किसान पिता थे बीमार, बेटे ने शुरू की मजदूरी, रीट में सिलेक्ट हुआ तब भी उठा रहा था सीमेंट के कट्टे

Dinesh Bohra

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किसान पिता थे बीमार, बेटे ने शुरू की मजदूरी, रीट में सिलेक्ट हुआ तब भी उठा रहा था सीमेंट के कट्टे
किसान पिता थे बीमार, बेटे ने शुरू की मजदूरी, रीट में सिलेक्ट हुआ तब भी उठा रहा था सीमेंट के कट्टे
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Success Story: कहते हैं कि दिल में कुछ कर गुजरने का सपना हो और वैसी ही मेहनत हो तो कुछ भी असंभव नहीं. राजस्थान में एक किसान के बेटे ने भी ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जिस पर यह कहावत बिल्कुल सटीक बैठती है. मामला बाड़मेर जिले के मातासर गांव का है जहां एक किसान के बेटे रेखाराम ने आर्थिक तंगी से जूझते हुए मजदूरी कर पढ़ाई की और अब रीट में सिलेक्ट हो गया है.

हैरान कर देने वाली बात ये है कि जब रीट 2022 का रिजल्ट आया तब भी रेखाराम सीमेंट के कट्टे उठा रहा था. रिजल्ट आने के बाद परिवार के लोगों की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं है. वहीं हर कोई रेखाराम की लग्न और मेहनत की दाद देता नजर आ रहा है.

पिता की बीमारी के चलते शुरू करनी पड़ी मजदूरी
दरअसल, मातासर गांव के रहने वाले 31 वर्षीय रेखाराम का परिवार बेहद गरीब है. 5 भाइयों में सबसे बड़े रेखाराम मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण कर रहे थे. पिता की बीमारी के चलते रेखाराम को मजदूरी शुरू करना पड़ा.

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सीमेंट का एक कट्टा उतारने के मिलते हैं 3.50 रुपए
रेखाराम का कहना है कि घर चलाने के लिए सीमेंट और ईंटों की गाड़ियों से सीमेंट और ईंटें उतारने का काम करना पड़ा. जब भी गाड़ी आती है तो मुझे फोन आता है और मैं चला जाता हूं. एक सीमेंट का कट्टा उतारने के पहले 3 रुपए मिलते थे, अब 3.50 रुपए मिलते हैं. करीब 3 घंटे में 4 मजदूर मिलकर एक गाड़ी खाली कर देते थे. फ्री होकर जब घर आता था तो पढ़ाई करता था. 2022 में रीट की परीक्षा दी थी उसमें अब पास हो गया हूं. रिजल्ट आया तब धोरीमन्ना में गाड़ी से सीमेंट के कट्टे उतार रहा था.

2021 में भी दी थी रीट की परीक्षा
रेखाराम ने बताया, “कक्षा 8 तक की पढ़ाई गांव की सरकारी स्कूल से की और इसके बाद कक्षा 10वीं की पढ़ाई रावतसर स्कूल से की. 11वीं और 12वीं कक्षा की पढ़ाई सीकर से साइंस में की और बाड़मेर कॉलेज से बीएससी की. इसके बाद जोधपुर से बीएड की. वर्ष 2020 से रीट की तैयारी कर रहा था. 2021 में रीट का एग्जाम दिया तब 120 नंबर आए थे. दोबारा 2022 की रीट की परीक्षा दी तो अब मैं पास हो गया.”

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2014 में हुई शादी, पत्नी से भी मिली मदद
रेखाराम का कहना है कि 2014 में उसकी शादी हो गई थी. पत्नी सुरती देवी ने बीए कर रखी है जो गांव में आंगनवाड़ी कार्यकर्ता है. उससे भी परिवार चलाने में मदद मिली. मजदूरी से घर चलाया और पढ़ाई निरंतर जारी रखी. रेखाराम के पिता दमाराम किसान है और मां गृहिणी हैं. रेखा राम के चार भाई और तीन बहने हैं. तीन बहनों और दो भाइयों की शादी हो चुकी है.

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