राजाखेड़ा विधानसभा: आजादी के बाद 10 बार कांग्रेस जीती, 2 बार बीजेपी, जानें इस सीट का चुनावी गणित

Umesh Mishra

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राजाखेड़ा विधानसभा: आजादी के बाद 10 बार कांग्रेस जीती, 2 बार बीजेपी, जानें इस सीट का चुनावी गणित
राजाखेड़ा विधानसभा: आजादी के बाद 10 बार कांग्रेस जीती, 2 बार बीजेपी, जानें इस सीट का चुनावी गणित
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Rajakhera Vidhansabha Seat: राजस्थान के धौलपुर जिले की राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र में देश की आजादी के बाद जितने भी चुनाव हुए उनमें कांग्रेस का ही वर्चस्व रहा. अब तक 10 बार कांग्रेस, 2 बार बीजेपी, एक बार लोकदल एवं 2 बार निर्दलीय चुनाव जीते हैं. यहां से पहला चुनाव वर्ष 1957 में महेन्द्र सिंह ने निर्दलीय जीता. इसके बाद 1962 में राजस्थान वित्त आयोग के चेयरमैन प्रद्युम्न सिंह के पिताजी प्रताप सिंह कांग्रेस से चुनाव जीते थे. ‘राजस्थान तक’ की खास सीरीज के तहत आज हम आपको बताएंगे राजाखेड़ा विधानसभा सीट का चुनावी इतिहास, जातिगत समीकरण, जनता का मूड, वोट शेयर और भी बहुत कुछ.

राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र में जनवरी 2023 तक के आंकड़ों के मुताबिक 207446 मतदाता हैं. इनमें 26579 जाटव, 23345 कुशवाह, 24500 ब्राह्मण, 19051 बघेल, 18080 ठाकुर, 14392 राजपूत, 14050 लोधी, 12500 गुर्जर, 9909 निषाद जबकि 4704 मुस्लिम मतदाता हैं. वहीं 4850 त्यागी, 4668 धोबी, 4458 कोली, 3642 हरिजन, 5 हजार नाई, 3100 गोस्वामी, 2685 खटीक, 2682 प्रजापति, 4139 हजार वैश्य व जैन और 7038 रठौर, सोनी, जाट और अन्य जाति के मतदाता हैं. यहां एससी, ठाकुर, राजपूत, ब्राह्मण, कुशवाह और गुर्जर मतदाता चुनावों में अपनी विशेष भूमिका निभाते रहे हैं.

ऐसा रहा इस सीट का चुनावी इतिहास
राजाखेड़ा विधानसभा सीट से 1965 में कांग्रेस के दामोदर लाल और 1967 व 1972 में कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह ने जीत दर्ज की. वहीं 1977 में प्रद्युम्न सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीते. 1980 में फिर से प्रद्युम्न सिंह ने कांग्रेस के टिकट पर जीत दर्ज की. 1985 में कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मोहनप्रकाश शर्मा ने एलकेडी से चुनाव जीता. 1990 में कांग्रेस के टिकट पर एक बार फिर प्रद्मुन सिंह ने चुनाव जीता. 1994 में बीजेपी की मनोरमा सिंह विजयी रही. 1998 और 2003 में कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह फिर से विजयी रहे. 2008 में प्रद्युम्न सिंह के चचेरे भाई रविन्द्र सिंह बोहरा बीजेपी से चुनाव जीते. 2013 में प्रद्युम्न और 2018 में उनके पुत्र रोहित बोहरा कांग्रेस से चुनाव जीते.

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उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र करौली-धौलपुर लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. विधानसभा चुनाव 2018 में बीजेपी ने यहां पूर्व मंत्री बनवारी लाल शर्मा के पुत्र स्वर्गीय अशोक शर्मा को टिकट दिया था, जबकि कांग्रेस ने राजस्थान वित्त आयोग के चेयरमैन प्रद्युम्न सिंह के पुत्र रोहित वोहरा को मैदान में उतारा था. बोहरा ने शर्मा को 14 हजार 991 मतों से हराया था.

साल 1998 का विधानसभा चुनाव
1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह को 42920 मत मिले थे और बीजेपी की मनोरमा सिंह को 25228 मत मिले. प्रद्युम्न सिंह ने मनोरमा सिंह को 17692 मतों से हराया था जबकि बीएसपी के किशन चंद्र शर्मा 18 हजार 516 मतों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे.

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साल 2003 का विधानसभा चुनाव
1998 के चुनाव में कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह को 41106, समाजवादी पार्टी के रवींद्र सिंह बोहरा को 33222, बसपा के केदार सिंह को 16973 और बीजेपी के हरचरण सिंह को 16560 वोट मिले थे. प्रद्युम्न सिंह ने अपने चचेरे भाई रविंद्र सिंह को 7 हजार 884 मतों से हराया था.

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साल 2008 का विधानसभा चुनाव
साल 2008 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के रवींद्र सिंह बोहरा को 38237 मत मिले थे और कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह को 35333 मत मिले थे. जबकि बीएसपी के गोविन्द शर्मा को 12503 मत मिले थे. रविंद्र सिंह ने अपने चचेरे बड़े भाई प्रद्युम्न सिंह को 2904 मतों से हराया था.

साल 2013 का विधानसभा चुनाव
2013 के चुनाव में कांग्रेस के प्रद्युम्न सिंह को 58 880 मत मिले थे और बीजेपी के विवेक सिंह बोहरा को 32868 मत मिले थे. जबकि बसपा के सोवरन सिंह 24863 मतों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे.

साल 2018 का विधानसभा चुनाव
साल 2018 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान वित्त आयोग के चैयरमेन प्रद्युम्न सिंह के पुत्र रोहित बोहरा कांग्रेस के टिकट पर और पूर्व मंत्री बनवारी लाल शर्मा के पुत्र स्वर्गीय अशोक शर्मा ने बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा. रोहित बोहरा को 76 278 और अशोक शर्मा को 61287 मत मिले थे. रोहित बोहरा ने अशोक शर्मा को 14991 मतों से हराया था.

राजाखेड़ा विधानसभा क्षेत्र में रोजगार की एक बड़ी समस्या है. पूरे क्षेत्र में किसी भी तरह के उद्योग धंधे नहीं हैं. साथ ही पेयजल की समस्या भी यहां बनी हुई हैं. इस बार के चुनाव में इस सीट पर ये दो मुद्दे हावी रहेंगे.

इस साल के आखिर में होने वाले विधानसभा चुनाव में यहां कांग्रेस और बीजेपी में सीधा मुकाबला होना है क्योंकि स्वर्गीय अशोक शर्मा की पत्नी नीरजा शर्मा बीजेपी से टिकट मांग रही हैं. साथ ही बीजेपी से एमपी कैडर के सीनियर आईपीएस पवन जैन भी टिकट की दौड़ में हैं. अब देखना होगा कि इस बार के होने वाले चुनाव में बीजेपी किस चेहरे पर दांव खेलेगी लेकिन चुनाव कांटे का माना जा रहा हैं.

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