संजना जाटव : सरकारी नौकरी करना जिनके लिए था सपना वो अचानक बन गई सांसद, तोड़ डाला सचिन पायलट का भी रिकॉर्ड

Himanshu Sharma

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देश में लोकसभा चुनाव (loksabha election 2024) खत्म हो गया है. इसके नरेंद्र मोदी ने तीसरी बार पीएम पद की शपथ ली है. वहीं राजस्थान की एक नव निवार्चित सांसद संजना जाटव की चर्चा जोरों पर है. हो भी क्यों न? संजना ने महज 25 साल की उम्र में ये मुकाम हासिल किया है. भरतपुर लोकसभा सीट (Bharatpur lok sabha Seat) से कांग्रेस पार्टी से सांसद चुनी गई हैं. पुलिस कॉन्स्टेबल की पत्नी संजना (Sanjana Jatav) का ख्वाब महज सरकारी नौकरी करना था पर अचानक ये सांसद कैसे बन गईं और राजस्थान के ही यंगेस्ट सांसद रहे सचिन पायलट का रिकॉर्ड भी इन्होंने तोड़ दिया. आइए जानते हैं इनके बारे में...

राजधानी जयपुर के मध्य स्थित अलवर जिले के एक छोटे से गांव समूची की रहने वाली संजना जाटव की चर्चा आज पूरे देश में हो रही है. उसने सीएम भजनलाल शर्मा के गृह जिले भरतपुर में बीजेपी प्रत्याशी रामस्वरूप कोहली को 51 हजार 583 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया. इस हार से बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. 

सचिन पायलट का तोड़ा रिकॉर्ड

संजना का जन्म 1998 को भरतपुर जिले की वैर विधानसभा क्षेत्र के भुसावल गांव में हुआ. वह दलित समाज से आती हैं जहां बेटियों को ज्यादा पढ़ने की इजाजत नहीं होती है. चुनाव प्रचार में संजना की बातें व उनकी सादगी ने लोगों का मन मोह लिया और उन्होंने दिल खोलकर वोट दिया. इसके साथ ही संजना जाटव 26 साल की उम्र में सबसे कम उम्र की सांसद बन गई हैं. संजना ने सबसे कम उम्र में सासंद बनने के मामले में कांग्रेस नेता सचिन पायलट का भी रिकॉर्ड तोड़ दिया है. 

विधानसभा चुनाव हार गई थीं संजना

लोकसभा चुनाव से पहले संजना ने विधानसभा चुनाव भी लड़ा था. कांग्रेस ने कठूमर विधानसभा से उनको अपना प्रत्याशी बनाया और 409 वोटों के बहुत कम अंतर से वह चुनाव हार गई. लेकिन उन्होंने हार नही मानी और विधानसभा चुनाव के कुछ समय बाद ही लोकसभा चुनाव में भी उन्हें टिकट मिल गया. उनके सामने भाजपा ने रामस्वरूप कोहली को टिकट दिया था जिन्हें हराकर संजना जाटव ने इतिहास रच दिया.

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12वीं पास करते ही हो गई थी शादी

12वीं पास करने के बाद साल 2016 में भरतपुर के पास अलवर जिले में संजना जाटव की शादी हो गई थी. शादी के समय उनके पति कप्तान सिंह राजस्थान पुलिस में कांस्टेबल पद पर कार्यरत थे. संजना ने कहा कि उनका कोई राजनीतिक अनुभव नहीं है. पिता ट्रैक्टर चलाते हैं और मायके में और कोई राजनीति से जुड़ा हुआ नहीं है. लेकिन जब वह अपने ससुराल आई, तो यहां उनके ताऊ ससुर सरपंच थे. वह पहली बार अलवर जिला परिषद की सदस्य रही और जिला परिषद की सदस्य से उन्होंने राजनीति में कदम रखा. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा और प्रियंका गांधी के लड़की हूं लड़ सकती हूं जैसे अभियान से जुड़ी और उसके बाद से लगातार राजनीति में सक्रिय रही. 

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