वैभव गहलोत को ED ने क्यों किया समन? राजनीति-क्रिकेट में हाथ आजमा चुके, इस वजह से विवादों में

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आरोपों पर वैभव गहलोत ने किया किरोड़ीलाल पर पलटवार, बोले- 10-12 साल पुराने मुद्दा हैं, नया कुछ नहीं
आरोपों पर वैभव गहलोत ने किया किरोड़ीलाल पर पलटवार, बोले- 10-12 साल पुराने मुद्दा हैं, नया कुछ नहीं
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Vaibhav gehlot’s profile: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (ashok gehlot) के बेटे वैभव गहलोत को ईडी का समन मिलने के बाद सियासत गरमा गई है. ईडी के समन के बाद वैभव गहलोत (vaibhav gehlot) ने इसका जवाब मुखर होकर दिया. उन्होंने इसे यह केंद्र सरकार द्वारा एजेंसियों के दुरुपयोग की साजिश बताया. साथ ही कहा कि हम जानते थे कि ये चीजें चुनाव से पहले होंगी. वैभव गहलोत कांग्रेस नेता होने के साथ ही राजस्थान क्रिकेट संघ के अध्यक्ष भी है.

साल 2019 में अशोक गहलोत और रामेश्वर डूडी में तनातनी होने के बाद उन्होंने चुनाव लड़ा था. दरअसल, पूर्व नेता प्रतिपक्ष डूडी ने गहलोत से नारागजी के चलते उन्होंने आरसीए चुनावों में वैभव गहलोत के खिलाफ नामांकन दाखिल किया था. जिसके बाद डूडी को हराकर वैभव पहली बार RCA अध्यक्ष बने.

करीब 39 वर्षीय वैभव LLB की डिग्री लेने के बाद साल 2006 में युवा कांग्रेस से जुड़े. इसके बाद 2010 में नाथद्वारा क्षेत्र से प्रदेश कांग्रेस सदस्य बने. 2014 में वैभव को प्रदेश कांग्रेस का महासचिव बनाया गया. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जोधपुर सीट पर वैभव का सामना गजेन्द्र सिंह शेखावत से हुआ और शेखावत ने जीत दर्ज की.

बात वैभव गहलोत पर आरोपों की करें तो यह पूरा मामला होटल कारोबारी रतनकांत शर्मा से जुड़ा हुआ है. सांसद किरोड़ीलाल मीणा ने शर्मा का कनेक्शन वैभव गहलोत से होने से बात कही. साथ ही कई गंभीर आरोप भी लगाते हुए कहा कि रतन की कंपनी ट्राइटन होटल्स में वैभव गहलोत लीगल एडवाइजर रहे हैं. जिसके बाद वैभव गहलोत का पक्ष है कि रतन शर्मा उनकी कंपनी सनलाइट कार रेंटल में कुछ समय शेयर होल्डर रहे थे. बाकी जिन लोगों के नाम (हितेश, नरेंद्र, अशोक) सामने आए है, उससे किसी भी तरह के संबंधों से इनकार किया. बता दें कि रतनकांत शर्मा ने मार्च 2007 में ट्राइटन होटल्स एंड रिसोर्ट प्रा. लि. कंपनी रजिस्टर कराई थी. जिसके बाद से इस पूरे मामले में वैभव गहलोत पर आरोप लगे हैं.

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क्या है आरोप?

करीब 4 महीने पहले डॉ. किरोड़ी लाल मीना ने पीसी कर कई आरोप लगाए थे. उनका आरोप था कि वैभव गहलोत और उनकी पत्नी हिमांशी गहलोत ने पांच सितारा होटलों में बेनामी व्यवसाय किया है. इससे अर्जित कमाई को उनकी एक डमी कंपनी “सन लाइट कार रेंटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड” में ट्रांसफर किया जा रहा है. साथ ही उन्होंने कहा था कि गहलोत सरकार के समय में उक्त कम्पनी “ट्राईटन होटल एंड रिसॉर्ट प्राइवेट लिमिटेड (फेयर माउन्ट होटल) को निर्माण की स्वीकृति दी गई थी.

मीणा के आरोप हैं कि गहलोत के कारोबार का प्रबंधन देखने वाले रतनकांत शर्मा होटल फेयर माउंट जयपुर और राफेल्स उदयपुर होटल के मालिक हैं. इससे पहले “सनलाईट कार रेन्टल सर्विसेज प्राईवेट लिमिटेड में वैभव गहलोत के साथ 50 प्रतिशत की बराबर हिस्सेदारी थी. जिसके बाद रतनकान्त शर्मा बदनीयतीपूर्वक और जानबूझकर कम्पनी से बाहर हो गए. तभी से फेयर माउंट होटल्स से करोड़ो रूपए हर साल जाली और फर्जी बिल का भुगतान सन लाइट कार रेंटल में वैभव गेहलोत को किया जा रहा है.

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शैल कंपनी के जरिए फंड ट्रांसफर का भी आरोप

उन पर आरोप है कि वैभव गहलोत की कंपनी ने शैल कंपनी के जरिए 100 करोड़ रुपए मॉरीशस भेजे. सांसद मीणा के मुताबिक होटल फेयरमाउंट में मॉरीशस की शैल कंपनी की ओर से करीब 100 करोड़ के निवेश के आरोप लगाए थे. उन्होंने आरोप लगाया कि गहलोत और उनके परिवार के सदस्यों के पैसे को पहले हवाला के जरिए मॉरीशस पहुंचाया गया. मामले में फेमा के उल्लंघन की जांच करने की मांग की गई थी. अब ईडी ने फेमा के उल्लंघन में पूछताछ के लिए समन जारी किया है.

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8 साल पुराना है मामला

खास बात यह है कि वैभव गहलोत की कंपनी के खिलाफ साल 2012 में भी बीजेपी ने आरोप लगाए थे. जिसके बाद साल 2015-16 में ईडी ने जांच शुरू की थी. बीजेपी ने आरोप लगाए थे कि अप्रैल 2007 में कंपनी के 100 रुपए कीमत वाले 2 लाख 27 हजार शेयर रतन और उसकी पत्नी जूही के नाम थे. इसके अलावा 14 हजार 500 शेयर भी जूही के नाम थे. जुलाई 2011 में ट्राइटन होटल्स के 2500 शेयर मॉरीशस की कंपनी शिवनार होल्डिंग्स को 39 हजार 900 प्रीमियम पर दिए गए. जिसके बाद साल 2012-13 में ट्राइटन होटल्स के शेयर की कीमत घटकर 1150 रुपए रह गई. जनवरी 2013 में ट्राइटन होटल्स के 10 हजार शेयर फिर से शिवनार होल्डिंग्स को आवंटित किए गए. आरोप है कि शिवनार होल्डिंग्स कंपनी ने ब्लैक मनी को व्हाइट करने का काम किया.

जानिए वैभव गहलोत का पक्ष

इस पूरे मामले में वैभव गहलोत ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि ट्राइटन होटल से मेरी कंपनी का व्यवसायिक संबंध केवल टैक्सी दिलाने तक का है, जो आज भी है. नोबल इंडिया से मेरी कंपनी का कोई रिश्ता नहीं. उनसे जुड़ी किसी भी कंपनी में हिस्सेदार नहीं. उन्होंने कहा कि मैं ट्राइटन इंडिया में डायरेक्टर या पार्टनर कभी नहीं रहा. उनकी कंपनी ने विदेश में क्या ट्रांजैक्शन किया है, इसकी मुझे कोई जानकारी नहीं है. विदेश से कोई व्यापार या वहां मेरी कोई संपत्ति नहीं है.

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