3 हजार करोड़ का फ्री राशन बांटने की योजना पर बिफरे मंत्री खाचरियावास, कही ये बात
Rajasthan: सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में महंगाई का बोझ कम करने के लिए मुफ्त राशन किट योजना की घोषणा की थी. इस योजना पर सरकार तेजी से काम कर रही है. यहीं नहीं 1 अप्रैल से राशन लेने वाले हर परिवार तक मुफ्त राशन किट पहुंचाने की तैयारी भी हो चुकी […]
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Rajasthan: सूबे के मुखिया मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने बजट में महंगाई का बोझ कम करने के लिए मुफ्त राशन किट योजना की घोषणा की थी. इस योजना पर सरकार तेजी से काम कर रही है. यहीं नहीं 1 अप्रैल से राशन लेने वाले हर परिवार तक मुफ्त राशन किट पहुंचाने की तैयारी भी हो चुकी है, लेकिन इससे पहले ही फ्री राशन किट बांटने की योजना को लेकर विवाद खड़ा हो गया हैं. जिसके बाद खाद्य मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास अपने ही सरकार से खफा हैं.
प्रदेश के बजट में घोषित सबसे बड़ी फ्री राशन किट बांटने की योजना में 3000 करोड़ का बजट रखा गया हैं. यह राशन किट फूड डिपार्टमेंट के जरिए हर महीने 1 करोड़ परिवारों को देने की प्लानिंग थी लेकिन इससे पहले ही राज्य सरकार ने खाद्य विभाग से इस योजना का काम छीनकर कॉनफैड यानि राजस्थान राज्य सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड को दे दिया. इस पर महकमें के मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने नाराजगी जताई है. खाचरियावास ने बताया कि हमारे विभाग के नाम से योजना की घोषणा हुई और अब हमारे ही डिपार्टमेंट से छीनकर किसी और को देंगे. उनके खाद्य विभाग का काम किसी दूसरे को दिया तो फिर इस विभाग की जरूरत कहां है, इसे फिर तो बंद कर दीजिए. कॉनफैड खुद क्या काम कर रहा है, पहले वह देख ले.
खाद्य मंत्री ने कटाक्ष करते हुए कहा कि ऐसी क्या और किसे तकलीफ हो गई की उनके विभाग का काम दूसरों को दे दिया गया. जबकि योजना का काम पहले तो फूड डिपार्टमेंट में आता है और फिर कॉनफैड को चला जाता है. जबकि कॉनफैड की तो पहले से बहुत शिकायतें हैं, वह अपना काम ही ठीक से नहीं कर पा रहा और उसे राशन किट बांटने का काम कैसे दिया जा सकता है.
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इसको लेकर कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने कहा कि वो इस मामले को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से भी बात करेंगे. क्योंकि अभी तो बजट ही पास नहीं हुआ है और विधानसभा चल रही है. बिना विधानसभा को विश्वास में लिए कोई कुछ कर रहा है तो सच्चाई सामने आ जाएगी. योजना का काम मेरे विभाग से ले लिया है तो कारण तो पूछना ही होगा. आखिर कारण क्या है और कौन ऐसे अफसर हैं जिन्होंने उनसे बिना पूछे यह किया तो परिणाम भुगतने को तैयार रहें.
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