हनुमान बेनीवाल को अशोक गहलोत ने पनपाया है, RLP दूसरी पार्टी का दुमछल्ला- ज्योति मिर्धा

शरत कुमार

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बेनीवाल को गहलोत ने पनपाया है, RLP दूसरी पार्टी का दुमछल्ला- ज्योति मिर्धा
बेनीवाल को गहलोत ने पनपाया है, RLP दूसरी पार्टी का दुमछल्ला- ज्योति मिर्धा
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Exclusive interview of Jyoti Mirdha: दिल्ली में बीजेपी ज्वाइन करने के बाद राजस्थान (rajasthan news) लौटीं जाट नेता डॉ. ज्योति मिर्धा हनुमान बेनीवाल (hanuman beniwal) पर जमकर बरसीं. राजस्थान तक से खास बातचीत में ज्योति (jyoti mirdha) ने यहां तक कह दिया कि RLP दूसरी पार्टियों की दुमछल्ला बनकर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि हनुमान बेनीवाल को पनपाने में सीएम अशोक गहलोत का हाथ है.

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सीनियर एडिटर शरत कुमार के सवालों का जवाब देते हुए ज्योति मिर्धा ने बेनीवाल के बयान पर कहा- आइए नेस्तोनाबूत करने, वही घोड़ा है और वही मैदान. बेनीवाल परिवारवाद पर बोलते थे और मौका मिला तो भाई को विधायक बनवा दिया. ये युवाओं को बिगाड़ने का काम कर रहे हैं. नशे की तरफ ढकेल रहे हैं. होटलों में जाकर मुख्यमंत्री का पैर पकड़ लेते हैं. ये अब धीरे-धीरे एक्सपोज हो रहे हैं.

अशोक गहलोत से मिले हुए हैं बेनीवाल

ज्योति मिर्धा ने कहा कि हनुमान बेनीवाल अशोक गहलोत के साथ मिले हुए हैं. इनको पनपाए ही अशोक गहलोत थे. सर्वे बता रहे हैं कि अकेले के दम पर आरएलपी राजस्थान में चुनाव लड़ती है तो इसकी एक भी सीट नहीं आएगी. इसलिए दौड़-भाग कर गठबंधन करते हैं. डीएमएफटी का फंड जारी हुआ है. परबतसर और लांडनूं के अंदर पायलट के खास कहे जाने वाले को जीरो मिला है. वहीं गहलोत के करीबी महेंद्र चौधरी को 22 करोड़ रुपए का फंड मिला है. इधर यही बजट हनुमान बेनीवाल को भी मिला है. गहलोत साहब को भी समझ में आ जाना चाहिए कि किस घोड़े पर दाव लगाना चाहिए.

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कांग्रेस में हो रही थी अनदेखी

ज्योति मिर्धा ने कांग्रेस छोड़कर बीजेपी ज्वाइन करने के सवाल पर कहा- नागौर में कांग्रेस कार्यकर्ता की अनदेखी हो रही थी. कांग्रेस का खून निचोड़कर आरएलपी को सींचा जा रहा था. समय समय पर हमने इसकी जानकारी दी थी. पता नहीं क्या मामला था. क्या मजबूरियां थीं. तब पार्टी में इंटरनल पॉलिटिक्स चल रही थी. सचिन पायलट का ग्रुप बन गया था. उसके बाद सरकार थोड़ी लड़खड़ा सी गई थी. ऐसा लगता है कि आपस में एडजस्टमेंट टाइप का चल रहा था. मुझे लगा उपचुनाव के बाद चीजें बदलेंगी पर तब भी बात नहीं बनी. फिर सचिन पायलट वाला मुद्दा हो गया. उसके बाद बीजेपी ने कहीं न कहीं सर्वे कराए होंगे फिर बीजेपी ने मुझे एप्रोच किया और आश्वस्त किया. कहा कि आप आइए और नागौर में बीजेपी को मजबूत कराइए.

नागौर में अपने एब्सेंस पर बोलीं ज्योति मिर्धा

नागौर में पिछले चुनाव के बाद गैरमौजूदगी वाले सवाल पर ज्योति मिर्धा ने कहा- मेरा पुराना रिकॉर्ड देखेंगे तो 2009 में जब सांसद बनी थी, तब शायद ही कोई सांसद फर्स्ट टाइम इतने मुद्दे उठाकर चीजों पर एक्शन कराया हो. नागौर में सबसे बड़ी समस्या पीने का पानी था. जो 65 साल के इंतजार के इंदिरा गांधी लिफ्ट कैनाल फेस 2 मैंने पास कराया. आज यहां मीठा पानी पीने का आ रहा है. अगर किसानों की बात करें तो मोंसेंटो के साथ करार हुआ था. यहां सरकार थी. दिल्ली में सरकार थी और मैंने समझाया और फिर वो करार कैंसिल कराया. ऐसे बहुत सारे मुद्दे थे. वहां प्रेजेंस एब्सेंस का चक्कर नहीं था.

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पार्टी पावर खींच लेती है तब होता है एब्सेंस

एब्सेंस तब होता है जब पार्टी आपके हाथ से पावर खींच लेती है और आप अपने कार्यकर्ताओं का भी काम नहीं करा पाते हैं. जब बाड़ खेतों को खाने लगे उस समय आप किसके पास जाकर आपना दुख रोएंगे. सेंट्रल लीडरशिप ने समय-समय पर दखल किया. लेकिन वो उतना ही कर पाते हैं. अब मुझे लगता है कि कहीं न कहीं उनको महसूस हो रहा है कि जो हुआ है वो गलत हुआ है.

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