वसुंधरा ने बीजेपी के प्रचार से क्यों बनाई दूरी? परिवर्तन यात्रा में नजर ना आने का क्या मतलब?

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Why did Vasundhara distance herself from BJP’s campaign? What does it mean to not be seen in the Parivartan Yatra?
राजस्थान में इन दिनों चुनावी सरगर्मी तेज है. आने वाले दिनों में वहां चुनाव होने हैं जिसको लेकर सत्ताधारी कांग्रेस और विपक्षी पार्टी बीजेपी एक दूसरे पर हमले का कोई भी मौका नहीं छोड़ती है. हालांकि इस बीच एक ऐसी तस्वीर सामने आई है जिसने सभी को चौंका दिया है. एक कार्यक्रम में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और बीजेपी की कद्दावर नेता और पूर्व सीएम वसुंधरा राजे साथ में नजर आ रहीं हैं. सीएम गहलोत और वसुंधरा राजे की ये मुलाकात कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान के उद्घाटन के मौके पर हुई. वहां विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी और एलओपी राजेंद्र राठौड़ समेत अन्य लोग भी मौजूद थे. ये तस्वीर अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है जिसके बाद चुनाव से ठीक पहले राजस्थान में राजनीतिक हलचल बढ़ गई है. बता दें कि राजस्थान में विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव प्रचार भी जोरों पर है और आने वाले दिनों में पीएम मोदी की वहां रैली होनी है, लेकिन बीजेपी की लोकप्रिय चेहरा, दो बार की मुख्यमंत्री और पार्टी की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसुंधरा राजे की इसमें सक्रियता क्यों दिखाई नहीं दे रही है. इस सवाल का जवाब देने की स्थिति में राजस्थान बीजेपी में कोई नहीं है. यह भी साफ नहीं है कि बीजेपी ने वसुंधरा राजे को चुनाव से दूर कर रखा है या वसुंधरा राजे खुद ही चुनाव से दूर हैं.
वसुंधरा राजे ने अब तक बीजेपी की परिवर्तन यात्राओं और विधानसभा चुनाव से जुड़े किसी भी मसले पर एक ट्वीट तक नहीं किया है. यह सवाल इसलिए चर्चा में है क्योंकि वसुंधरा राजे अपने इलाके झालावाड़ में भी नहीं पहुंची थीं. ये सवाल अब बीजेपी के प्रचार में आने वाले नेताओं से पूछने का सिललिला तेज हो गया है. सभी का जवाब एक जैसा होता है कि वसुंधरा राजे जी हमारी बड़ी नेता और वो पूरी तरह से चुनाव में सक्रिय हैं. इसको लेकर जब राजस्थान में बीजेपी के चुनाव प्रबंधन समिति के मुखिया नारायण पंचारिया से सवाल पूछा गया था कि वसुंधरा राजे राजस्थान के चुनाव प्रचार में क्यों नहीं दिखाई दे रहीं है तो उनका जवाब था कि क्या जेपी नड्डा और अमित शाह जी दिखाई दे रहे हैं. वसुंधरा जी भी राष्ट्रीय स्तर की नेता हैं और बड़े चुनाव प्रचार में आएंगी. इस बार राजस्थान के रण में बीजेपी और कांग्रेस दोनों के बीच आमने-सामने की लड़ाई है. पिछले चुनाव के आंकड़ों को देखें तो 5 प्रतिशत से कम अंतर से जीती गई सीटें चुनावी परिणाम को प्रभावित कर सकती हैं. 2018 में हुए चुनाव में लगभग 30 प्रतिशत सीटें ऐसी थीं, जिनमें जीत का अंतर 5 प्रतिशत से भी कम था ऐसे में राजस्थान विधानसभा चुनाव में एक फीसदी वोटों का स्विंग भी खेल खराब कर सकता है. वसुंधरा राजे एकमात्र बीजेपी की नेता हैं जिनकी पकड़ सभी जातियों और राजस्थान के सभी क्षेत्रों में हैं.
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