Lok Sabha Election: करौली-धौलपुर में सबसे कम मतदान, 2019 के तुलना में 5.78% गिरावट, सपोटरा में पड़े सबसे कम वोट

Umesh Mishra

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Lok Sabha Election: करौली-धौलपुर में सबसे कम मतदान, 2019 के तुलना में 5.78% गिरावट, सपोटरा में पड़े सबसे कम वोट
Lok Sabha Election: करौली-धौलपुर में सबसे कम मतदान, 2019 के तुलना में 5.78% गिरावट, सपोटरा में पड़े सबसे कम वोट
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Lok Sabha Election: राजस्थान की करौली-धौलपुर संसदीय क्षेत्र शुक्रवार को मतदान शांतिपूर्वक संपन्न हो गया. मतदान के दौरान किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना सामने नहीं आई है. लोकतंत्र के महायज्ञ में वोट की आहुति देने के लिए मतदाताओं साल 2019 के अपेक्षा कम मतदान किया है. धौलपुर जिले में कई जगह मतदान बहिष्कार की खबरें सामने आई, लेकिन अधिकारियों की समझाइश के बाद कई जगह मतदान शुरू हो गया. लेकिन गुजर्रा कला में वोट नहीं डाले गए.
      
धौलपुर जिले में लगभग 53.05 फीसदी मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. जिले की बाड़ी विधानसभा क्षेत्र में एक लाख 23 हजार 836 मतदाताओं ने वोट डाले और मतदान 51.83 प्रतिशत रहा. बसेड़ी विधानसभा क्षेत्र में एक लाख 3 हजार 755 मतदाताओं ने वोट डाले और मतदान 50.72 प्रतिशत रहा. धौलपुर विधान सभा क्षेत्र में एक लाख 25 हजार 468 मतदाताओं ने वोट डाले और मतदान 55.69 रहा. राजाखेड़ा विधान सभा क्षेत्र में एक लाख 16 हजार 63 मतदाताओं ने वोट डाले और मतदान 53.84 प्रतिशत रहा. जिले में पंजीकृत आठ लाख 84 हजार 360 में से कुल 4 लाख 69 हजार 122 मतदाताओं ने अपने मत का प्रयोग किया. संसदीय क्षेत्र में पुलिस और प्रशासन की टीमें प्रत्येक मतदान केंद्र पर मॉनिटरिंग करती रही. साथ ही मतदान केंद्रों पर अर्द्ध सैनिक बल के साथ पुलिस जाप्ता लगाया गया जिससे कोई भी घटना घटित नहीं हो सकी और मतदान शांतिपूर्वक संपन्न हो गया. 

6 बजे तक 49.29 प्रतिशत मतदान

  • बाड़ी-  51.25 % 
  • बसेड़ी - 50.10 %, 
  • धौलपुर  55.41 % 
  • हिंडौन- 50.00 %
  • करौली - 47.21 %
  • राजाखेड़ा - 53.25 %
  • सपोटरा - 43.20 %
  • टोड़ाभीम- 46.30 %

क्या रही वजह?

इस संसदीय क्षेत्र में मतदान प्रतिशत कम होने की वजह गर्मी और शादियां मानी जा रही है. दोपहर में तो मतदान केंद्रों पर इक्का-दुक्का मतदाता मतदान करने पहुंचे. मतदान प्रतिशत की दूसरी वजह शादियां मानी जा रही है. इस संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं में सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ भी विरोध देखा गया. मतदाताओं ने बताया कि सत्ता परिवर्तन होने के बाद क्षेत्र में बिल्कुल भी बदलाव नहीं हुआ है. लोगों की सड़क, बिजली, पानी और स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं जस की तस बनी हुई है. बुनियादी समस्याओं का अंबार लगा हुआ है. जिसका असर गुजर्रा कला समेत अन्य गांवों में देखने को मिला है. सड़क की समस्या को लेकर ग्रामीणों ने मतदान का बहिष्कार कर दिया. मतदान कम होने का तीसरा कारण सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ विरोध भी देखा गया है.

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