कौन हैं गहलोत के डुप्लीकेट जिन्होंने 40 साल पुराने दोस्त को छोड़कर थाम लिया BJP का दामन? जानें

Ashok Sharma

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कौन हैं गहलोत के डुप्लीकेट जिन्होंने 40 साल पुराने दोस्त को छोड़कर थाम लिया BJP का दामन? जानें
कौन हैं गहलोत के डुप्लीकेट जिन्होंने 40 साल पुराने दोस्त को छोड़कर थाम लिया BJP का दामन? जानें
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Rajasthan Election 2023: राजस्थान विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले ही बीजेपी ने जोधपुर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) के किले में बड़ी सेंधमारी की है. करीब 40 साल से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के करीबी व जोधपुर के पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच (Rameshwar Dadhich) ने कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया है. दाधीच का चुनाव से पहले इस तरह बीजेपी में शामिल होना हर किसी को हैरान कर रहा है.

गौरतलब है कि जोधपुर के पूर्व महापौर रामेश्वर दाधीच सीएम अशोक गहलोत के काफी करीबी हैं और उनकी शक्ल भी गहलोत से काफी मिलती-जुलती है. इस कारण उन्हें गहलोत के हमशक्ल के तौर पर भी जाना जाता है. वर्ष 2018 में अशोक गहलोत के मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें जोधपुर नगर निगम का महापौर बनाया गया. उन्होंने इस विधानसभा चुनाव में सूरसागर विधानसभा से कांग्रेस का टिकट देने की मांग उठाई लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिल पाया. इसके बाद दाधीच बीजेपी में शामिल हो गए.

गहलोत और दाधीच के बीच हैं पारिवारिक संबंध

रामेश्वर दाधीच और अशोक गहलोत के बीच पारिवारिक संबंध हैं. दोनों ने शुरुआती समय में साथ में संघर्ष किया है.दोनों के बीच करीब 40 साल से भी ज्यादा समय से दोस्ती है. रामेश्वर दाधीच 2009 से 2014 तक जोधपुर के महापौर रहे. वहीं काफी समय तक राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सचिव पद पर भी काबिज रहे. फिर जोधपुर देहात सेवादल के जिला अध्यक्ष पद पर भी रहे. लेकिन पिछले कई सालों से वह कांग्रेस कार्यकर्ता के रूप में सेवा दे रहे थे.

निर्दलीय नामांकन दाखिल करने से BJP की बढ़ गई थी टेंशन

रामेश्वर दाधीच ने सूरसागर विधानसभा (Sursagar Assembly) सीट से निर्दलीय के रूप में अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था लेकिन बाद में नामांकन वापस ले लिया. दाधीच के नामांकन से सबसे ज्यादा बीजेपी परेशान थी. ऐसा माना जा रहा है कि भाजपा के ब्राह्मण नेताओं के दबाव के चलते रामेश्वर दाधीच ने अपना नामांकन वापस लिया है. अगर रामेश्वर दाधीच सूरसागर से निर्दलीय चुनाव लड़ते तो इससे हिंदू वोट बंट सकते थे और इसका सीधा फायदा कांग्रेस के प्रत्याशी शहजाद खान को होता.

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