जिस शख्स पर बीजेपी ने नहीं किया भरोसा, उसी रवींद्र सिंह भाटी के इलाके में बीजेपी बना रही नए समीकरण!

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मात्र इतने रुपए जेब में लेकर चुनाव लड़ने निकले थे रविंद्र सिंह भाटी, यूं जीता शिव की जनता का दिल!
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Ravindra singh bhati: बीजेपी से बागी होकर निर्दलीय चुनाव लड़े रविंद्र भाटी (Ravindra singh bhati) ने इस विधानसभा चुनाव में इतिहास रच दिया. बतौर निर्दलीय जीत हासिल करने के साथ ही उन्होंने अब बीजेपी और कांग्रेस, दोनों की चिंताएं बढ़ा दी है.पहली बार विधानसभा चुनाव में कदम रखा तो कांग्रेस तीसरे और बीजेपी चौथे नंबर पर चली गई. बीजेपी के बागी युवा चर्चित चेहरे रविंद्र सिंह भाटी ने निर्दलीय उम्मीदवार फतेह खान को 3950 वोटों से हराकर जीत दर्ज की. जबकि इसी सीट पर बीजेपी के कैंडिडेट की जमानत जब्त हो गई.

वहीं, अब लोकसभा चुनाव फतेह करने के लिए बीजेपी ने पूरी कमर कस ली है. अपनी इस कमजोर सीट पर बीजेपी जनाधार वाले नेताओं को पार्टी में लाने की तैयारी में है. जयपुर में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सीपी जोशी से बाड़मेर के दलित नेता की मुलाकात की तस्वीरों ने नई चर्चाओं को हवा दे दी है.

बीजेपी के पूर्व जिलाध्यक्ष स्वरूपसिंह खारा ने दलित नेता उदाराम मेघवाल की मुख्यमंत्री और प्रदेशध्यक्ष से मुलाकात करवाई है. ऐसा माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी कोई भी कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है.

कांग्रेस के बागी के साथ थे, अब बीजेपी करेंगे ज्वॉइन!

इस मुलाकात को लेकर पूर्व जिला अध्यक्ष स्वरूपसिंह खारा का कहना है कि ये महज शिष्टाचार मुलाकात थी. अंदरखाने खबर है कि दलित नेता की आने वाले दिनों में बीजेपी में ज्वाइनिंग कारवाई जा सकती है. विधानसभा चुनाव के दौरान शिव इलाके में रविंद्रसिंह भाटी जीत के साथ पहले और दूसरे नंबर पर कांग्रेस से बागी फतेह खान रहे थे. माना जाता है कि फतेह खान के पक्ष में दलित वोटबैंक को शिफ्ट करवाने में उदाराम मेघवाल की बड़ी भूमिका रही थी. क्योंकि 2018 में आरएलपी के बैनर तले इसी विधानसभा सीट से उदाराम मेघवाल खुद चुनाव लड़े थे और 50 हजार से ज्यादा वोट लेकर आए थे. इसलिए बीजेपी चाहती है कि दलित वोटबैंक कांग्रेस के पास में खिसक जाए, उससे पहले से ही बीजेपी जनाधार वाले नेताओं की घेराबंदी करने में जुटी हुई है.

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