गुर्जर समाज की ख्वाहिशें अधूरी छोड़ गए पीएम मोदी, 2018 के नतीजों से नहीं लिया सबक!

ललित यादव

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Rajasthan Assembly Election 2023: दिसंबर में होने वाले विधानसभा चुनावों को देखते हुए प्रदेश में बीजेपी-कांग्रेस अब चुनावी मोड़ में आ चुकी है. प्रधानमंत्री मोदी के गुर्जर समुदाय के धार्मिक स्थल के दौरे को देखते हुए सबकी निगाहे गुर्जर समाज पर थी. पीएम की यात्रा को लेकर कई तरह कयास लगाए जा रहे थे. लेकिन पीएम ने खुद भीलवाड़ा के दौरे पर कहा कि यह सिर्फ धार्मिक यात्रा है पीएम ने दौरे पर कहा कि मैं सिर्फ यहां भक्त के रूप में आया हूं. वहीं शुक्रवार को प्रधानमंत्री के दौरे से पहले राजस्थान में गहलोत सरकार ने भी गुर्जर वोटों को बनाए रखने के लिए आनन-फानन में एक नया पासा फेंका. गहलोत सरकार ने गुरुवार को देवनारायण जी की जंयती पर अवकाश की घोषणा की और दूसरी तरफ टोंक में गुर्जर समुदाय के तीसरे सबसे बड़े स्थल पर पैनोरमा का कार्य शुरू किया.

पीएम के कार्यक्रम के कारण बीजेपी-कांग्रेस पार्टी के अंदर गुर्जर समाज के लेकर काफी हलचल मची. वहीं गुर्जर समाज प्रधानमंत्री के इस दौरे को कुछ आशाओं के रूप में देख रहे थे. लेकिन पीएम ने यात्रा के दौरान साफ किया वह सिर्फ धार्मिक यात्रा के लिए आए हैं. पीएम मोदी शुक्रवार को गुर्जर समाज के आराध्यदेव भगवान देवनारायण की 1111वीं जन्म जयंती पर उनके जन्मस्थान मालासेरी डूंगरी में पहुंचे थे.

गुर्जर समाज को पीएम की यात्रा से थी कई उम्मीदे
पीएम मोदी के दौरे से गुर्जर समाज को कई उम्मीदे थी. इनमें 9वीं अनुसूची में गुर्जर आरक्षण को शामिल करना और देवनारायण कॉरिडोर की घोषणा सबसे ज्यादा चर्चा में थी. साथ ही गुर्जर रेजीमेंट की मांग भी लंबे समय से की जा रही थी. ऐसे में लगातार चर्चा थी कि पीएम गुर्जर वोटर को साथ लाने के लिए आज इन प्रमुख मांगों की घोषणा कर सकते हैं. लेकिन पीएम ने अपनी यात्रा के दौरान किसी भी मांग को पूरा नहीं किया.

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कांग्रेस ने कहा – खाली हाथ रह गई कौम
कांग्रेस के सचिव धीरज गुर्जर ने ट्वीट कर कहा- प्रधानमंत्री के देव भूमि आगमन पर लाखों गुर्जर भाईयों को गुर्जर आरक्षण की मांग पर 9वीं अनुसूची की मुहर लगने और गुर्जर रेजीमेंट की घोषणा की मंशा थी, लेकिन इन पर कुछ नहीं हुआ. पीएम की सभा चुनावी सभा होकर रह गई और कौम फिर एक बार खाली हाथ रह गई.

गुर्जर की भागीदारी और 2018 के नतीजे
प्रदेश में गुर्जर समाज की भागीदारी करीब 7 प्रतिशत मानी जाती है. लेकिन गुर्जर समाज प्रदेश की 200 विधानसभा में से 70 से 75 विधानसभाओं और 12 से ज्यादा जिलों पर अपना प्रभाव रखता है. 2018 के विधानसभा चुनावों में गुर्जर समाज ने कांग्रेस का साथ दिया था. 2018 के चुनाव में गुर्जर समाज का झुकाव सचिन पायलट की ओर देखा गया था. पायलट की प्रभावशीलता को देखते हुए 2018 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 9 गुर्जर नेता को मैदान में उतारा था लेकिन सभी को हार का मुंह देखना पड़ा था. वहीं कांग्रेस ने 12 गुर्जर प्रत्याशियों को टिकट दिया था. जिनमें से 8 प्रत्याशियों की जीत हुई थी.

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गुर्जर समाज को पक्ष में करने की जुगत
2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को गुर्जर समाज ने साथ नहीं दिया. जिस कारण बीजेपी के सभी 7 गुर्जर प्रत्याशियों को हार मिली. गुर्जर समाज के साथ नए समीकरण बनाने की दिशा में पीएम की इस यात्रा को महत्वपूर्ण माना जा रहा था. लेकिन पीएम मोदी ने अपनी इस यात्रा को निजी धार्मिक यात्रा बताकर गुर्जर समाज और कांग्रेस में हलचल पैदा कर दी. इसी यात्रा के चलते गहलोत सरकार ने आनन-फानन में देवनारायण जी की जंयती पर छुट्टी की घोषणा करनी पड़ी.

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बीजेपी की कमजोर कड़ी गुर्जर
प्रदेश में बीजेपी के सबसे बड़े नेताओं में वसुंधरा राजे का नाम सबसे ऊपर आता है. वसुंधरा राजे अक्सर एक नारा देती है कि वह खुद के राजपूत की बेटी, जाट की बहू और गुर्जर की समधन बताकर राजस्थान के राजनीतिक समीकरण को तालमेल बैठाती है. लेकिन 2018 के चुनावों में वसुंधरा का यह नारा फेल दिखाई दिया. इसी को भांपते हुए पीएम मोदी के इस दौरे को अहम माना जा रहा था. प्रदेश में 2013 से 2018 तक बीजेपी सरकार के दौरान करीब 73 गुर्जरों की हत्या के मामले हुए. इस दौरान पुलिस ने कई बार गुर्जर समाज पर लाठियों बरसाई. बीजेपी के कार्यकाल के गुर्जर समाज की अनदेखी 2018 के चुनावों में भारी पड़ी. सचिन पायलट ने 2013 में गुर्जर समाज के साथ मिलकर बीजेपी से संघर्ष किया. जिसका नतीजा 2018 के चुनावों में देखने का मिला. जिस कारण से कांग्रेस गुर्जर वोटर को अपने पाले में करने में कामयाब रही.

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