अयोध्या में बाबारी मस्जिद विध्वंस के बाद पूर्व विधायक गुल मोहम्मद का नाम गुल्लू राम क्यों पड़ गया, पढ़ें ये कहानी
story of a kar sevak who witnessed the Babri demolition: गुल मोहम्मद मंसूरी ने Rajasthan Tak को बताया कि बाबरी मस्जिद को गिराने के बाद हजारों धमकियां मिलीं. इन्हीं धमकियों के चलते गुल मोहम्मद की पत्नी ने उनके साथ रहने तक से इनकार कर दिया.
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story of a kar sevak who witnessed the Babri demolition: अयोध्या (Ayodhya ram temple) में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा का लोगों को बेसब्री से इंतजार है. इस बीच वर्ष 1992 के कारसेवकों के संघर्ष की कहानियां चर्चा में हैं. ऐसे ही एक कारसेवक हैं हाजी गुल मोहम्मद मंसूरी. गुल मोहम्मद मंसूरी ने बड़ी ही बेबाकी से कहा कि राम मंदिर भारत में नहीं बनेगा तो क्या पाकिस्तान में बनेगा. 1992 में बाबरी ढांचा विध्वंस के बाद गुल मोहम्मद का नाम गुल्लू राम पड़ गया है. इसके पीछे की एक रोचक कहानी है.
गुल मोहम्मद मंसूरी ने Rajasthan Tak को बताया कि बाबरी मस्जिद को गिराने के बाद हजारों धमकियां मिलीं. ये धमकियां आत तक जारी हैं. इन्हीं धमकियों के चलते गुल मोहम्मद की पत्नी ने उनके साथ रहने तक से इनकार कर दिया. उनका परिवार डर के साए में जी रहा था. घर के बाहर पुलिस का पहरा 24 घंटे रहता था.
जब जयपुर की जामा मस्जिद से जारी हुआ फतावा…
गुल मोहम्मद ने बताया कि जयपुर की जामा मस्जिद से फतवा जारी हो गया. इसके बाद तो समाज में रहना ही मुश्किल हो गया. उन्हें बचाने के लिए लोगों ने उनका नाम गुल्लू राम रख दिया. खैर कई दौर की समझाइश हुई. तब जाकर गुल्लूराम से गुल मोहम्मद बनने के लिए कलमा पढना पड़ा. खुद की बीवी से दोबारा निकाह करने के बाद वे गुल मोहम्मद के रूप में अपने समाज के लोगों के बीच रह पाए.
अल्लाह ने चाहा तो दर्शन जरूर करूंगा- गुल मोहम्मद
अब राममंदिर बनने पर उन्होंने खुशी जताते हुए कहा कि राम मंदिर भारत में नहीं बनेगा तो क्या पाकिस्तान में बनेगा. भले ही निमंत्रण नहीं मिला, लेकिन अल्लाह ने चाहा तो आगे दर्शन जरूर करुंगा. गौरतलब है कि वर्ष 1977 में गुल मोहम्मद मंसूरी जनता पार्टी से विधायक बने. फिर 1992 में राम मंदिर आंदोलन के तहत अयोध्या कूच हुआ और बाबरी मस्जिद को तोड़ा गया तब कारसेवकों की टोली में वह भी शामिल थे. हालांकि मस्जिद को ऊपर वह नहीं चढ़े, लेकिन उस ढांचे के नीचे मौजूद थे.
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