अनसुलझे सवाल है. सबसे बड़ा सवाल है कि विधानसभा चुनाव में फेस वॉर में कौन आगे निकलेगा? जहां पार्टी में एक और दावेदारों की फेहरिस्त लंबी है. वहीं, दूसरी ओर पूर्व सीएम वसुंधरा राजे (vasundhara raje) के खिलाफ पार्टी में लामबंदी की कोशिश भी किसी से छुपी नहीं है. अंदरूनी कयास लगाए जा रहे हैं कि इसी के चलते राजे ने भी पार्टी कार्यक्रम से दूरी बना ली है. हाल ही में उनके गढ़ झालावाड़ (jhalawar news) में जब बीजेपी की यात्रा पहुंची तो खुद पूर्व सीएम नदारद थीं.

खास बात यह है कि कई एजेंसियों के सर्वे में कांग्रेस को बढ़त दिख रही है. जिसके पीछे वजह साफ तौर पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के काम को बताया जा रहा है. तो सामने यह भी आया कि बीजेपी में वसुंधरा राजे ही लोकप्रिय नेता है. राजस्थान तक की इस खबर में बात बीजेपी के इसी अंदरूनी घमासान और पूर्व मुख्यमंत्री की स्थिति की.

राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अरुण चतुर्वेदी का कहना है कि बीजेपी के भीतर पिछले कुछ वर्षों से नया पैटर्न दिखने को मिल रहा है. जिसमें स्थानीय तौर पर प्रभावी नेताओं को पीछे करते हुए कुछ प्रयोग किए जा रहे हैं. हालांकि ऐसे प्रयोग हिमाचल और कर्नाटक में चुनावी परिणाम पर बुरा प्रभाव डाल गए. कर्नाटक में येदियुरप्पा को पीछे किया गया, जिसके चलते एक बड़े समुदाय की नाराजगी झेलनी पड़ी. ऐसा ही कुछ राजस्थान में भी देखने को मिल रहा है.

गहलोत के साथ 38% लोग, पायलट से आगे वसुंधरा

हाल ही में आईएएनएस- पालस्ट्रेट ने एक सर्वे कराया. जिसमें लोगों ने मुख्यमंत्री पद के लिए अपनी पसंद बताई है. सर्वे के दौरान 38 फीसदी लोगों ने सीएम अशोक गहलोत को सीएम पद के लिए सबसे पसंदीदा चेहरा बताया. पूर्व डिप्टी सीएम और सीडब्ल्यूसी सदस्य सचिन पायलट के साथ 25 फीसदी लोग हैं. जबकि इस लोकप्रियता के इस ग्राफ में वसुंधरा राजे का नाम सामने आया है. जिसमें 26% लोग राजे को अपनी पसंद बता रहे थे.

ADVERTISEMENT

यह भी पढ़ें...

एबीपी-सी वोटर सर्वे में शेखावत से काफी आगे राजे

वहीं, एबीपी-सी वोटर सर्वे की बात करें तो वसुंधरा राजे ने पार्टी के दिग्गज नेताओं को काफी पीछे छोड़ दिया. जब सवाल किया गया कि सीएम के रूप में लोग किसे देखना चाहते हैं तो यहां भी बाजी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने ही मारी. इसी सर्वे में पायलट, वसुंधरा राजे के अलावा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत और सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ का भी नाम शामिल किया गया था.

सर्वे के दौरान 35 फीसदी ने कहा कि वे अशोक गहलोत को सीएम देखना चाहते हैं. जबकि 19 प्रतिशत ने कांग्रेस नेता सचिन पायलट और 25 प्रतिशत लोगों ने वसुंधरा राजे के समर्थन में वोट किया. इस मामले में शेखावत के हिस्से 9 फीसदी और राज्यवर्धन राठौड़ के हिस्से में 5 फीसदी वोट आए.

ADVERTISEMENT

दावेदारों की लंबी फेहरिस्त!

इधर, पार्टी में दबी जुबान में ही मुख्यमंत्री पद के कई दावेदार नजर आए रहे हैं. जिसमें केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़, उप नेता प्रतिपक्ष सतीश पूनिया, सांसद दीया कुमारी, अर्जुन राम मेघवाल के साथ प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी का भी नाम भी इस इस दौड़ में शामिल है. दूसरी ओर, राजे के समर्थक लगातार उन्हें मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित करने की मांग पर अड़े हुए हैं.

ADVERTISEMENT

वागड़ में नई पार्टी की एंट्री, राजे की भी हैं पकड़!

वसुंधरा राजे के विकल्प के तौर पर पार्टी की तलाश एक सर्वमान्य चेहरे को लेकर है. जिसकी पकड़ पश्चिमी राजस्थान, हाड़ौती, शेखावटी से लेकर वागड़-मेवाड़ तक हो. जिसकी कहीं ना कहीं कमी दिख रही है. पार्टी के लिए इस क्षेत्र में कांग्रेस से ज्यादा बीटीपी ने घंटी बजा दी है. जिसका तोड़ ढूंढने में जुटी पार्टी को अब बीटीपी से जन्मी भारतीय आदिवासी पार्टी (BAP) से लड़ना होगा. जिसके लिए पार्टी के पास फिलहाल विकल्प नहीं दिख रहा है.

एक्सपर्ट्स मानते हैं कि हाड़ौती के गढ़ को साध चुकी राजे की जाटलैंड में जैसी पकड़ मानी जाती है, वैसा ही मामला दक्षिण राजस्थान में भी है. जिसके चलते साल की शुरुआत से ही वह दक्षिण राजस्थान यानी वागड़ के आदिवासियों के केंद्र बेणेश्वर में भी दौरे कर रही हैं. इस दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं से लेकर लोगों की काफी भीड़ भी दिखाई पड़ी. 

वसुंधरा राजे के समर्थक भी इस क्षेत्र में पूर्ववर्ती सरकार के कामकाज को गिनाने से पीछे नहीं है. क्योंकि राजे के कार्यकाल के दौरान ही संत मावजी महाराज का बेणेश्वर धाम में पेनोरमा, डूंगरपुर में मेडिकल कॉलेज और बांसवाडा को गोविन्द गुरु जनजातीय विश्वविद्यालय की सौगात मिली. साथ ही कई अन्य काम भी राजे सरकार ने इस क्षेत्र के लिए खास तौर पर किए. ऐसे में कहीं ना कहीं बीजेपी के लिए बिना वसुंधरा के इस गढ़ को भेदना आसान नहीं होगा.

पूर्वी राजस्थान में क्या है पायलट का तोड़?

दूसरी ओर, नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ के जरिए शेखावटी और मारवाड़ में शेखावत की मजबूती का फायदा लेने की कोशिश में दिख रही बीजेपी के मुश्किल कम नहीं है. पूर्वी राजस्थान में पिछले चुनाव में कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष पायलट के हाथों बुरी तरह से शिकस्त खा चुकी पार्टी के सामने पेंच कई हैं.

अलवर, भरतपुर, धौलपुर, करौली, टोंक, सवाई माधोपुर और दौसा की 39 विधानसभा सीटों में 2013 में बीजेपी ने सर्वाधिक 28 सीटें जीती थीं. जबकि पिछली बार बीजेपी को महज 4 सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था. कांग्रेस को 25, बसपा को 5, निर्दलीयों को 4 और एक सीट आरएलडी को मिली. बसपा का विलय कांग्रेस में हो गया. ऐसे में बीजेपी के लिए इस क्षेत्र में काफी परेशानी है.

यह भी पढ़ेंः
Rajasthan में OBC के लिए 6 फीसदी और आरक्षण का ऐलान चुनावी स्टंट?

    follow on google news
    follow on whatsapp

    ADVERTISEMENT