सांसदों की बढ़ रही मुश्किल, राठौड़ को काले झंडे दिखाए तो बालकनाथ ने भागकर लाज बचाई!

Himanshu Sharma

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Alwar MP Balanknath: बीजेपी ने इस बार के विधानसभा चुनाव (rajasthan assembly election 2023) में टिकट फॉर्मूले से सबको चौंका दिया है. 7 सांसदों को टिकट दिए जाने के अलावा कई दिग्गजों को भी पार्टी ने मैदान में उतारा है. इस बीच पार्टी के भीतर बगावत की खबरें भी सामने आई है. इस चुनावी घमासान में अब सांसदों की मुश्किलें भी बढ़ती नजर आ रही हैं. जब अलवर (alwar news) सांसद बालक नाथ संसदीय क्षेत्र पहुंचे तो उन्होंने भाग कर अपनी लाज बचाई. दरअसल टपूकड़ा कस्बे में भीड़ नहीं होने के चलते बालक नाथ अपने समर्थकों के साथ तुरंत दौड़े और अपनी गाड़ी में चढ़ गए.

दरअसल, टिकट मिलने के बाद पहली बार तिजारा पहुंचे सांसद बाबा बालक नाथ के स्वागत में कई जगह पर भीड़ नजर नहीं आई. भिवाड़ी से बालक नाथ का काफिला शुरू हुआ. सभी मंदिर और मठों में धोक लगाते हुए तिजारा की तरफ बढ़े. जब टपूकड़ा कस्बे में हनुमान मंदिर में ढोग खाकर वहां से निकल रहे थे तो उनके साथ ज्यादा समर्थक मौजूद नहीं थेय ऐसे में बालक नाथ ने दौड़ लगाई और दौड़कर अपनी गाड़ी में चढ़ गए. उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर जाकर वायरल हो रहा है.

सांसदों को टिकट देने से पार्टी को नुकसान?

जानकारों की मानें तो इससे पार्टी को नुकसान भी हो सकता है. हालांकि असंतुष्ट नेताओं को शांत करने के लिए बीजेपी हर संभव प्रयास कर रही है. इसके लिए केंद्रीय मंत्री की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन भी किया गया है. बता दें कि बीजेपी सांसद कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को झोटवाड़ा से टिकट दिया गया है. टिकट मिलने के बाद से पार्टी के कार्यकर्ता लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. इस दौरान वीडियो वायरल भी हुआ. जिसमें राठौड़ ने कार से उतरकर नारे लगा रहे कार्यकर्ताओं को गले लगाया और मिठाई की पेशकश की. लेकिन समर्थकों ने मुंह मीठा नहीं किया.

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बालकनाथ के खिलाफ बागी मैदान में

इधऱ, तिजारा विधानसभा क्षेत्र में पूर्व विधायक मामन यादव पहले ही ताल ठोक चुके हैं. बड़ी संख्या में लोगों ने उनका समर्थन किया. ऐसे में बाबा बालक नाथ की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं. बालकनाथ ने कहा कि वो पार्टी के नेता हैं और उनकी पार्टी में वापसी कराई जाएगी. कार्यक्रम के दौरान वो खुद को साधु व महात्मा बताते रहे हैं. उन्होंने कहा कि हम तो केवल सेवा करने के लिए आए हैं. साधु महात्मा की कोई महत्वाकांक्षा नहीं होती है.

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