मेडिकल शॉप पर काम करते थे पिता, मां ने भी दिन रात एक किया, अब बेटे ने NEET में हासिल की 2263 रैंक
NEET 2023: मेहनत खामोशी से की जाए तो सफलता शोर मचा देती है. कुछ ऐसी ही खामोशी से पढ़ाई करते हुए अपने माता-पिता और परिवार का सपना सच किया है खातौली कोटा के तलाव पंचायत के फतेहपुर गांव के प्रिंस ने. करीब 150 घरों के इस गांव से प्रिंस पहला डॉक्टर बनेगा. प्रिंस के पिता […]
ADVERTISEMENT
![मेडिकल शॉप पर काम करते थे पिता, मां ने भी दिन रात एक किया, अब बेटे ने NEET में हासिल की 2263 रैंक मेडिकल शॉप पर काम करते थे पिता, मां ने भी दिन रात एक किया, अब बेटे ने NEET में हासिल की 2263 रैंक](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/rjtak/images/story/202306/neet-2023-768x432.jpg?size=948:533)
NEET 2023: मेहनत खामोशी से की जाए तो सफलता शोर मचा देती है. कुछ ऐसी ही खामोशी से पढ़ाई करते हुए अपने माता-पिता और परिवार का सपना सच किया है खातौली कोटा के तलाव पंचायत के फतेहपुर गांव के प्रिंस ने. करीब 150 घरों के इस गांव से प्रिंस पहला डॉक्टर बनेगा. प्रिंस के पिता खेतीहर मजदूर हैं और मां आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता हैं.
प्रिंस के पिता लक्ष्मीचंद इससे पूर्व दवा की दुकान पर काम करते थे, तब सोचते थे कि बेटा डॉक्टर बने और उसकी पर्ची से लोग दवा खरीदें तो जीवन सफल हो जाए. इसके बाद परिवार का हाल बिगड़ा और दुकान का काम छूट गया. वर्तमान में वे खेतीहर मजदूर हैं. प्रिंस ने नीट में 675 अंक प्राप्त किए हैं, कैटेगिरी रैंक 656 है तथा आल इंडिया रैंक 2263 है. प्रिंस को एलाइड एम्स मिलने की पूरी उम्मीद है. प्रिंस अपने परिवार ही नहीं वरन गांव का पहला बालक होगा जो एम्स से एमबीबीएस करेगा. प्रिंस की इस सफलता से गांव में खुशी का माहौल है.
पहले ही प्रयास में प्राप्त किए 583 अंक
प्रिंस ने बताया कि मेरी प्रारंभिक पढ़ाई खातौली में ही हुई. 10 तक पढ़ाई करने के बाद 11वीं में मैंने इटावा स्कूल में एडमिशन लिया. ऐसे में करीब 25 किलोमीटर का सफर कर रोज पढ़ने जाना होता था. कई बार बसों के इंतजार में घंटों लग जाते थे. राजस्थान बोर्ड और हिन्दी मीडियम से पढ़ाई थी. 10वीं में 93.17 तथा 12वीं में 96.20 अंक प्राप्त किए. इसके बाद नीट घर से तैयारी करके दी तो पहले ही प्रयास में 583 अंक प्राप्त किए. फिर लगा कि यदि तैयारी कोचिंग से की होती तो शायद बेहतर परिणाम होते. परिवार के पास पैसे नहीं थे और बाहर भेजने में सक्षम नहीं थे.
ADVERTISEMENT
यह भी पढ़ें...
एम्स में मिल जाएगा एडमिशन
ऐसे में बहुत से लोगों से बात की, किसी ने कहा कोटा में जाओ तो किसी ने कहा यहीं रहकर पढ़ लो. कोटा में मेरी 90 प्रतिशत शुल्क माफ की तथा रहने का प्रबंध भी करवाया. इसके चलते मैंने मन से पढ़ाई की. यही कारण रहा कि इस वर्ष अच्छे अंक प्राप्त हुए और अब लग रहा है कि एलाइड एम्स में एडमिशन मिल जाएगा.
पढ़ना है ताकि पैसे नहीं लगे
प्रिंस ने बताया कि जब शिक्षकों ने मुझे बताया कि डॉक्टर बनने के लिए नीट परीक्षा पास करनी होती है तो मैं पढ़ाई में जुट गया. मुझे पता था कि एक स्तर से कम नम्बर आएंगे तो फीस बहुत लगेगी. इतने पैसे परिवार के पास थे नहीं, इसलिए मैंने यही टारगेट लिया और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज में एडमिशन के लिए जमकर पढ़ाई की.
ADVERTISEMENT
बिजली भी गुल हो जाती थी
गांव में अभावों में जीवन जिया. हाल ये था कि कभी कम तो कभी ज्यादा वक्त के लिए बिजली भी गुल हो जाती थी. ऐसे में टॉर्च की रोशनी में भी पढ़ना पड़ता था. हालात विपरीत तो रहे लेकिन पिता जी ने कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया, हमेशा कहते थे, तुम अपनी लगन से पढ़ाई जारी रखो, डॉक्टर बनना है. मैंने उनकी बातों से प्रेरणा लेते हुए बस पढ़ाई में मन लगाता था.
ADVERTISEMENT
हमारा सपना पूरा
पिता लक्ष्मीचंद धाकड़ ने बताया कि प्रिंस का डॉक्टर बनना हमारे लिए सपने पूरे होना जैसा है. मैं 12वीं पास हूं, कुछ दिन मेडिकल स्टोर पर काम किया था, तब लगता था कि मेरा बेटा डॉक्टर बने तो कितना अच्छा हो. इसके बाद दुकान का काम छूट गया और अब तो दूसरों के खेतों में काम कर परिवार पाल रहे हैं. लोग कहते थे कि पढ़ाई में बहुत पैसे लगते हैं, मैं प्रिंस से कहता था कि तुम पढ़ते रहो और चिंता मत करो. इसने दसवीं में सभी विषयों में विशेष योग्यता हासिल की.
इसके बाद 12वीं में भी अच्छा रिजल्ट रहा तो मेरा हौसला बढ़ जाता था. मैं मजदूरी के साथ दूसरों के खेतों में काम करके जैसे तैसे प्रिंस का सपना पूरा करने में जुट गया. इसकी मां भी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता के रूप में काम करती है. हिन्दी मीडियम था फिर कोचिंग में एडमिशन थोड़ा देर से हुआ तो सिलेबस कवर करने में प्रिंस ने दिन-रात एक कर दिए.
यू-ट्यूब पर देखकर पढ़ाई की
प्रिंस ने बताया कि 12वीं के साथ ही मुझे समझ नहीं आ रहा था कि नीट की तैयारी कैसे करूं. ऐसे में मैंने पापा से स्मार्ट फोन दिलवाने की जिद की. उन्होंने जैसे-तैसे पैसे जोड़कर मुझे स्मार्ट फोन दिलवाया. मैंने इससे यू-ट्यूब पर वीडियो देखे और सारे टॉपिक्स समझने की कोशिश की. इसी कारण अच्छे नम्बर आ सके. अब आगे एमबीबीएस करने के बाद सर्जरी में जाने की इच्छा रखता हूं. कार्डियो और न्यूरो ब्रांच अच्छी लगती है.
सहयोग को तत्पर
प्रिंस उन सब बच्चों के लिए प्रेरणा है जो अभाव में रहते हैं. प्रतिभा फिर भी नहीं रूकती. हमें अच्छा लगता है कि हम प्रिंस की सफलता में सहयोग कर सके. अभावों के बावजूद हार नहीं मानते हुए अपना कॅरियर बनाना ही असली सफलता है.
ADVERTISEMENT