जब भैंरो सिंह शेखावत गए जेल तो बेटी ने कहा कि चाहे जेल में ही रहना पड़े, पापा आप माफी मत मांगना
Siasi Kisse: राजस्थान के बाबोसा कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत की राजनीतिक अंदाज और उनके व्यवहार का हर कोई कायल था. भाजपा के स्तंभ रहे और राष्ट्रीय राजनीति में दखल कायम करने के बाद बाबोसा उपराष्ट्रपति भी बने. अटल-आडवाणी के खास शेखावत को उनके परिवार का भी भरपूर साथ मिला. चाहे वह मुख्यमंत्री […]

Siasi Kisse: राजस्थान के बाबोसा कहे जाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत की राजनीतिक अंदाज और उनके व्यवहार का हर कोई कायल था. भाजपा के स्तंभ रहे और राष्ट्रीय राजनीति में दखल कायम करने के बाद बाबोसा उपराष्ट्रपति भी बने. अटल-आडवाणी के खास शेखावत को उनके परिवार का भी भरपूर साथ मिला. चाहे वह मुख्यमंत्री कार्यकाल तक का सफर हो या आंदोलन जैसी विपरीत परिस्थितियां.
ये किस्सा है ऐसे ही एक अध्याय का, जिले भारतीय लोकतंत्र के काले दिन के तौर पर याद किया जाता है. जब देशभर में आपातकाल लागू कर दिया गया था. इमरजेंसी के चलते पूर्व सीएम शेखावत को भी राजस्थान से दूर रोहतक जेल में रहना पड़ा. इस दौरान ना सिर्फ उन्होंने, बल्कि उनके परिवार ने भी कई मुसीबतें झेली. उनसे काफी दूर उनके परिजनों को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा.
जब वह जेल में थे, उसी दौरान सीकर में उनके गांव खाचारियावास में उनकी जमीन पर कब्जा करने की कोशिशें भी होने लगी. यह उनकी पुश्तैनी जमीन नहीं थी, बल्कि पुलिस की नौकरी के दौरान उनके उम्दा काम के चलते मिली थी. उन्होंने एक नामी डकैत को पकड़ा था, जिसके चलते उन्हें 5 बीघा जमीन मिली. जब जमीन पर कब्जे के प्रयास हुए तो इस बात को लेकर उनकी धर्मपत्नी सूरज कंवर और पुत्री रतन कंवर बहुत परेशान थे. समस्या यह भी थी कि ये बात शेखावत साहब तक नहीं पहुंचाई जा सकती थी. तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के राज में इमरजेंसी लागू होने के चलते मुलाकात भी मुश्किल थी.
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तब के पत्रकार और शेखावत के करीबी महेश शर्मा घर पहुंचे. उन्होंने कहा कि मुझे CM साहब ( हरिदेव जोशी ) ने बुलाया था. वो आप दोनों के बारे में बहुत चिंतित हैं. उन्होंने मुझे कहा है कि शाम को ऑफिस टाइम के बाद स्कूटर पर बैठा के ले आना. शेखावत की बेटी रतन कंवर पहली बार उस मुख्यमंत्री निवास में पहुंची, जो आगे चलकर एक दशक से भी अधिक समय तक उनका भी आवास रहा. सीएम हरिदेव जोशी ने उनका हालचाल पूछा तो रतन कंवर ने कहा कि बाकी सब ठीक है चाचाजी, आप बस पापा को जेल से छुड़ा दीजिए. जोशी ने कहा कि बेटा वो तो मेरे हाथ में नहीं है, लेकिन जब तक भैरोंसिंहजी जेल में हैं तब तक तुम और भाभीजी मेरी जिम्मेदारी हो. कोई भी तकलीफ हो तो तुरंत महेशजी से कहना. किसी बात की चिंता मत करना. तब उन्होंने हरिदेव जोशी को खाचारियवास में जमीन के कब्जे वाली बात भी बताई. जोशी ने तुरंत फोन करके सीकर कलेक्टर को आदेश दिए कि उस जमीन पर से सारे कब्जे हटाकर एसडीएम खुद खड़े रहके तारबंदी करवाएं.
वाजपेयी, चंद्रशेखर सहित कई नेताओं ने खाने पर की चर्चा
शेखावत के नाती और रतन कंवर के बेटे अभिमन्यु राजवी बताते हैं कि जब रतन कंवर निकलने लगीं तो जोशी ने कहा कि बेटा एक काम हो सकता है, मैं तुम्हें मिलने की परमिशन दिलवा देता हूं. तुम भैरोंसिंह तक मेरा ये पत्र पहुंचा देना. उन्हें कहना वो होम पैरोल की अर्जी लगवा दें और बाकी काम मैं सम्भाल लूँगा. परमिशन मिलते ही परिजन गोपाल सिंह राणोली के साथ अटल जी से मिलने पहुंचे.
मिश्रीमावा और घेंवर लेकर अटल बिहारी वाजपेयी से मिलने पहुंचे. सभी ने साथ खाना खाया और बातचीत होने के बाद गोपाल सिंह ने वाजपेयी को हरिदेव जोशी वाली बात बताई. वाजपेयी यह सुनते ही खुश हुए और उन्होंने रतन कंवर से कहा कि वो बाहर आ जाए तो हम एक और एक ग्यारह बनके ही कुछ कर सकते हैं. वरना इन देवीजी ( इंदिरा गांधी ) का कोई भरोसा नहीं है.
सभी लोग शेखावत से रोहतक जेल पहुंचे कोई कुछ कहता उससे पहले ही रतन कंवर ने पूछा कि ये हौम पैरोल होता क्या है? शेखावत ने बताया कि सरकार को लिखित में अर्ज़ी देनी पड़ेगी, फिर उस अर्जी के सहारे जेल से उठाकर घर पर नजरबंद कर देंगे. इतने में रतन कंवर ने झट से कह दिया कि इसका मतलब लगभग माफी मांगना. पापा चाहे जेल में ही रहना पड़े, आप ये माफी मत मांगना. वहां चंद्रशेखर भी मौजूद थे. यह सुनते ही उन्होंने शेखावत की पीठ थपथपाते हुए कहा ये हुई ना शेर की बेटी जैसी बात. भाई भैरोंसिंह, आज से ये तुम्हारी नहीं हमारी बेटी है.