जयपुर: 50 पार्षदों ने CM को भेजा इस्तीफा, अपने ही नेताओं की वजह से ही खतरे में कांग्रेस की शहरी सरकार

विशाल शर्मा

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50 councilors resign to CM: कांग्रेस (Rajasthan Congress) में कलह खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही है. दिग्गज तो दिग्गज अब उनके आसपास वाले नेता भी कम नहीं है. ऐसा ही शहर की सरकार यानि जयपुर हैरिटेज नगर निगम (Municipal Corporation Jaipur Heritage) में देखने को मिल रहा है. जहां गहलोत सरकार के ही एक कैबिनेट मंत्री की दखलअंदाजी के चलते उन्हीं की पार्टी की मेयर को करीब 50 कांग्रेस पार्षदों के सामूहिक इस्तीफे सीएम को भेजने पड़ गए. यहीं नहीं इसमें एक विधायक भी मंत्री के सामने डटे हुए हैं, जिससे कांग्रेस की शहरी सरकार खतरे में है.

पूरा मामला जयपुर हैरिटेज नगर निगम का है, जहां अस्थाई कर्मचारियों के टेंडर पर अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा के हस्ताक्षर नहीं करने पर पार्षद बिफर गए. जिसके बाद शुक्रवार देर शाम महापौर मुनेश गुर्जर के साथ कांग्रेस पार्षदों ने निगम में हंगामा कर दिया और एडिशनल कमिश्नर राजेंद्र वर्मा को एक कमरे में बंद कर दिया.

इस बात पर हुई एडिशनल कमिश्नर से रार
महापौर का आरोप है कि हैरिटेज के करीब 50 पार्षद महापौर कक्ष में एकत्र होकर बीट की पत्रावली के संबंध में वार्ता कर रहे थे. जहां पार्षदो ने बताया गया कि बीट की पत्रावली अतिरिक्त आयुक्त राजेन्द्र वर्मा के पास पेंडिंग है और उनके द्वारा निस्तारित नहीं की जा रही है. यह पत्रावली करीब 15 दिन से उनके पास पेंडिंग है. जिसको लेकर पार्षदों द्वारा बार-बार कहने के बाद भी पत्रावली उनके द्वारा नहीं निकाली जा रही है.

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पार्षदों ने लगाए ये आरोप
पार्षदो का आरोप है कि जब वे महापौर के साथ अतिरिक्त आयुक्त से मिले तब राजेन्द्र वर्मा ने अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया. साथ ही किसी भी हालत में बीट पत्रावली पर हस्ताक्षर से मना कर दिया. जिसके बाद कांग्रेस पार्षद और मेयर मुनेश गुर्जर निगम में ही धरने पर बैठ गए. उनकी मांग है कि अतिरिक्त आयुक्त को तुरंत प्रभाव से निलम्बित किया जाये. इसे लेकर 50 पार्षदों ने सामूहिक रूप से अपना इस्तीफे लिखकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम भेजा है. वहीं सूत्रों के अनुसार नगर निगम हैरिटेज के अतिरिक्त आयुक्त पर गहलोत सरकार के ही एक एक कैबिनेट मंत्री का दबाव है और उसी को लेकर टेंडर पर रार हो रही है. इसमें एक अल्पसंख्यक विधायक का भी नाम सामने आ रहा है जो इस टेंडर के पक्ष में हैं. ऐसे में कांग्रेस सरकार में ही कांग्रेस के हैरिटेज नगर निगम बोर्ड में उन्हीं के नेताओं की वजह से सियासी अखाड़ा बन चुका है.

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