मंत्री शांति धारीवाल की बहू एकता धारीवाल पर ‘चोरी’ का गंभीर आरोप

चेतन गुर्जर

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Shanti dhariwal’s daughter in law ekta dhariwal: इतिहास की शिक्षक नेहा प्रधान ने मंत्री शांति धारीवाल की पुत्रवधू डॉ. एकता धारीवाल पर चोरी का गंभीर आरोप लगाया है. उनकी दिवंगत बहन डॉ. नलिनी प्रधान की थीसिस से कंटेंट चोरी कर पुस्तक छपाने और उसे अमेजॉन पर बेचने का गंभीर आरोप लगाया है. नेहा का कहना है कि डॉ. नलिनी प्रधान जो कोटा विश्वविद्यालय में इतिहास विषय की अतिथि व्याख्याता थीं. उन्होंने इतिहास विषय में डॉ. अरविन्द कुमार सक्सेना के मार्गदर्शन में 18 दिसम्बर 2013 को “A study of the remains of the Pre-Historic civilization of Bundi” विषय पर शोधकार्य पूर्ण कर डिग्री प्राप्त की थी. यह वर्ष 2002 से विश्वविद्यालय में रजिस्टर्ड थीं.

नेहा के मुताबिक इस रिसर्च में बूंदी क्षेत्र के सभी क्षेत्रों का दौरा बूंदी के पुरातत्ववेत्ता ओमप्रकाश शर्मा कुक्की के मार्गदर्शन में किया गया. डॉ. नलिनी ने ओमप्रकाश शर्मा, दिल्ली की आईजीएनसीए और जयपुर से रिपोर्ट्स प्राप्त कर उन्हें थीसिस में सम्मिलित किया था. इस थीसिस का ब्यौरा कोटा विश्वविद्यालय की साइट पर क्रमांक 235 से प्राप्त किया जा सकता है.

उन्होंने बताया कि मध्यमवर्गीय परिवार से होने के कारण डॉ. नलिनी अपने शोधकार्य का प्रकाशन नहीं करवा सकीं. स्वास्थ्य में गिरावट के कारण उनकी मृत्यु 1 अप्रैल 2017 को हो गई थी. डॉ. एकता धारीवाल को जब इस बात की जानकारी हुई कि डॉ. नलिनी ने बूंदी की प्रागैतिहासिक सभ्यताओं पर पीएचडी की है तो उन्होंने अपने प्रभाव का दुरुपयोग करते हुए कोटा विश्वविद्यालय से डॉ. नलिनी की थीसिस से मैटर निकालकर अप्रैल 2023 में An Indian Blueprint Stone age art नाम से पुस्तक का प्रकाशन कराया.

ऐसे हुआ मामले का खुलासा!

नेहा का आरोप है कि जब सितम्बर 2023 में मुझे यह पुस्तक प्राप्त हुई तो मुझे यह पता चला कि यह डॉ. नलिनी की थीसिस की चोरी करके मैटर को अन्य मैटर के साथ जोड़कर पुस्तक तैयार की गई है. इस मैटर का मिलान डॉ. नलिनी की थीसिस के साथ किया गया और पुस्तक के पृष्ठों का मिलान थीसिस से किया गया तो अधिकांश मेटर डॉ. नलिनी के शोध से लिया गया है. जो स्पष्ट रूप से साहित्यिक चोरी और अनैतिक कार्य है. पुस्तक में छापे गए फोटो भी थिसिस से फोटो खींचकर लगाए गए हैं, जो ओरिजनल नहीं है. नेहा प्रधान ने बताया कि इस मामले की शिकायत यूजीसी में की गई है और बिना कंसेन्ट एवं थीसिस लिखने वाले का रेफरेंस दिए पुस्तक छापना अपराध है. इस मामले में शीघ्र ही उचित कानूनी कार्यवाही की जाएगी.

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