जोधपुर में सब्जी बेचने वाले बुजुर्ग का अनोखे अंदाज में मनाया गया सेवानिवृत्ति समारोह, हर तरफ हो रही चर्चा
Unique Farewell Ceremony: राजस्थान के जोधपुर (Jodhpur) में एक सब्जी बेचने वाले बुजुर्ग का सेवानिवृत्ति समारोह इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. पीपाड़ तहसील के खांगटा गांव के रहने वाले 75 साल के पारसराम माली पिछले 45 सालों से सिर पर सब्जी रखकर घर-घर जाकर सब्जी बेचते थे. अब उम्र अधिक होने के […]
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![जोधपुर में सब्जी बेचने वाले बुजुर्ग का अनोखे अंदाज में मनाया गया सेवानिवृत्ति समारोह, हर तरफ हो रही चर्चा जोधपुर में सब्जी बेचने वाले बुजुर्ग का अनोखे अंदाज में मनाया गया सेवानिवृत्ति समारोह, हर तरफ हो रही चर्चा](https://akm-img-a-in.tosshub.com/lingo/rjtak/images/story/202306/unique-ceremony-768x432.png?size=948:533)
Unique Farewell Ceremony: राजस्थान के जोधपुर (Jodhpur) में एक सब्जी बेचने वाले बुजुर्ग का सेवानिवृत्ति समारोह इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है. पीपाड़ तहसील के खांगटा गांव के रहने वाले 75 साल के पारसराम माली पिछले 45 सालों से सिर पर सब्जी रखकर घर-घर जाकर सब्जी बेचते थे. अब उम्र अधिक होने के कारण सब्जी बेचने का काम बंद करने का सोचा तो ग्रामीणों ने भव्य विदाई समारोह आयोजित कर दिया. बुजुर्ग सब्जीवाले का गांवालों की मेजबानी में भव्य सेवानिवृत्ति समारोह देख हर कोई हैरान है.
खांगटा गांव के लोगों ने 151000 रुपये इकट्ठे कर पारसराम माली को घर तक ढोल नगाड़ों के साथ पहुंचाया. सरपंच प्रकाश बोराणा ने बताया कि पारसराम माली पिछले 45 सालों से गांव वालों को हरी व शुद्ध देसी सब्जियां लाकर बेचते थे. गांव वालों ने छोटी-छोटी राशि एकत्रित कर माला व साफा पहनाकर सब्जी वाले काका को अनोखी विदाई दी.
सरपंच बोराणा ने बताया कि जब हम बच्चे थे, उससे पहले से सब्जी वाले काका गांव में घर-घर जाकर सब्जियां बेचते थे. जब बच्चे थे तब उनसे बिना पूछे कभी गाजर, कभी मुली तो कभी कुछ सब्जी उठाकर खा जाते थे. बिना पूछे सब्जियां खाने के बाद भी उनके चेहरे पर किसी भी तरह का गुस्सा नहीं दिखा. बल्कि वह हम बच्चों को इसके बदले में और सब्जियां खाने को देते थे.
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सरपंच ने बताया कि आज हम बच्चे से बड़े हो गए हैं. सब्जी वाले काका के इसी प्रेम और अपनेपन के चलते सभी ग्रामवासियों ने मिलकर कर विदाई समारोह आयोजित किया. गांववाले ढोल नगाड़ों के साथ कार्यक्रम स्थल खांगटा से पीपाड़ तक उन्हें घर छोड़ने के लिए भी गए. गौरतलब है कि पारसराम माली सब्जी बेचने पीपाड़ से हमेशा खांगटा गांव आते थे.
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