पिता के साथ जादू दिखाने हॉन्गकॉन्ग तक गए थे CM गहलोत, इंटरव्यू में खुद किया खुलासा

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पिता के साथ जादू दिखाने हॉन्गकॉन्ग तक गए थे CM गहलोत, इंटरव्यू में खुद किया खुलासा
पिता के साथ जादू दिखाने हॉन्गकॉन्ग तक गए थे CM गहलोत, इंटरव्यू में खुद किया खुलासा
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CM Gehlot On Teaching Magic To Rahul-Priyanka: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजनीति के जादूगर माने जाते हैं. यह बात उन्होंने कई बार सियासी संकट के समय साबित भी की है. यही नहीं, गहलोत की जादूगरी से जुड़े कई किस्से अक्सर लोगों की जुबान से सुनने को मिल जाते हैं. प्रदेश की सियासत में एक किस्सा अक्सर सुनने में मिलता है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को बचपन में जादू सिखाया था. इसलिए वह कांग्रेस के इन दोनों नेताओं के करीबी हैं.

‘लल्लनटॉप’ के खास शो ‘जमघट’ में जब संपादक सौरभ द्विवेदी ने इस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से सवाल पूछा तो उन्होंने खुलकर अपना जवाब दिया.

गहलोत ने कहा- मेरे पिता जी को जादू का शौक था. 1973-74 की बात है. मुझे हॉन्गकॉन्ग के वर्ल्ड सरप्राइज शो में एक महीना पिता जी के साथ काम करने का मौका मिला. कॉलेज वगैरह में मैंने खुद शो किया. दुनिया के अंदर मैजिक कुछ नहीं है. जो दिखता है वो मैजिक नहीं है. वो ट्रिक है. आम जनता देखती है तो लगता है कि ये ट्रिक हो ही नहीं सकती है मैजिक है.

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मुख्यमंत्री गहलोत के पिता राजनीति में भी सक्रिय रहे थे. उन्होंने इसके बारे में बात करते हुए बताया कि मेरे पिताजी जोधपुर नगर परिषद के एक बार उपाध्यक्ष और अध्यक्ष रहे. वो कॉन्ट्रैक्टर थे. उनकी खाने भी थीं.

बचपन में राहुल-प्रियंका को जादू सिखाने की बात गलत
गहलोत ने कहा- कई लोग कहते हैं कि मैंने बचपन में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को मैजिक सिखाया. अब आप बताइए क्या-क्या किस्से लोग बना देते हैं. मैं बचपन में राहुल और प्रियंका से कभी नहीं मिला. फिर भी बातें होती हैं कि मैंने राहुल-प्रियंका को बचपन में जादू सिखाया इसलिए उनके परिवार का सदस्य बन गया. यह गलत पर्सेप्शन है. कई बार पर्सेप्शन से ही राजनीति चलती है.

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डिस्कॉम कंपनियों के घाटे पर ये बोले गहलोत
राजस्थान की डिस्कॉम कंपनियों के घाटे को लेकर जब सीएम गहलोत से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि बिजली कंपनी जबसे बनी है तब से घाटे में है. घाटापूर्ति गवर्नमेंट करती है. वसुंधरा सरकार में भी घाटे पूरे किए गए थे. अधिकांश राज्यों में बिजली कंपनी घाटे में चलती है. सोशल सिक्योरिटी के लिए जो सरकार करती है उसकी घाटापूर्ति सरकार करती है.

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